tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post9184979296170693268..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: एग्रीगेटर चर्चाdebashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-35754454223946335632015-05-06T00:06:40.371+05:302015-05-06T00:06:40.371+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.viram Singhhttp://khojkhabr2.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-19595738408140714972007-12-09T22:58:00.000+05:302007-12-09T22:58:00.000+05:30चिट्ठाजगत में जो सुविधायें हैं वे वर्गीकरण की हैं।...चिट्ठाजगत में जो सुविधायें हैं वे वर्गीकरण की हैं। पुराने सारे फ़ीचर तो उपलब्ध हैं वहां भाई। रविरतलामीजी जैसा बता रहे हैं वह सच है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-53303273007494425522007-12-09T18:01:00.000+05:302007-12-09T18:01:00.000+05:30प्रिय संजयमनुष्य जिन चीजों का उपयोग करता है उनका आ...प्रिय संजय<BR/><BR/>मनुष्य जिन चीजों का उपयोग करता है उनका आदी हो जाता है एवं परिवर्तन कई बार अच्छा नहीं लगता. शायद आपको अच्छा न लगने का एक कारण यह है. मुझे भी अच्छा नहीं लगा कि लोगों जब तक "तकनीक" में नहीं जायेंगे तब तक मेरा चिट्ठा नहीं मिलेगा. लेकिन दो बाते न भूलें:<BR/><BR/>1. पुराना स्वरूप उपलब्ध है एवं नये स्वरूप के उपयोग के लिये कोई जबर्दस्ती नहीं है<BR/><BR/>2. जो एग्रीगेटर भविष्यदर्शी हैंShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-13769345949993198222007-12-09T17:57:00.000+05:302007-12-09T17:57:00.000+05:30ये हम हिन्दुस्तानियों की खास आदत है जो भी कुछ नया...ये हम हिन्दुस्तानियों की खास आदत है जो भी कुछ नया हो उसका विरोध करो । फिर चाहे वह काल संटर की रात की नौकरी हो , महिलायों का वेस्टर्न पहनावा हो , कुछ ब्लॉगर का अंग्रेजी मे कमेन्ट हो , महिला बार टेंडर की नौकरी हो । हम किसी भी नयी चीज़ को गलत ही समझते है । हम अपने तकनीक के अज्ञान को अनदेखा करते है और नयी तकनीक को अपनाने से डरते है । मोबाइल आया तो वह बुरा था , कंप्यूटर आया तो वह खराब था , Rachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-61857461230010113492007-12-09T17:25:00.000+05:302007-12-09T17:25:00.000+05:30मुझे तो नए रूप से आपत्ति कुछ जल्दबाजी सी लग रही ह...मुझे तो नए रूप से आपत्ति कुछ जल्दबाजी सी लग रही है, पर ये मेरी व्यक्तिगत राय है।<BR/><BR/>मेरी अपनी समझ यह है कि चिट्ठाजगत का नया रूप ब्लॉगिंग विधा की गहरी समझ को प्रतिध्वनित करता है और साथ ही विषय व्सतु को केंद्र स्थिति प्रदान करता है जो होनी ही चाहिए- हॉं वर्गीकरण में जरूर किसी किसी को लग सकता है कि इस नहीं उस खांचे में होना चाहिए था।<BR/><BR/>और फिर पहले जैसे रूप में देखने की सुविधा तो है मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-65044092133302336252007-12-09T17:16:00.000+05:302007-12-09T17:16:00.000+05:30अच्छस किया रवि भाई जो आपने यहां टिप्पणी की. जिन्...अच्छस किया रवि भाई जो आपने यहां टिप्पणी की. जिन्हें पुराने स्वरूप में रुचि है वे सारे पर क्लिक करें, अपना देखने के लिए मेरे पर क्लिक कर लें... क्या परेशानी है बंधु? बिना जांचे परखे किसी प्रयोग को खारिज करना कौन सी बुद्धिमानी है. हर वर्ग के चिट्ठे करीने से अलग अलग देखने की व्यवस्था भर नई की गई है तो इसमें क्या गलत है? आपके चिट्ठे जैसे पहले थे वैसे ही अब भी हैं. और यह बात भी समझें कि Sanjay Karerehttps://www.blogger.com/profile/06768651360493259810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-2766627730169687432007-12-09T16:03:00.000+05:302007-12-09T16:03:00.000+05:30तकनिकी रूप से भले ही उसे उन्नत करने का प्रयास किया...तकनिकी रूप से भले ही उसे उन्नत करने का प्रयास किया गया हो लेकिन फिलहाल तो यह सुविधाजनक नही लग रहाKirtish Bhatthttps://www.blogger.com/profile/10695042291155160289noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-5769422095966880412007-12-09T15:49:00.000+05:302007-12-09T15:49:00.000+05:30लगता है चिट्ठाजगत् के वर्तमान स्वरूप को पूरी तरह ...लगता है चिट्ठाजगत् के वर्तमान स्वरूप को पूरी तरह देखे भाले और इस्तेमाल किए बगैर इस तरह की बातें की जा रही हैं. <BR/><BR/>वर्गीकरण से पहले <B>मेरा</B> और <B>सारे</B> भी तो हैं. जहाँ 'मेरा' में आप अपने पसंदीदा चिट्ठों को छांट कर जमा सकते हैं वहीं 'सार'े में आपको बिना वर्गीकरण के सारे के सारे चिट्ठे दिखाई भी तो दे रहे हैं.<BR/><BR/>किसी अनुप्रयोग की पूरी क्षमता को जांचने परखने के लिए हमें उसका पूरारवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-12722649138109749742007-12-09T15:20:00.000+05:302007-12-09T15:20:00.000+05:30सहमत हूँ जी.सहमत हूँ जी.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.com