tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post2734613677048393096..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: बस करो हुण, बस करो वेdebashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-11610396924045066872008-12-09T11:14:00.000+05:302008-12-09T11:14:00.000+05:30ग़लतफ़ैमिली ख़त्म हुई.. अब सहीफ़ैमिली क़ायम करो..बक़र-ए-...<I><BR/>ग़लतफ़ैमिली ख़त्म हुई.. <BR/>अब सहीफ़ैमिली क़ायम करो..<BR/>बक़र-ए-ईद मुबारक़.. साधो साधो </I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-85801432477421946792008-12-09T09:15:00.000+05:302008-12-09T09:15:00.000+05:30कविताजी, अभी सुबह आपकी टिप्पणियां देखीं। चिट्ठाचर्...कविताजी, अभी सुबह आपकी टिप्पणियां देखीं। <BR/><BR/>चिट्ठाचर्चा में कोई भी बदलाव या तो मैं कर सकता हूं या फ़िर देबाशीष। मैंने कोई बदलाव नहीं किया। इसलिये मैंने देबाशीष से पता किया। उन्होंने बताया कि HTML ठीक करने के लिये कुछ बदलाव उन्होंने किये थे। उसी चक्कर में कुछ सामग्री भी हट गयी।<BR/><BR/>पोस्ट का शीर्षक जरूर देबू ने बदला, कुछ सनसनीखेज सा होने के कारण। बाकी बदलाव अनजाने में हुये। इस बारे में अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-70243530906632572412008-12-09T00:57:00.000+05:302008-12-09T00:57:00.000+05:30यदि मेरे चर्चा करने पर किसी को भी आपत्ति है तो वे ...यदि मेरे चर्चा करने पर किसी को भी आपत्ति है तो वे कृपया मुझसे सीधे व स्पष्ट कह सकते हैं, मैं कतई अन्यथा नहीं लूँगी, किन्तु इस प्रकार से मेरे श्रम को नष्ट करने व बिगाड़ने का औचित्य समझ नहीं पाई हूँ। अगली चर्चा मेरे द्वारा तभी संभव होगी, जब मुझे पूर्णत: आश्वस्त किया जाए कि भविष्य़ में मेरी पोस्ट के साथ ऐसी छे़ड़छाड़ नहीं होगी। तब तक के लिए मेरे इस साप्ताहिक स्तम्भ को सभी स्थगित ही समझें।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-5892062947761258652008-12-09T00:50:00.000+05:302008-12-09T00:50:00.000+05:30और हाँ, नंदीग्रामायूनाईटेड के हवाले से असम पर केन्...और हाँ, नंदीग्रामायूनाईटेड के हवाले से असम पर केन्दित जिस पुस्तक की चर्चा मैंने की थी, उसके प्रकाशक, प्रकाशनस्थल,पुस्तक का मूल्य,व सम्पर्क आदि वाला‘कोट’ भी नदारद है।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-44525325713581850132008-12-08T23:09:00.000+05:302008-12-08T23:09:00.000+05:30ये चर्चा चिट्ठाचर्चा के सफर में मील का पत्थर है. आ...ये चर्चा चिट्ठाचर्चा के सफर में मील का पत्थर है. आपने बहुत ही बढ़िया कोशिश की है. इसके लिए आपको साधुवाद.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-29637370424335761032008-12-08T23:08:00.000+05:302008-12-08T23:08:00.000+05:30अरे भाई चन्द्रमौलेश्वर जी, लगता है आप अब तक इस मुद...<I> अरे भाई चन्द्रमौलेश्वर जी, लगता है आप अब तक इस मुद्दे पर उद्वेलित हैं..<BR/>बहस तो ज़ारी रहनी चाहिये, पर एक दिन में ही तो कोई निर्णायक सर्वसम्मति तो बन नहीं सकती, न ?<BR/>चलिये आप मेरे साथ हैं, आपकी सदाशयता एवं प्रतिबद्धत्ता के लिये आभारी हूँ..<BR/>पर, यह कोई आर पार की लड़ाई भी नहीं है !<BR/>मेरे विद्वान मित्रों नें, मेरे किसी भी ब्लागपृष्ठ के सबसे नीचे दिया गया स्पष्टीकरण नहीं देखा होगा !<BR/डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-16037100408661317132008-12-08T22:57:00.000+05:302008-12-08T22:57:00.000+05:30बहुत प्रभावशाली लेख, शायद आप बेजोड़ हैं यहाँ ! शुभ...बहुत प्रभावशाली लेख, शायद आप बेजोड़ हैं यहाँ ! शुभकामनाएं आदर सहित !