tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post4227680032980384309..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: "साड़ी हमारी पहचान है...गाय हमारी माता है..."debashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-56038401740558913022010-01-10T22:13:10.684+05:302010-01-10T22:13:10.684+05:30नि:संदेह साड़ी में महिलएं बहुत सुंदर दिखती हैं.नि:संदेह साड़ी में महिलएं बहुत सुंदर दिखती हैं.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-59921557439760371312010-01-10T13:53:33.370+05:302010-01-10T13:53:33.370+05:30"अदा " और "नोटपैड " दोनों ही ..."अदा " और "नोटपैड " दोनों ही छद्म नाम हैं इस लिये इस विषय मे क्या आपत्ति और क्यूँ क्युकी ये दोनों का अधिकार हैं ।<br />रही बात साडी के विलुप्त होने कि वो असंभव हैं और रही बात चर्चा मंच पर केवल दो चिट्ठो कि चर्चा करने कि तो चिटठा चर्चा पर अगर केवल एक ही ब्लॉग पोस्ट लेकर "चर्चा" हो और व्यक्तिगत कमेन्ट से उठ कर हो तो क्या ही अच्छा हो । एक विषय पर वाद विवाद हो एक Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-44811270657597999872010-01-09T22:28:19.267+05:302010-01-09T22:28:19.267+05:30यार.. यह एप्रूवल का लटका यहाँ भी ?
सँसद में चल रही...<i><br /><b>यार.. यह एप्रूवल का लटका यहाँ भी ?</b><br />सँसद में चल रही गाली-गलौज़ से एक चटखारेदार पोस्ट बना लेने वाली चिट्ठाकारिता में यह कैसा लोकतँत्र है ?<br />यहाँ हाथीदाँत से एक ज़ुमला टँगा हुआ है, " आपकी प्रतिक्रियाये हमारे लिए महत्वपूर्ण है! " <br />इसके उलट सच तो यह है कि <b>आपका एप्रूवल हम ग़रीबों के लिये महत्वपूर्ण है !</b><br />बेनामी का विकल्प हटाना तो समझ में आता है, पर डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-86751201928338786392010-01-09T22:17:23.204+05:302010-01-09T22:17:23.204+05:30अदा जी से असहमत.. विहँगम भारतीय परिदृश्य से साड़ी क...<i><br />अदा जी से असहमत.. विहँगम भारतीय परिदृश्य से साड़ी के लुप्त होने की सोच एक ध्यानाकर्षण फ़ँतासी से अधिक कुछ भी नहीं.. और वह इसमें सफल रहीं हैं ।<br /><br />मिथिलेश से सहमत.. हमारे पुरोधाओं की कृपा से नारी इन्हीं दो पराकाष्ठाओं के बीच डोलती आयी है । मजे की बात यह कि स्वयँ नारी भी इस प्रचारतँत्र में एक अहम भूमिका निभाती चली आयी है ।<br /><br />सुजाता सुलझी हुई चर्चाकार हैं, पर आज विषय को कुछ डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-34719540872436117432010-01-09T14:49:05.256+05:302010-01-09T14:49:05.256+05:30मुझे दोनो बातों में कोई सांजस्य नज़र नही आता ........मुझे दोनो बातों में कोई सांजस्य नज़र नही आता ....... <br />हन गाय हमारी माता है इस बात को कहने में कोई गुरेज़ नही है ..........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-79309866077591296542010-01-09T00:23:40.410+05:302010-01-09T00:23:40.410+05:30दुनिया में सबको अपने पसंद के कपडे पहनने की सामर्थ्...दुनिया में सबको अपने पसंद के कपडे पहनने की सामर्थ्य और स्वतंत्रता हो !<br /><br />आमीन !अर्कजेशhttps://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-21993839181908916322010-01-08T22:19:06.386+05:302010-01-08T22:19:06.386+05:30लो जी!
अब तो बेहतर ही कहना पड़ेगा!
