tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post9061086440427823632..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: हिंदी का गोर्की, निरापद लेखन और टिप्पणी/प्रतिटिप्पणीdebashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-80655171050611808792009-06-19T06:57:55.994+05:302009-06-19T06:57:55.994+05:30सन्दर्भों से कुछ कटा कटा समझने की कुश अररर कोशिश क...सन्दर्भों से कुछ कटा कटा समझने की कुश अररर कोशिश कर रहा हूँ !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-30394802361589678922009-06-18T23:30:01.678+05:302009-06-18T23:30:01.678+05:30चिट्ठा-चर्चा या टिप्पणी-चरचा?
दिल्चस्प बहस किंतुचिट्ठा-चर्चा या टिप्पणी-चरचा?<br />दिल्चस्प बहस किंतुगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-60825332920204039162009-06-18T16:44:10.933+05:302009-06-18T16:44:10.933+05:30कुश के लेखन की सेण्टीमेण्टालिटी परेशान करती है। अप...कुश के लेखन की सेण्टीमेण्टालिटी परेशान करती है। अपनी परिस्थितियां ही विकट हैं कि यह झेलना कष्टप्रद होता है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-8656820199826980712009-06-18T15:49:07.843+05:302009-06-18T15:49:07.843+05:30क्या दो लोगो का पसंदीदा विषय एक नहीं हो सकता ? क्य...क्या दो लोगो का पसंदीदा विषय एक नहीं हो सकता ? क्या दो लोगो की शैली एक जैसी नहीं हो सकती? कई सालो तक मुझे लगा कि फिल्म 'मेरे अपने' हृषिकेश मुखर्जी ने बनायीं है.. छोटी सी बात भी मुझे उनकी ही फिल्म लगी.. बाद में पता चला कि वो क्रमश:गुलज़ार साहब और बासु दा ने बनायीं थी... मुझे खट्टा मीठा,गोलमाल, छोटी सी बात, आनंद, अंगूर, परिचय, खूबसूरत जैसी फिल्मे एक ही जोनर की लगती है.. पर आप भी जानते है किकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-608197440156032512009-06-18T15:48:46.249+05:302009-06-18T15:48:46.249+05:30अनूप जी, आपकी टिपण्णी मेरे लिए उतनी ही मत्वपूर्ण ह...<b>अनूप जी,</b> आपकी टिपण्णी मेरे लिए उतनी ही मत्वपूर्ण है जितनी <b>सुमन्त जी</b> की.. पाठक को पूरा अधिकार होता है किसी भी लेख से सहमत या असहमत होने का.. और आपकी बेबाक टिपण्णी का मैं स्वागत भी करता हूँ.. यकीन मानिए मुझे बहुत ख़ुशी होती है जब मुझे इस तरह की टिप्पणिया मिलती है.. इन्ही की वजह से मैं सीखता जा रहा हूँ.. आशा है भविष्य में भी यु ही आपका मार्गदर्शन मिलता रहेगा.. <br /><br />आपने क्लोनिंगकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-88375843243086953032009-06-18T10:49:39.585+05:302009-06-18T10:49:39.585+05:30सँचार तकनीशियनों के क्रूर उपेक्षा स्वरूप कल निट्ठल...<i><br />सँचार तकनीशियनों के क्रूर उपेक्षा स्वरूप कल निट्ठला नेटच्युत रहा ।<br />आज नेटासीन होते ही बेहतर सँवाद स्थापित कायम करने में सक्षम एक अच्छी चर्चा पढ़ने को भेंटायी ।<br />कहने को कुछ बचा ही नहीं हैं, सब लोग काफ़ी कुछ कह चुके हैं ।<br />आज तो यहाँ साधुवाद फैलाने का बनता है, पर..<br />चर्चा तो लगता है कि अपना बिस्तर समेट चुकी,<br />नवी चर्चा बस आने को ही है, शायद ?<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-43793869802465458972009-06-18T01:22:13.709+05:302009-06-18T01:22:13.709+05:30अनूप जी आपने हमें इलाहाबाद के कार्यशाला में अस्सी ...अनूप जी आपने हमें इलाहाबाद के कार्यशाला में अस्सी नब्बे पूरे सौ की कहानी सुनाई थी <br />आज जब मैंने गिनना शुरू किया की मैं कितने ब्लॉग का अनुसरण कर रहा हूँ तो वो कहानी याद आ गई <br />क्योकि संख्या पूरी १०७ है :)<br />सोचा आपसे बता कर मौज ली जाये पता नहीं ले पाया या नहीं :) बतायेगे तो कृपा होगी :)<br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-2875693748732940712009-06-18T01:20:09.776+05:302009-06-18T01:20:09.776+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.वीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-13634672691031101662009-06-18T00:03:55.320+05:302009-06-18T00:03:55.320+05:30निरापद टिप्पणी -कल की चर्चा शिवकुमार मिश्रजी कल की...निरापद टिप्पणी -कल की चर्चा शिवकुमार मिश्रजी कल की चर्चा शिवकुमार मिश्रजी कल की चर्चा शिवकुमार मिश्रजी कल की चर्चा शिवकुमार मिश्रजी कल की चर्चा शिवकुमार मिश्रजी कल की चर्चा शिवकुमार मिश्रजी ......:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-66048507291380217282009-06-17T23:42:14.439+05:302009-06-17T23:42:14.439+05:30मेरी टिप्पड़ी उस कहानी से जुड़े वृहत सामाजिक परिवे...<b>मेरी टिप्पड़ी उस कहानी से जुड़े वृहत सामाजिक परिवेश को दृष्टि में रखकर थी फिर भी अनूप जी या किसी को अनुचित लगी हो तो मै क्षमाप्रार्थी हूँ। सुमन्त मिश्र’कात्यायन’</b><br />सुमन्तजी, आपकी टिप्पणी किसी भी तरह अनुचित नहीं लगी। बल्कि टिप्पणी उचित लगी इसीलिये यहां चर्चा में सबके पढ़ने के लिये पेश किया। अनुचित जो लगा वह आपका क्षमाप्रार्थना करना। अगर चर्चा में माडरेटर लगा होता तो मैं बिना <b> अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-16114855988713919392009-06-17T23:34:11.867+05:302009-06-17T23:34:11.867+05:30तब तक आप मजे करिये।
लिखिये, लिखाइये! मौज मनाइये! ...तब तक आप मजे करिये। <br />लिखिये, लिखाइये! मौज मनाइये! मस्त रहिये! <br /><br />आजकल कुछ लोगों को इन दो लाइन में घोर विरोधाभास नजर आ रहा है <br /><br />वीनस केसरीवीनस केसरीhttps://www.blogger.com/profile/08468768612776401428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-16342240054146601792009-06-17T22:34:23.274+05:302009-06-17T22:34:23.274+05:30निरापद में भरपूर
पर नहीं दिखा दूर
पद या पद्य क्यो...निरापद में भरपूर<br />पर नहीं दिखा दूर<br />पद या पद्य क्यों<br />मेरी आंख दोषी।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-64495132548239735712009-06-17T21:55:26.106+05:302009-06-17T21:55:26.106+05:30अनूप जी मैं बहुत संवेदनशील व्यक्ति हूँ और अब उम्र ...अनूप जी मैं बहुत संवेदनशील व्यक्ति हूँ और अब उम्र के ५८ वें वर्ष में सुधरना भी नहीं चाहता। जब मुझसे कोई कहता है कि be practical तो मुझे लगता है कि जैसे यह संकेत दिया जारहा है कि सिद्धान्त किनारे रख भ्रष्ट हो जाओ, या don't be panicy तो मुझे लगता है कि मानो कहा जारहा है कि संवेदनाहीन हो जाओ। ऎसे कई और मैक्सिम गढ़े गये है। यह सब मित्र ही कहते हैं और शायद ठीक ही कहते होंगे। इस पर भी इस प्रकार की सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’https://www.blogger.com/profile/14324507646856271888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-58583144179625221922009-06-17T20:51:35.837+05:302009-06-17T20:51:35.837+05:30संक्षिप्त होते हुए भी अच्छी चर्चा है। हाँ, डॉ. अनु...संक्षिप्त होते हुए भी अच्छी चर्चा है। हाँ, डॉ. अनुराग भी अब विषय तलाशने लगे क्या। उन के लेखन से अधिक तो बीच में रिक्त छूटे स्थान प्राणवान होते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-22736967165383147752009-06-17T20:28:58.981+05:302009-06-17T20:28:58.981+05:30सोचते है किस पर लिखे ....धोनी की बदलती बटिंग शैली ...सोचते है किस पर लिखे ....धोनी की बदलती बटिंग शैली पे... या अपने धोबी की फोटो लेकर कोई पहेली बना कर डाल दे के पहचान कौन ?. .या शायनी आहूजा की पत्नी की प्रेस कांफ्रेंस पे.. या मेरठ शहर में कारोबार में मजहब के इस्तेमाल पे .....या मिलावटी दूध पे.या अपनी कोई किताब उठाकर फलां कीडे काटने के इलाज़ पे लिखे ...फोटो समेत .इतने कीडे है की महीनो एक पोस्ट रोज बनेगी.....या कल देर रात देखी पिक्चर पे डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-28379975655131520482009-06-17T12:51:24.905+05:302009-06-17T12:51:24.905+05:30क्या ब्लोगिंग केवल साहित्य आधारित ही होगी
