tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post7082404478857276355..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: काम अपना छोड़ के टिपियाने की ज़रूरत क्या थीdebashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-79127260854747735282008-10-04T22:32:00.000+05:302008-10-04T22:32:00.000+05:30आदरणीय अनूप जी,आज ४ अक्टूबर को `हंगामा खड़ा करना म...आदरणीय अनूप जी,<BR/><BR/>आज ४ अक्टूबर को <A>`हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही’</A> पढ़कर उसपर शुरुआती टिप्पणी ठेलकर मैं ऑफ़िस चला गया। शाम को दुबारा लौटा तो आगे की टिप्पणियों से यह पता चला कि एक दिन पहले की चर्चा पर बवाल कट रहा है।<BR/><BR/> मैने झटपट चूहे को इधर दौड़ा दिया। यहाँ आकर मुझे जो आनन्द आया है, उसके लिए मैं आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। आप कहाँ और किस पते पर मिलेंगे गुरू जी..सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-23024600084912097792008-10-03T22:53:00.000+05:302008-10-03T22:53:00.000+05:30अब क्या कहें, हम कुछ कह देंगे तो बुझती आग भड़क उठे...अब क्या कहें, हम कुछ कह देंगे तो बुझती आग भड़क उठेगी और हम शान्ति के पक्षधर हैं. महाभारत करना और कराना पुरुषों का काम नहीं. <BR/>हम तो वो धूल हैं जिसे कोई ठोकर भी मार दे तो उससे यही पूछते हैं - आप को कहीं चोट तो नहीं न लगी.E-Guru Rajeevhttps://www.blogger.com/profile/06293252751228301745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-17403213601408995982008-10-03T22:49:00.000+05:302008-10-03T22:49:00.000+05:30"आपका क्या कहना है?"हमारा कहना यह है कि आप कहना जा..."आपका क्या कहना है?"<BR/><BR/>हमारा कहना यह है कि आप कहना जारी रखें. आप कहते हैं तो चिट्ठों के वे कोण नजर आ जाते हैं जो छुपे रहते हैं.<BR/><BR/>हां एकलाईना तो एकदम गजब है.<BR/><BR/>लिखते रहें!!<BR/><BR/>-- शास्त्रीShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-62695463681075683602008-10-03T21:22:00.000+05:302008-10-03T21:22:00.000+05:30आज की चर्चा तो वाकई जबर्दश्त है :)आज की चर्चा तो वाकई जबर्दश्त है :)Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-58780203691563159302008-10-03T19:43:00.000+05:302008-10-03T19:43:00.000+05:30आज की कुछ गुफ्तगू भेज रहा हूँ......कुछ ब्लोगों के ...आज की कुछ गुफ्तगू भेज रहा हूँ......कुछ ब्लोगों के दरमियाँ की .....<BR/><BR/>कम अपना छोड़ के टिपियाने की क्या जरुरत थी =मेरी मर्जी <BR/>मै मन्दिर क्यों नही जाता =अरे दगाबाज थारी बतिया कह दूँगी <BR/>एक दिन का मौन व्रत = ओर अधिक मौन न रहा जाये<BR/>इस देश के हालात से बापू उदास है =अब हर फ़िक्र को धुंए में कैसे उडायेगे<BR/>क्या तुम्हे इस धरती पर अब भी खोजा जा सकता है -मिला वो भी नही करते <BR/>तुम बहुत डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-16469300949953682472008-10-03T19:21:00.000+05:302008-10-03T19:21:00.000+05:30अनूप जी हंस भी रही हूं और लिख भी रही हूं। मेरी रचन...अनूप जी हंस भी रही हूं और लिख भी रही हूं। मेरी रचना की लाइन पर आपने जो वन लाइना लिखा है पढ़कर हंसी थम ही नही रही क्या करुं। मजा आ गया।PREETI BARTHWALhttps://www.blogger.com/profile/07147371640692507101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-5488583788582331692008-10-03T19:20:00.000+05:302008-10-03T19:20:00.000+05:30जय हो गुरुदेव ! कहाँ भ्रमण कर आए आप ? दर्शन दुर्लभ...जय हो गुरुदेव ! कहाँ भ्रमण कर आए आप ? दर्शन दुर्लभ और <B>एखाने शोब किछू गन्डोगोल होए गाछे ! आपनि बाईरे जाछेन केनु ? बोलून तो !