ऐसा प्रतीत होत...लो जी! <br />अब तो बेहतर ही कहना पड़ेगा!<br />ऐसा प्रतीत होता है कि ज्ञानदत्त जी ने ठीक ही कहा था?डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-42439953456636994412010-01-08T21:54:26.599+05:302010-01-08T21:54:26.599+05:30क्या है ये सब, कुछ बेहतर कहिये मित्रो.क्या है ये सब, कुछ बेहतर कहिये मित्रो.पंकजhttps://www.blogger.com/profile/05230648047026512339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-29192103195022920112010-01-08T21:45:25.773+05:302010-01-08T21:45:25.773+05:30नोटपैड और चोखेरबाली के लिंक नीचे दिये हैं:
http://...नोटपैड और चोखेरबाली के लिंक नीचे दिये हैं:<br />http://bakalamkhud.blogspot.com/<br />http://blog.chokherbali.in/अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-2678367583747377382010-01-08T21:31:20.535+05:302010-01-08T21:31:20.535+05:30I am totally an aware of 'notepad'
pleas...I am totally an aware of 'notepad' <br /><br />please read 'unaware'स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-27864749720022622592010-01-08T20:54:51.268+05:302010-01-08T20:54:51.268+05:30Tarannum ji,
I must confess and call a spade a spa...Tarannum ji,<br />I must confess and call a spade a spade...<br />My reaction towards this particular post was totally based on the first comment by mr. zakir 'rajnish' , I am totally an aware of 'notepad' ..so my immediate reaction was this is another be-naami gimmick ..as it is all around...<br /><br />secondly, my impression towards the team of chittha charcha is bit hazy...nowस्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-79663475378982847242010-01-08T20:43:55.186+05:302010-01-08T20:43:55.186+05:30"साड़ी हमारी पहचान है...गाय हमारी माता है...&..."साड़ी हमारी पहचान है...गाय हमारी माता है..." kya isme kisee ko koi shanka hai kya?तनु श्रीhttps://www.blogger.com/profile/08137749476720593975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-89665951941794738202010-01-08T20:31:41.685+05:302010-01-08T20:31:41.685+05:30मुझे तो वह भ्रम हो गया है की नारी बीच साड़ी है कि ...मुझे तो वह भ्रम हो गया है की नारी बीच साड़ी है कि साड़ी बीच नारी है ......एक ओर साड़ी एक ओर नारी ......मारी गयी मति विचारी .Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-6816221315710138402010-01-08T20:31:25.344+05:302010-01-08T20:31:25.344+05:30मेरे जीवनकाल में मेरा नाम लुप्त हो जाए, कोई दुख नह...मेरे जीवनकाल में मेरा नाम लुप्त हो जाए, कोई दुख नहीं। सारे तमगे, प्रमाणपत्र अपने न होकर किसी अजनबी के चुराए हुए लगें, कोई दुख नहीं, किन्तु हमारी संस्कृति की रक्षक साड़ी लुप्त न हो, इस प्रयास में मुझे सतत लगे रहना चाहिए। लगी हुई हूँ, लगी रहूँगी। किन्तु अगली पीढ़ी पर यह कर, वह कर, संस्कृति की रक्षा कर(वह भी केवल स्त्री के कंधे पर रखकर बन्दूक चलाते हुए और निशाना भी उसे ही बनाते हुए) आदि का बोझ नहीं ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-16956290137157102662010-01-08T19:51:48.158+05:302010-01-08T19:51:48.158+05:30@mithilesh
