tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post1537001589668921362..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: मेरे चिट्ठे की चर्चा क्यों नहीं होती?debashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-60022180186463951202007-02-06T09:32:00.000+05:302007-02-06T09:32:00.000+05:30सोलह आने सही कहा.सोलह आने सही कहा.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-9874861028437354412007-02-06T02:16:00.000+05:302007-02-06T02:16:00.000+05:30श्रीश भाई की तरह ही हम भी सबकी पुरानी पोस्ट खुब पढ़...श्रीश भाई की तरह ही हम भी सबकी पुरानी पोस्ट खुब पढ़े हैं मगर सबूत के तौर पर टिप्पणियां नहीं छोड़े, सॉरी!! :)<br /><br />बाकि रवि भाई की बात एकदम उचित है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-23245960548994968952007-02-05T23:15:00.000+05:302007-02-05T23:15:00.000+05:30एक शिकायत मैं भी कर लूँ, छूट गया मेरा चिट्ठा भी
एक...एक शिकायत मैं भी कर लूँ, छूट गया मेरा चिट्ठा भी<br />एक नई शुरुआत भले ही ,उस चिट्ठे पर मैने की थी<br />अब ये करम किया नारद ने,या फिर चर्चाकार व्यस्त था<br />वैसे जो कुछ लिखा आपने, बात पते की ही केवल कीराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-41095586162487230872007-02-05T22:49:00.000+05:302007-02-05T22:49:00.000+05:30रवि रतलामीजी ने सही लिखा कि तमाम दबाव होते हैं चर्...रवि रतलामीजी ने सही लिखा कि तमाम दबाव होते हैं चर्चाकारों के। अब जैसे गत शनिवार को देबाशीष को चर्चा करनी थी लेकिन वे नहीं कर पाये। शायद इंडीब्लागीश में लगना पड़ा। जीतेन्द्र को भी शाम हो गयी और वे रात को चर्चा पोस्ट कर पाये। पिछ्ले बार मैं रात दो बजे तक चर्चा लिखी लेकिन पोस्ट करते समय सब डिलीट हो गया। फिर उस दिन जिद थी कि करना ही है तब फिर सबेरे जल्दी उठ कर लिखा। अब इस बीच कुछ और आ गये होंगे तो वे Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-68639276916322264002007-02-05T22:46:00.000+05:302007-02-05T22:46:00.000+05:30"यह मानकर चलें कि आपने जो चिट्ठा अपने चिट्ठास्थल प...<b><i>"यह मानकर चलें कि आपने जो चिट्ठा अपने चिट्ठास्थल पर आज लिखा है, वह आज भी पढ़ा जाएगा, कल भी और सैकड़ों वर्षों बाद भी (यदि आपने स्वयं इसे नहीं मिटाया). आपके पोस्ट को ढूंढा जाकर, खोजा जाकर भी पढ़ा जाएगा. आपका चिट्ठा अजर-अमर होता है. आप चिट्ठा पोस्ट लिखकर एक इतिहास लिख रहे होते हैं."</i></b><br /><br />जी मैं आपसे सहमत हूँ। मैंने कई पुराने चिट्ठों को पूरा A to Z पढ़ डाला जिनमें अक्षरग्राम, मेरा ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-50961091575362467482007-02-05T20:52:00.000+05:302007-02-05T20:52:00.000+05:30थोड़ा सावधान होना जरुरी है क्योंकि सभी बंधुओं की
इ...थोड़ा सावधान होना जरुरी है क्योंकि सभी बंधुओं की <br />इच्छा होती है कि उनकी चिट्ठा चर्चा हो मेरा भी नाम ज्यादातर छूट जाता है…।<br /><br />एक और बात कहना चाहता हूँ मात्र चिट्ठों का नाम लेने से उसपर चर्चा नहीं होती है…अगर थोड़ी समालोचनात्मक विश्लेषण हो तो चर्चा का सही उद्देश्य पूरा हो जाएगा…धन्यवाद>Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-50778870184176714172007-02-05T20:00:00.000+05:302007-02-05T20:00:00.000+05:30जगदीश जी,
हाँ, शुरूआती रूप में यह शीर्षक रखने का ...जगदीश जी,<br /><br />हाँ, शुरूआती रूप में यह शीर्षक रखने का एक कारण था. (नहीं तो मैं टेढ़े मेढ़े रास्ते भी रख सकता था :)) क्योंकि लोग तब हिन्दी ब्लॉग के बारे में ज्यादा जानते भी नहीं थे. अब तो हिन्दी में भी सर्च हो सकता है.<br /><br />रहा सवाल गूगल के पहले पेज पर आने के लिए, तो आप गूगल को बहुत दिन तक बेवकूफ़ नहीं बना सकते. सर्च में वह उसी को आगे करेगा जिसमें उचित सामग्री होगी. <br /><br />मसिजीवीरवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-55475482559817386542007-02-05T17:06:00.000+05:302007-02-05T17:06:00.000+05:30'यह मानकर चलें कि आपने जो चिट्ठा अपने चिट्ठास्थल प...'यह मानकर चलें कि आपने जो चिट्ठा अपने चिट्ठास्थल पर आज लिखा है, वह आज भी पढ़ा जाएगा, कल भी और सैकड़ों वर्षों बाद भी (यदि आपने स्वयं इसे नहीं मिटाया). आपके पोस्ट को ढूंढा जाकर, खोजा जाकर भी पढ़ा जाएगा. आपका चिट्ठा अजर-अमर होता है. '<br /><br />मुझे यह ब्लागों के निर्माणाधीन इतिहास का महत्वपूर्ण उद्धरण जान पड़ता है। <a href="http://linkitmann.blogspot.com/" >हिंदी ब्लाग शोधार्थी नीलिमा</a> कृपयामसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-31515540260914097402007-02-05T14:42:00.000+05:302007-02-05T14:42:00.000+05:30इसका एक फायदा यह है कि जब भी कोई Hindi Blog सर्च क...इसका एक फायदा यह है कि जब भी कोई Hindi Blog सर्च करता है तो सबसे पहले आपका ब्लाग ही नजर आता है गुगल पर।<br />यह एक बड़ी बात है।<br />बाकी यह उदाहरण आपने ठीक दिया कि एक बार जो पहचान बन जाती है तो उसे बदलना कठिन होता है।<br />शुरु के दिनों में यह सोचा भी नहीं होगा कि हिंदी इतनी आगे निकल आयेगी इंटेरनेट पर और चिट्ठे इतने लोकप्रिय हो जायेंगे।Anonymousnoreply@blogger.com