ऐसा भी कहीं होता है कि आप सुनील दीपक की बनाई
चाय की चुस्कियां लेते हुये फुरसतिया के
ब्लागिंग के सूत्र घोंट रहे हों। अतुल तो कहते हैं कि ऐसा केवल
भारत में ही संभव है। उधर स्वामीजी अपनी
चुनरी का दाग दिखा रहे हैं, उसी के बगल में खड़े लक्ष्मीगुप्त पर किसी
महाकवि की आत्मा सवार हो गई जिसका इलाज शायद यही है कि रवि रतलामी से भारतीय भाषाओं में काम करने का
तरीका सीखा जाये तथा
प्यार का इम्तहान दिया जाय।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।
नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.