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-43969835058154723762008-12-08T22:54:00.000+05:302008-12-08T22:54:00.000+05:30अनूठी चर्चा का धन्यवाद।अनूठी चर्चा का धन्यवाद।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-12764996637361899182008-12-08T22:44:00.000+05:302008-12-08T22:44:00.000+05:30बढ़े चलो बढ़े चलो। अलिप्तता आली कुठुन ? का ? आणि क...बढ़े चलो बढ़े चलो।<BR/> अलिप्तता आली कुठुन ? का ? आणि कशासाठी ?<BR/><BR/>कद तक यारो देस़ मेरे विच,<BR/>लहू दीआं नदीआं....<BR/>"Violence and Search for Peace in Karbi Anglong, Assam" by Tom Mangattuthazhe <BR/> हम भाषा के स्तर पर ही सही कम से कम एक विश्वमानव व एक भारतीय आत्मा के भावबोध को अपनाने की दिशा में प्रमाण जुटाएँ। <BR/>यूँ ही,अनूठी और आम्खेँ खोल देनेवाली चर्चा करती रहीये कविता जी क्या कहनेलावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-19474201141578864802008-12-08T22:12:00.000+05:302008-12-08T22:12:00.000+05:30thanks for correcting me rachnaji.thanks for correcting me rachnaji.चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-33669621797458823892008-12-08T21:57:00.000+05:302008-12-08T21:57:00.000+05:30@cmpershad "I believe that, it should not make any...@cmpershad <BR/>"I believe that, it should not make any difference by ourselves being outcasted from ' Charcha, ' to any serious reader "<BR/>This is Dr Amars view , i merely quoted his lines and gave my view after that as <BR/>"Who cares really , check the counter statistics and see how many came to your blog thru charcha . links are there but who really clicks thru them to go to the blog " <BRRachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-74689101930772968662008-12-08T21:09:00.000+05:302008-12-08T21:09:00.000+05:30आज की चर्चा तो होती रहेगी पर कल की चर्चा जैसे ज़हन ...आज की चर्चा तो होती रहेगी पर कल की चर्चा जैसे ज़हन में अब भी घूम रही है। द्विवेदीजी ने कहा था कि हिंदी का समूचा लेखन खुला रखा जाय। वो तो खुला है ही, खुला भी और प्रोटेक्टेड भी। इस बात को डॊ.ऋषभ देव शर्मा जी ने भी रेखांकित किया है। यहां हमें लेखक के हितों के लिए भी खडा होना ज़रूरी है।<BR/>>शर्माजी ने एक और विशेष बात की ओर ध्यान दिलाया कि कालजयी साहित्य को भी नेट पर लाने की आवश्यकता है और जो ब्लाग चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-34369914580417465292008-12-08T21:00:00.000+05:302008-12-08T21:00:00.000+05:30चिट्ठा चर्चा को यह नया स्वरुप देने के लिए धन्यवाद ...चिट्ठा चर्चा को यह नया स्वरुप देने के लिए धन्यवाद !!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-28726169578467396172008-12-08T17:44:00.000+05:302008-12-08T17:44:00.000+05:30एक बहुत ही शानदार परम्परा की शुरुआत की आपने ! बहुत...एक बहुत ही शानदार परम्परा की शुरुआत की आपने ! बहुत बहुत धन्यवाद आपको !<BR/><BR/>रामराम !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-76051277003714665072008-12-08T15:09:00.000+05:302008-12-08T15:09:00.000+05:30बहुत सधी हुई सटीक चर्चा. आपको बधाई.अंत में जयशांकर...बहुत सधी हुई सटीक चर्चा. आपको बधाई.<BR/><BR/>अंत में जयशांकर प्रसाद जी की पंक्तियाँ भी बहुत भाई..जितनी बार पढ़ो-कम है. आभार आपका.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-46108165162438128832008-12-08T12:59:00.000+05:302008-12-08T12:59:00.000+05:30इम्प्रेसिव! आपने अन्य देशज भाषाओं के ब्लॉगों की चर...