</B>ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-25546875991635650382008-10-03T18:45:00.000+05:302008-10-03T18:45:00.000+05:30क्या चाहते हो आप लोग,एक दो दिन को भी बाहर न जाऊँसब...<I>क्या चाहते हो आप लोग,<BR/>एक दो दिन को भी बाहर न जाऊँ<BR/>सब काम छोड़ कर बैठा रहूँ, यहीं ... <BR/><BR/>मतांतर पर तो बहस हो सकती है, ताल ठोक कर !<BR/>पर अब फिर से लिंगातर पर क्यों सिर धुना रहा है ? <BR/>क्रोध आशले आमि शाप देबो..'अल्लाह, इन सबको तालिबान बुला ले ।'<BR/><BR/>स्त्री आख़िर सदैव अपने को पुरुषों के नीचे पड़े होने का ही गुमान क्यों रखा करती है ? <BR/>इसके आगे और भी जहाँ हैं.,.. इस कायनात डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-65668227882687935892008-10-03T18:10:00.000+05:302008-10-03T18:10:00.000+05:30इतनी बढ़िया तो चर्चा है-आज और कल वाली दोनों ही!!!इतनी बढ़िया तो चर्चा है-आज और कल वाली दोनों ही!!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-17211146846546930572008-10-03T14:26:00.000+05:302008-10-03T14:26:00.000+05:30@कुश एक खुबसूरत ख्याल !जब मैं लिखने आया तो अभियक्त...@कुश एक खुबसूरत ख्याल !<BR/>जब मैं लिखने आया तो अभियक्ति की स्वतंत्रता के साथ साथ वरिष्ठ लेखकों से प्यार की भी उम्मीद थी ! नेस्बी को मैंने अपने पसंद के लेखन में (लाइट ले यार ) में लिंक किया हुआ है ! बहुत अच्छा प्रयास है ! <BR/><BR/>@अनूप भाई,<BR/>जब यह कविता लिखी तो मजाकिया मूड में ही लिखी गयी, किसी भी ब्लाग के बारे में सोच कर लिखने का सवाल ही नही आया था ! यह सच है कि मैं हर भावना का पूरा सम्मान Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-15718540269119163372008-10-03T13:28:00.000+05:302008-10-03T13:28:00.000+05:30भाई satiish सक्सेना जी आपका धन्यवाद की आपने ताऊ की...भाई satiish सक्सेना जी आपका धन्यवाद की आपने ताऊ की समस्या उठाई ! पर यहाँ तो लोग ताई की तरफ़<BR/>ध्यान ही नही दे रहे हैं जो दो दो जर्मन मेड लट्ठ लिए जब चाहे ताऊ पर फटकारती ही रहती है :) और भाई जब तक अपने को एक दो लट्ठ नाश्ते में नही मिल जाते तब तक लंच की इच्छा नही होती ! :) और मजेदार बात ये की लट्ठ ताई को दिलवाया जर्मनी आले भाटिया जी नै ! तो भाईयो और बहणो , मेरी बात सुनो , नारी पुरूष दोनों से हीताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-64947450492572689722008-10-03T13:19:00.000+05:302008-10-03T13:19:00.000+05:30यह जेण्डर निरपेक्ष चिच पसन्द है।<B>यह जेण्डर निरपेक्ष चिच पसन्द है।</B>Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-74288131065162307162008-10-03T12:51:00.000+05:302008-10-03T12:51:00.000+05:30आपको टुकड़ों में किया मजाक दिखा लेकिन सतीश सक्सेना ...आपको टुकड़ों में किया मजाक दिखा लेकिन सतीश सक्सेना की पूरी लाइन नहीं दिखी। जिसका कि वहां पर लिंक भी दिया है।<BR/>unki kavita kaa jwaab kal hi diya thaa naari blog par kavita sae aur uska link bhi pichli charcha mae chodaa thaa , ab aap nae nahin padhaa to kyaa karu unhoney padh bhi liyaa aur jwaaba bhi diyaa haen <BR/>charcha ki pichli kadii par link haen satish ji ko jwaab kaa <BR/>baaki maeri Rachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-32838865285830200912008-10-03T11:53:00.000+05:302008-10-03T11:53:00.000+05:30बढ़िया है जी...बढ़िया है जी...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-13623973485435990502008-10-03T11:46:00.000+05:302008-10-03T11:46:00.000+05:30१.रचनाजी, निंदा करें, करती रहें। हमें निंदा से कोई...१.रचनाजी, निंदा करें, करती रहें। हमें निंदा से कोई कष्ट नहीं है। अच्छा ही लगता है, हमें भी कुछ मौके मिलते हैं अपनी बात कहने के।