tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post5270354020856048755..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: मध्यान्हचर्चा दिनांक : 19-03-2007debashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-45503748561361297062007-03-19T20:23:00.000+05:302007-03-19T20:23:00.000+05:30समीरजी के अनुमोदन मेंकल फिर आना मित्र, तुम्हारी रा...समीरजी के अनुमोदन में<BR/><BR/>कल फिर आना मित्र, तुम्हारी राह तकेंगें<BR/>और लिखोगे तुम जो वो दस बार पढ़ेंगें<BR/><BR/>तुम धीमे से चिट्ठों की सांकल खड़काना<BR/>फिर हौले से अपना माऊस इधर घुमाना<BR/>पाओगे चिट्ठों को अपनी राह देखते<BR/>चर्चाके सोनहले सपने यार देखते<BR/>शायर होंगे खुद को कई बताने वाले<BR/>और चन्द होंगें जनता के ठेके वाले<BR/>कोई लेकर खड़ा शिकायत होगा पथ में<BR/>और समीक्षा होंगे कुछ राकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-18169711068290907432007-03-19T19:47:00.000+05:302007-03-19T19:47:00.000+05:30सच कहते हैं कि नियमितता तो कोई आपसे सीखे. :)कल पक्...सच कहते हैं कि नियमितता तो कोई आपसे सीखे. :)<BR/>कल पक्का आना फिर से...अब रोज निवेदन कर लिया करेंगे कि भईया, कल फिर आना!! :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com