इम्प्रेसिव! आपने अन्य देशज भाषाओं के ब्लॉगों की चर्चा की, यह तो अनूठी बात रही!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-17417393448904397172008-12-08T12:31:00.000+05:302008-12-08T12:31:00.000+05:30I loved this new incarnation of Charcha. BIG Thank...I loved this new incarnation of Charcha. BIG Thanks to you!रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-72947836482296782422008-12-08T12:24:00.000+05:302008-12-08T12:24:00.000+05:30उत्कृष्ट पोस्टउत्कृष्ट पोस्टRachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-49060015299142796092008-12-08T12:21:00.000+05:302008-12-08T12:21:00.000+05:30कविता जी संपृक्त आलेख सन्दर्भों के साथ उत्कृष्ट पो...कविता जी <BR/>संपृक्त आलेख सन्दर्भों के साथ <BR/>उत्कृष्ट पोस्ट के लिए आभारी हूँबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-87659129538640741952008-12-08T12:10:00.000+05:302008-12-08T12:10:00.000+05:30अत्यन्त सामयिक. सटीक. सारगर्भित.मराठी और पंजाबी के...अत्यन्त सामयिक. सटीक. सारगर्भित.<BR/><BR/>मराठी और पंजाबी के सन्दर्भ यह विश्वास दिलाते हैं कि आतंकवाद के प्रतिकार पर हम सब एक ही तरह सोच रहे हैं -- सबसे ऊपर राष्ट्र !<BR/><BR/>प्रसाद जी के प्रयाण गीत की प्रस्तुति पर साधुवाद.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-46192388123213872762008-12-08T11:58:00.000+05:302008-12-08T11:58:00.000+05:30सारगर्भित चर्चा। बधाई कि आपने सभी भाषाओं को हिंदी ...सारगर्भित चर्चा। बधाई कि आपने सभी भाषाओं को हिंदी से जोडने की पहल की है। सही माने में चिठों की चर्चा कही जाएगी। यह चर्चा शायद इस लिए ‘रसहीन’ लगी कि हमें भाषा को समझने में कठिनाई हुई, परंतु इस पहल पर लोग अनुवाद के माध्यम से भी इस चर्चा में जुडेंगे और इसे अधिक विस्तार मिलेगा, ऐसी आशा तो की ही जानी चाहिए। जैसा कि विवेक सिंहजी ने तमिल में अपनी टिप्पणी दी है, यदि साथ ही हिंदीकरण भी कर देता तो सुविधा चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-57842986023196468822008-12-08T11:28:00.000+05:302008-12-08T11:28:00.000+05:30कविता जी आज आपने चर्चा को एक आयाम दिया है ,जाहिर ...कविता जी आज आपने चर्चा को एक आयाम दिया है ,जाहिर है जो हमारे समाज में घटेगा ...कागजो में भी दाखिल होगा ..समय भी ऐसा है की ब्लॉग भी इसी लेखकीय दखल का पैरोकार है....ओर बतोर ब्लोगर कई बार हमारा नैतिक दायित्व भी बनता है की हम निजी त्रासिदियो से बाहर निकलकर उन आवाजो में अपनी आवाज मिलाये ताकि सनद रहेडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-58326294741425974262008-12-08T10:45:00.000+05:302008-12-08T10:45:00.000+05:30ஆப்படிஆ ? ரும்பை நல்ல இரகத . நந்ரிஆப்படிஆ ? ரும்பை நல்ல இரகத . நந்ரிविवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-39379136290904093842008-12-08T10:32:00.000+05:302008-12-08T10:32:00.000+05:30हिन्दी ब्लागिंग की श्रीवृद्धि पर एक प्रतीकात्मक चर...<I><BR/><BR/>हिन्दी ब्लागिंग की श्रीवृद्धि पर एक प्रतीकात्मक चर्चा..<BR/>हो सकता है कि, आज की चर्चा रसहीन लगे, पर संदर्भहीन कतई नहीं है !<BR/>यदि विदेशी कवियों के रचनाओं पर मगन होकर भावानुवाद प्रस्तुत किया जा सकता है, तो..<BR/>यह तो अपने ' जननी-जन्मभूमि ' पर रची गई बेहतरीन सामयिक रचनायें हैं !<BR/>समझ और सिद्धांत की विवेचना फिर कभी..<BR/>सामयिकी के लिहाज़ से बेहतरीन चर्चा !</I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.com