tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post116043583409926488..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: कविता में चिट्ठा चर्चाdebashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160488696847413872006-10-10T19:28:00.000+05:302006-10-10T19:28:00.000+05:30जो मै कहता हूं,उसे गलत अर्थ मे लिया जाता है।चिठ्ठा...जो मै कहता हूं,<BR/>उसे गलत अर्थ मे लिया जाता है।<BR/>चिठ्ठा चर्चा पर, <BR/>मेरी टिप्पणी पर टिप्पणियां हो जाती है।<BR/>मै कहता कुछ हूं, <BR/>उसे कुछ और समझा जाता है।<BR/>वह तो केवल मेरी टिप्प्णी थी,<BR/>जो केवल औपचारिकता मात्र मे दे डाली थी।<BR/>नाम वाम मे क्या रखा है <BR/>जब मन मे प्रेम समाया हो। <BR/>कहते है संसार मे दो ही चीजे है, <BR/>जो वापस नही किया जा सकती है, <BR/>वह है मुंह की वाणीPramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/04193959387239096010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160474107368822072006-10-10T15:25:00.000+05:302006-10-10T15:25:00.000+05:30'चिट्ठा चर्चा'मे भी कविता का रंग छा गया !वाह वाह व...'चिट्ठा चर्चा'मे भी कविता का रंग छा गया !<BR/>वाह वाह वाह! मजा आ गया!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160460662022870182006-10-10T11:41:00.000+05:302006-10-10T11:41:00.000+05:30राकेशजी आए लेकर कवितामय चिट्ठा चर्चालो बधाई हम भी ...राकेशजी आए लेकर कवितामय चिट्ठा चर्चा<BR/>लो बधाई हम भी दे देते क्या लगता हैं खर्चा<BR/>प्रमेन्द्र जी समझे नहीं यह कैसे हुआ कमाल<BR/>"कविराज" के चरचे होते पर लगा हमारा माल<BR/>"उडन तश्तरी" मांग रही हाथ फैला बक्सीस<BR/>"अनूप भार्गव" टीका गये प्रभू चरणों में सीस<BR/>कहे "कविराज" अब कुछ अपनी सुध भी ले लो<BR/>मेरे चिट्ठे पर आकर "ब्लागर हाइकु" पढ़ लोगिरिराज जोशीhttps://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160456560831829042006-10-10T10:32:00.000+05:302006-10-10T10:32:00.000+05:30अभिनव प्रयोग!हिंदी चिट्ठाकारिता को आपलोगों के इन प...अभिनव प्रयोग!<BR/>हिंदी चिट्ठाकारिता को आपलोगों के इन प्रयोगों से नये नये आयाम मिल रहे हैं। कभी कुंडलियां, कभी व्यंजल, कभी कवितायें और कभी अनुप जी और अतुल जी का अनूठा अंदाज। <BR/><BR/>प्रतिदिन चिट्ठाचर्चा का इंतजार रहने लगा है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160453902479762042006-10-10T09:48:00.000+05:302006-10-10T09:48:00.000+05:30नित नये रंग, अब चर्चा कविता के संग!.पढ़ने वाले रह ग...नित नये रंग, <BR/>अब चर्चा कविता के संग!.<BR/>पढ़ने वाले रह गये हैं दंग,<BR/>कमाल हैं आपका यह ढ़ंग.<BR/>जमा दिया चिट्ठाचर्चा में रंग,<BR/>हो न यह सिलसिला अब भंग.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160453602842403252006-10-10T09:43:00.000+05:302006-10-10T09:43:00.000+05:30बात बात में कह गये पूरी कविता आप हम भी इसको पढ गये...बात बात में कह गये पूरी कविता आप <BR/>हम भी इसको पढ गये एक साँस मेँ आज<BR/><BR/>बहुत बढिया ! चिट्ठा चर्चा के नित नये रंग ने इसको पढने का मज़ा दूना कर दिया है ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160446652216291672006-10-10T07:47:00.000+05:302006-10-10T07:47:00.000+05:30राकेशजी, आपके अभिनव प्रयोग चिट्ठाचर्चा में देखकर ब...राकेशजी, आपके अभिनव प्रयोग चिट्ठाचर्चा में देखकर बहुत अच्छा लगा.इससे चिट्ठाचर्चा में चार चांद लग गये.समीरजी भी बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने राकेशजी की सहायता करके यह पोस्ट लिखने में सहायता की.अगली पोस्ट तक राकेशजी अपने आप सब कुछ कर लेंगे. <BR/>प्रेंमेंन्द्र देखो तुमको राकेशजी,जिनको हम गीत सम्राट कहते हैं, कविराज कह रहे हैं और तुम मैं,मैं कह रहे हो. यह तो कहो कि किसी मीनमेख वाले की निगाह इस अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160445681934342882006-10-10T07:31:00.000+05:302006-10-10T07:31:00.000+05:30कविता में ही कह सकें ऐसी क्षमता दो नाथहम को करनी आ...कविता में ही कह सकें ऐसी क्षमता दो नाथ<BR/>हम को करनी आज है राकेश जी से बात ...<BR/><BR/>धन्य हो प्रभू..........अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160441773543033612006-10-10T06:26:00.000+05:302006-10-10T06:26:00.000+05:30कविता कविरात की नही है, मै हूं मै। :-)कविता कविरात की नही है, मै हूं मै। :-)Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/04193959387239096010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1160439519296282362006-10-10T05:48:00.000+05:302006-10-10T05:48:00.000+05:30कविता में ही कर गये, पूरी चिट्ठा चर्चा आजशब्द-पुष्...<B>कविता में ही कर गये, पूरी चिट्ठा चर्चा आज<BR/>शब्द-पुष्प की झांकियां, गजब सजी कविराज.<BR/>गजब सजी कविराज है मां शारदा का आशीष<BR/>लेखनी आप चलाये रहो, हमें भी दो बक्सीस<BR/>कहे समीर कि अब बह निकली जो सरिता<BR/>हफ्ते दर हफ्ते सुनाओ, कविता पर कविता.</B><BR/><BR/>--बहुत खुब, राकेश भाई.बड़ा अभिनव और अदभुत प्रयास है. सफल रहा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com