please read your post again and see th...@mithilesh <br />please read your post again and see the same view expressed by three female there .<br /><br />@ADA ji <br />क्या साड़ी का लुप्त हो जाना सही होगा ?? ) <br />is this is the same senetence which you write ? i think thats create a confusion.thats why sujata write <br />साड़ी के लुप्त हो जाने की कोई सम्भावना मुझे दूर दूर तक नही दिख रही .<br />i dont know why you are reacting in tarannumhttps://www.blogger.com/profile/16972054059857840983noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-53095715887079521962010-01-08T19:23:47.367+05:302010-01-08T19:23:47.367+05:30(मैं आज साड़ी कि हिमायत करने जा रही हूँ परन्तु एक...<b>(मैं आज साड़ी कि हिमायत करने जा रही हूँ परन्तु एक बात स्पष्ट कर देना चाहती हूँ कि मैं यहाँ यह हरगिज नहीं कह रही कि सबको प्रतिदिन साड़ी पहननी चाहिए ...इतनी तो पहननी ही चाहिए कि उसका अस्तित्व बना रहे.... कम ही पहने लेकिन पहने...आप अपनी मर्ज़ी से पहनें ...और ख़ुद के विवेक से ही काम लें ...और इतना ज़रूर सोचें....कि क्या साड़ी का लुप्त हो जाना सही होगा ?? )</b> <br /><br />मेरे आलेख की शुरुआत स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-9016957968929695942010-01-08T19:21:41.088+05:302010-01-08T19:21:41.088+05:30@मिथिलेश दुबे, यह चर्चा सुजाताजी ने की है। नोटपैड ...@मिथिलेश दुबे, यह चर्चा सुजाताजी ने की है। नोटपैड के नाम से उनका ब्लाग है, इसके अलावा वे चोखेरबाली ब्लॉग भी चलाती हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-74798215257546788652010-01-08T19:04:39.453+05:302010-01-08T19:04:39.453+05:30आप जो भी है चूकि आपका नाम तो यहाँ है नहीं , लेकिन ...आप जो भी है चूकि आपका नाम तो यहाँ है नहीं , लेकिन आपने जो किया वह कायरता से परिपूर्ण है । अरे कुछ करना है तो जरा साहस दिखाओ , ऐसे गीदडो जैसी चाल से कुछ नहीं हो पायेगा । और आपसे निवेदन है कि मेरे ब्लोग पर पुनः जायें और ये बातये कि मैने कहाँ कहा है कि नारी बस देवी और डायन के रुप मे ही होती है । और हाँ रही बात अदा जी की पोस्ट की तो उन्होने सही लिखा है , बाकी आपकी इक्षा साडी पहने,सकर्ट पहने या कुछ भीMithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-35218399391496884192010-01-08T18:49:05.672+05:302010-01-08T18:49:05.672+05:30@ नोट पैड
कारण जो भी रहे हों इंसानों नें तन ढ़कने...@ नोट पैड <br />कारण जो भी रहे हों इंसानों नें तन ढ़कने की शुरुआत खाल और छाल से की थी ! ज्ञान और तकनीक के परिष्कार /बदलाव के साथ साथ सब कुछ जस का तस कहां रह पाता है ? <br />जीवन शैली / अभिरूचियां / समाज , सभी कुछ तो बदलना तय है फिर वस्त्र विन्यास की खास शैली अपरिवर्तित और स्थायी बनी रहे ऐसा संभव तो नहीं लगता ! हां ये जरुर है की सोशल कंडिशनिंग किसी अभिरुचि / किसी विन्यास की उम्र थोड़ी लम्बी उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-50616726381860268692010-01-08T17:14:10.903+05:302010-01-08T17:14:10.903+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-35262593471763677092010-01-08T17:04:49.901+05:302010-01-08T17:04:49.901+05:30"साड़ी भारतीय महिला की फॉर्मल ड्रेस है और रहे..."साड़ी भारतीय महिला की फॉर्मल ड्रेस है और रहेगी ।"<br /><br />हां जी, मैक्सी तो इन्फ़ार्मल ड्रेस जो बन गया है :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-37892043185907877152010-01-08T15:03:15.110+05:302010-01-08T15:03:15.110+05:30ऐसी चर्चा पहली बार देख रहा हूँ, जिसमें चर्चाकार का...ऐसी चर्चा पहली बार देख रहा हूँ, जिसमें चर्चाकार का नाम ही नहीं है। शायद इसीलिए मुझे लग रहा है कि यह चर्चा दूसरी वाली पोस्ट के लिए ही लिखी गयी है, वर्ना यह ऐसा विषय है, जिसपर ब्लॉग जगत में बहुत कुछ लिखा जा रहा है।<br /><br />--------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है?</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">क्या सुरक्षा के Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.com