tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post6262219215517226839..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: व्यंग्य जीवन से साक्षात्कार करता है!debashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-22999498418226580832009-05-25T11:39:56.481+05:302009-05-25T11:39:56.481+05:30this is such a great think by autherthis is such a great think by autherjeetuhttps://www.blogger.com/profile/05595619938400065598noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-3232595715250020472009-03-30T22:48:00.000+05:302009-03-30T22:48:00.000+05:30अब इस मन्थन से अमृत और विष दोनो निकलने लगे हैं। लग...अब इस मन्थन से अमृत और विष दोनो निकलने लगे हैं। लगे रहिए। जितना ही विरेचन हो जाय ठीक रहेगा। हाँ, निर्जलीकरण से बचने के लिए ओआरएस का घोल जरूरी है । सो आप दे ही रहे हैं। <BR/><BR/>हर-हर गंगे।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-64550553545431586602009-03-29T22:07:00.000+05:302009-03-29T22:07:00.000+05:30एक लाइना मजेदार रहाएक लाइना मजेदार रहाSatish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-62929905995937168412009-03-29T18:24:00.000+05:302009-03-29T18:24:00.000+05:30क्या केने क्या केनेक्या केने क्या केनेALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-59393303155598084032009-03-29T17:23:00.000+05:302009-03-29T17:23:00.000+05:30आज तो एक लाईना ने बाजी मार ली जी. हर हर नर्मदे.राम...आज तो एक लाईना ने बाजी मार ली जी. हर हर नर्मदे.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-68777580078837763362009-03-29T12:41:00.000+05:302009-03-29T12:41:00.000+05:30बढ़िया चर्चा रही. एक लाइना तो गजब रहती ही हैं. उसक...बढ़िया चर्चा रही. एक लाइना तो गजब रहती ही हैं. उसके बारे में नया क्या कहें? हम कहते बोर होंगे और आप सुनते.<BR/><BR/>बाकी, रही बात आपसी तू-तड़ाक की, तो यही कहना है कि ऐसा करने से लेखन का स्तर गिरेगा. और वैसे भी इस तरह की बातों से कुछ मिलने वाला नहीं. एक-दो दिन के लिए खुद को बड़ा साबित कर लेंगे. यह सोचते हुए संतुष्ट हो लेंगे कि; "मैंने पिछली पोस्ट में सामनेवाले को पटक दिया." <BR/><BR/>लेकिन ऐसा करनेShivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-80731648955404831312009-03-29T12:17:00.000+05:302009-03-29T12:17:00.000+05:30आदरणीय अनूपजी,पिछले बार तो हमने नाविक बनकर नाव चला...आदरणीय अनूपजी,<BR/>पिछले बार तो हमने नाविक बनकर नाव चला दी थी, मगर बार बार यह संभव नहीं है, इसीलिए दुखते-दिल से वाह वाह कर रहे हैं, और हम कर ही क्या सकते हैं ? आप तो पहले ही बता चुके हैं कि आचार संहिता लगी हुई है और उसी का फ़ायदा तो उठाया करते हैं लोग ।<BR/>आप बुरा मत मानियेगा, मगर आज हमको आपकी चिट्ठाचर्चा पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक और बहुत ही वाजिब लग रही है।<BR/>और अंत में:- जो आपने लिखा है ना,बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-967407447401675682009-03-29T11:19:00.000+05:302009-03-29T11:19:00.000+05:30चर्चा सचमुच बहुत बढिया रही,,,,,,एक दूसरे पर कीचड उ...चर्चा सचमुच बहुत बढिया रही,,,,,,एक दूसरे पर कीचड उछालने की अपेक्षा मिल बैठ कर मसला सुलझा लिया जाए तो ही बेहतर है...Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-39363126311721827952009-03-29T09:38:00.000+05:302009-03-29T09:38:00.000+05:30नर्मदे हर!नर्मदे हर!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1914535276166485502009-03-29T08:03:00.000+05:302009-03-29T08:03:00.000+05:30अब और लुक्की न लगायें और आप अलग रहे ! प्लीज !अब और लुक्की न लगायें और आप अलग रहे ! प्लीज !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-36458699710476447812009-03-29T07:00:00.000+05:302009-03-29T07:00:00.000+05:30अच्छी चर्चा रही .अच्छी चर्चा रही .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-87493389464360540072009-03-29T06:47:00.000+05:302009-03-29T06:47:00.000+05:30अनूप जीजैसा किसी ने टीप दी है कि मै ही उस नाव में ...अनूप जी<BR/>जैसा किसी ने टीप दी है कि मै ही उस नाव में सवार नहीं था न ही पहले से उस नाव में मुझे सवार माना गया था . इन महोदय द्वारा पहले से ही मेरी छबी खराब करने कि पुरजोर कोशिश की गई है . हमेशा ये जनाब हर बात को अपने ऊपर ले लेते है यही इनकी खराबी है जबकि मैंने कभी इनके नाक का प्रयोग नहीं किया है .. आज निरंतर देखे जिसमे जबलपुर के ब्लागरो से सम्बन्ध समाप्त करने की घोषणा कर दी है और संभव हुआ तो समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-33065869622626290272009-03-29T06:46:00.000+05:302009-03-29T06:46:00.000+05:30एक लाइना रोचक है । विवाद पर आपने यहां लिखा, जरूरी ...