सोमवार, अगस्त 15, 2005

आजादी का घालमेल

आजादी का घालमेल: नीरज दीवान आज के भारतीय समाज तथा राजनीति के घालमेल को देखने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीति की मंडी बड़ी नशीली है
इस मंडी ने सारी मदिरा पी ली है।

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