अपना-अपना धंधा है। भीख मांगना अगर पेशा है तो कुछ अंदाज भी पेशेवराना होगा ही। मजबूरी हो या अलाली भीख मांगने में भी कम मेहनत नहीं लगती। इसके आगे का सच जानने की उत्सुकता है तो सुनीलजी के ब्लाग तक चलना पड़ेगा ।
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