एक लाइना रोचक है । विवाद पर आपने यहां लिखा, जरूरी था । मैं तो समझ ही नहीं पा रहा हूं इसे ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-48828065238116588992009-03-29T06:27:00.000+05:302009-03-29T06:27:00.000+05:30hamesha ki tarah 'Jankariyo' ki JAANKARI.&...hamesha ki tarah 'Jankariyo' ki JAANKARI.<BR/>'Vyang' ke upar 'VYANG'<BR/><BR/>& Chitton ke upar ek 'CHITTA'.<BR/><BR/>Apki posts se hi to pata lagat hai hi aaj kaun so rachnaiyen padhni chahiye ayr kyun?दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-84642960589233165162009-03-29T06:09:00.000+05:302009-03-29T06:09:00.000+05:30यह क्या है .. यह आदि है या अंत है ?इसके आगे भी कुछ...<I><BR/>यह क्या है .. यह आदि है या अंत है ?<BR/>इसके आगे भी कुछ हो सकता है, क्या ?<BR/>परस्पर परिहास एवं व्यंग्य के बीच की बारीक सीमारेखा को अनायास लाँघ जाने का मतलब ?<BR/>क्या इसी तरह अपनी हिन्दी हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तानियों को एक सूत्र में पिरो रही है ?<BR/>यहाँ तो स्वस्थ बहस का टोटा है..<BR/>मुद्दे पर बहस मायने व्यक्तित्व पर विवाद..<BR/>विज्ञजनों को तो सनातन से तर माल ही भाता रहा है, अरुचि डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-78107196606162012252009-03-29T02:23:00.000+05:302009-03-29T02:23:00.000+05:30यदि कटु हो तो वह व्यंग्य नहीं रह जाता। एक लाइना गज...यदि कटु हो तो वह व्यंग्य नहीं रह जाता। एक लाइना गजब हैं।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-1140049596328206542009-03-29T01:26:00.000+05:302009-03-29T01:26:00.000+05:30@ "मुकुल:प्रस्तोता:बावरे फकीरा " आपसे सहमत।@ "मुकुल:प्रस्तोता:बावरे फकीरा " <BR/><BR/>आपसे सहमत।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-90079625607964122462009-03-29T01:16:00.000+05:302009-03-29T01:16:00.000+05:30कविता जी मामला साहित्यिक आलोचना का नहीं अगर आपने ज...कविता जी <BR/>मामला साहित्यिक आलोचना का नहीं अगर आपने ज़रा सा भी ध्यान दिया हो तो <BR/>मेरा स्पष्ट मत था कि आलेख/पोस्ट पर प्रतिकूल टिप्पणियाँ आलोचनाएं सिरोधार्य हैं किन्तु <BR/>शारीरिक विकृति पर टिप्पणी उस ईश्वर की आलोचना है जो शरीर का रचना कार है <BR/>एक बात और उजागर करनी ज़रूरी है कि विक्टिम को अपराधी मन लेने के पूर्व <BR/>तथ्य को समझने की ज़रुरत होती है . आपका पुन: आभारी हूँ कि संवेदनशीलता से बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-64081560878389476382009-03-29T01:06:00.000+05:302009-03-29T01:06:00.000+05:30जो भी हो आपने चर्चा में बिलकुल सही और ज़रूरी बिंदु...जो भी हो आपने चर्चा में बिलकुल सही और ज़रूरी बिंदु अंकित किये हैं <BR/>जहां तक मसला नाव का है सो सारे प्रयास इस लिए थे कि समझदारी से काम लिया जाए <BR/>न तो नाव में छेद था न ही नाविक गायब है वास्तव में उस नाव पर सवार लोगों में <BR/>जो नहीं थे वो आज भी रचनात्मकता के लिए समर्पित बिरादरी में नहीं हैं .<BR/>आज मैंने मामले को बिना दबाए सभी को मेल भेजकर किसी के संकेतों का खुलासा <BR/> किया जो ज़रूरी बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-61576084715681582172009-03-29T01:04:00.000+05:302009-03-29T01:04:00.000+05:30सही कहा आपने। एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के खेल से, फ...सही कहा आपने। एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के खेल से, फेंकने वाला और पाने वाला, दोनों की ही भद्द तो होती ही है, अन्य लोगों की सहज ही ऐसे मामलों में दोनों पक्षों से अरुचि भी हो जाती है। यह एक सर्वसामान्य सामाजिक नियम है, जो अमूमन मामलों में देखा गया है।<BR/>चर्चा के मंच से की गई इस अपील पर आशा है सभी ध्यान देंगे।<BR/><BR/>एक लाईना की पूर्तियाँ रोचक और लज्जतदार हैं। लिज्जत पापड़ वाले कहीं दावा न ठोंक देंKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-90105527471692909022009-03-29T00:38:00.000+05:302009-03-29T00:38:00.000+05:30एक लाइना ...बहुत जबरजस्त है ...मजेदारएक लाइना ...बहुत जबरजस्त है ...मजेदारअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-77037406733867444212009-03-29T00:31:00.000+05:302009-03-29T00:31:00.000+05:30हंसी हंसी में गहरी बात कह जाना आप की विशेषता है , ...हंसी हंसी में गहरी बात कह जाना आप की विशेषता है , गुरु जी, आशा है जबलपुरिये आप की बात से सहमत होगें। एक लाइना तो हैं ही जबरदस्त<BR/>मैं बेरोजगार हूं मुझे नौकरी दे दो :क्या फ़ायदा नौकरी तो फ़िर छूटनी ही है, बेरोजगारी स्थायी है! <BR/><BR/>सत्य वचन महाराज आज कल तो बहुत से आप से सहमत होगेंAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.com