<BR/><BR/>२. अनुरोध है कि निंदा करते समय मन और आंखे खुली रखें। <BR/><BR/>३. यह आपका भ्रम है , पूर्वाग्रह है और आपकी अपनी एकांगिक सोच है कि <B>"हम धूल उड़ा दें दुनिया की हम बात तुम्हारी क्यों मानें ?" </B> लिखते समय मेरे मन में कहीं से भी चोख्रेरबाली की टैग लाइन रही होगी।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-27844174459245580382008-10-03T11:37:00.000+05:302008-10-03T11:37:00.000+05:30हम तो कहे है अनूप जी आप तो बस लिखते जाइए जो मन में...हम तो कहे है अनूप जी आप तो बस लिखते जाइए जो मन में आए... और सतीश जी नारी विषय किसी की बपौती तो है नही.. आप भी बेधड़क लिखिए.. जो आपको लिखना हो.. भैया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का माध्यम ही तो ब्लॉग है.. वहा भी अंकुश लग गया तो कैसन चलेगा.. <BR/><BR/>भई हम तो हमारे ब्लॉग "नेसबी" पर खूब लिखते है और लिखवाते भी है.. क्योंकि हमारा मानना है की नारी नेसबी है.. यानी की आँखो को सुकून देने वाली.. क्या करे अब कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-58800003552968981302008-10-03T11:13:00.000+05:302008-10-03T11:13:00.000+05:30nice charcha.nice charcha.जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-59805466826371334362008-10-03T10:59:00.000+05:302008-10-03T10:59:00.000+05:30भाँति भाँति व भ्रान्तिनिवारण और उपायचर्चा चालू राख...भाँति भाँति व भ्रान्ति<BR/>निवारण और उपाय<BR/>चर्चा चालू राखिए <BR/>कल पढ़ते हैं आयKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-83554520791467372602008-10-03T10:01:00.000+05:302008-10-03T10:01:00.000+05:30सतीश जी आप से मेने नहीं अनूप जी स्पष्टीकरण माँगा ह...सतीश जी आप से मेने नहीं अनूप जी स्पष्टीकरण माँगा हैं . मेने कमेन्ट उनके चर्चा पर किया था .Rachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-46353770359286345252008-10-03T09:53:00.000+05:302008-10-03T09:53:00.000+05:30एक कहावत हैं " निंदक नियरे राखिये " मुझे वाही समझ ...एक कहावत हैं " निंदक नियरे राखिये " मुझे वाही समझ ले . और लिंग { जेंडर } पोस्ट मे तो क्या ब्लॉग मे भी देखने का चश्मा हैं आप के पास अन्यथा पिछली चर्चा मे एक लाइन मे आप ये ना लिखते <BR/><BR/>हम बुलबुल मस्त बहारों की, हम बात तुम्हारी क्यों मानें ? : हम धूल उड़ा दें दुनिया की हम बात तुम्हारी क्यों मानें ?<BR/><BR/>क्युकी चोखेर बाली की टैग लाइन हैं <BR/><BR/>धूल तब तक स्तुत्य है जब तक पैरों तले दबी हैRachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-67236464015670249222008-10-03T09:38:00.001+05:302008-10-03T09:38:00.001+05:30मुझे बहुत खेद है की स्त्री विषय को कुछ महिला लेखको...मुझे बहुत खेद है की स्त्री विषय को कुछ महिला लेखकों ने अपना पेटेंट ही नही बना लिया बल्कि उस पर किसी और को लिखने की इजाज़त ही नही देतीं ! मैंने यह भी महसूस किया है कि अच्छे अच्छे लेखक भी इसी भय के कारण महिला विषयों पर लिखने से परहेज करते हैं ! रचना जी को इस पर बिना पक्षपात के सोचना चाहिए ....<BR/>महिलाओं के बिना हमारा क्या अस्तित्व है ?? क्या यह भी अब बताने की आवश्यकता है....मगर महिला विषय हम Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-10421020894491396082008-10-03T09:38:00.000+05:302008-10-03T09:38:00.000+05:30ati sundar charchaati sundar charchaबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-64136770876375147702008-10-03T08:38:00.000+05:302008-10-03T08:38:00.000+05:30smeeksha ke jariye kafi kuch kah diya aapne..........smeeksha ke jariye kafi kuch kah diya aapne.......goodmanvinder bhimberhttps://www.blogger.com/profile/14360004004976420055noreply@blogger.com