और उन्ही...क्या ब्लोगिंग केवल साहित्य आधारित ही होगी<br />और उन्ही की चर्चा होगी . आप सही हैं की आप<br />जो पढ़ सकते हैं / पाते हैं उसी की चर्चा करते हैं<br />पिछले कुछ दिनों मे हिंदी ब्लॉगर बलात्कार<br />के विषय पर निरंतर अपना नजरिया <br />दे रहे हैं , क्या एक चर्चा कार की नज़रिये से <br />आप को उन ब्लोग्स को भी देखना चाहिये <br />like dr kumarendra and albela khatri <br /><br />और शिव और ज्ञान का नाम ना Rachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-75291594450151572192009-06-17T12:12:43.936+05:302009-06-17T12:12:43.936+05:30कुश सुमन्तजी की टिप्पणी सटीक लगी इसीलिये इसे यहां ...कुश सुमन्तजी की टिप्पणी सटीक लगी इसीलिये इसे यहां पोस्ट करना जरूरी लगा। <b>ड्रामेबाजी </b> शब्द कुछ ज्यादा कड़ा और गैरजरूरी लगा था मुझे इसीलिये फ़िर उसको स्पष्ट करने का प्रयास करना पड़ा। आम जिंदगी में इस तरह की घटना होने पर किसी के प्रति इस तरह की बात करना घटियापन है और कृत्घनता भी जैसा कि सुमन्त जी ने लिखा। लेकिन एक लेखक के रूप में कुश से हमारी और कुछ अपेक्षायें भी हैं इसीलिये यह टिप्पणी की। वियोगअनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-16602467914935158262009-06-17T11:59:07.862+05:302009-06-17T11:59:07.862+05:30समीरलालजी, माफ़ी मांगने से बिल्कुल नहीं चलेगा। माफ़ी...समीरलालजी, माफ़ी मांगने से बिल्कुल नहीं चलेगा। माफ़ी हमारे स्टाक में नहीं न हम उसके लिये अधिकृत हैं। मुस्कराते हुये माफ़ी मांगना जले पर नमक छिड़कना है। आप नियमित चर्चा करने के अपने दिये हुये वायदे को पूरा करने के लिये कमर कसें और चर्चा का नारियल दुबारा फ़ोडिये। <br /><br />रचनाजी, इस चर्चा में शुरुआत उदयप्रकाश की पोस्ट से हुई, फ़िर विक्रम सिंह की पोस्ट बाद में कुश की पोस्ट का टिप्पणी/प्रतिटिप्पणी के अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-45977456080630224612009-06-17T11:43:36.448+05:302009-06-17T11:43:36.448+05:30टिपण्णी प्रति टिपण्णी में इस विषय को देखना सुखद रह...टिपण्णी प्रति टिपण्णी में इस विषय को देखना सुखद रहा.. मुझे सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’ जी की टिपण्णी बिलकुल सटीक लगी.. उन्होंने वो सबकुछ कहा दिया जो मैं कहानी मैं नहीं कहा पाया.. वैसे मैं कहता भी तो शायद अनूप जी को ड्रामेबाजी का अंश और अधिक लग सकता था.. :)कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-26756268043861809242009-06-17T09:14:27.628+05:302009-06-17T09:14:27.628+05:30माफी मांग लेता हूँ इसे खुले मंच से.. :) अब मुस्करा...माफी मांग लेता हूँ इसे खुले मंच से.. :) अब मुस्कराने से चल जायेगा क्या?Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-17046487090495416052009-06-17T09:10:44.532+05:302009-06-17T09:10:44.532+05:30शिव और ज्ञान से ऊपर तो कुछ होता ही नहीं
हैं शायद ...शिव और ज्ञान से ऊपर तो कुछ होता ही नहीं <br />हैं शायद इसीलिये आप की चर्चा का सेण्टर पॉइंट<br />हमेशा वहीं होता हैं वही से दुनिया शुरू और <br />ख़तम होती हैं चर्चा कीAnonymousnoreply@blogger.com