गुरुवार, नवंबर 23, 2006

आज के चिठ्ठे

सायबर कैफे कैसे चलाया जाये इस बारे में कुछ हाट टिप्स को ओपेन सोर्स कर रहे हैं भुवनेश। कयह वाली तो न सिर्फ बिजनेस चलायेगी बल्कि चिठ्ठाकारी के जंगल में आग लगा देगी।
ग्राहकों को ब्लॉगिंग के बारे में बताएं और स्वयं का चिट्ठा बनाने में मदद भी करें। जो जिस भाषा का हो उसे उसी की भाषा में चिट्ठा बनाने को उकसायें, दीवारों पर सूचना लगा सकते हैं कि 'now be the publisher of ur own literature' या 'अपनी भाषा में खुद को अभिव्यक्त करें ब्लॉग्स्पॉट और वर्डप्रेस का प्रयोग करें'। लोगों को बताएं कि वे खुद का डोमेन खरीद सकते हैं मात्र रुपये ५०० में।

गुगल खोजक की हिंदी की पहुँच यूनिकोड से बाहर निकल कर अब नाना प्रकार के फोंट वाली साईट्स तक पहुँच गयी है। अब कूपमँडूक साईट्स के रखवालो को नानयीनोकोडित फोंट के खोल में छुपा रहने का एक और बहाना मिल गया।

सर्दी का मौसम आते ही ज्वार की रोटी याद आ गयी गुप्त जी को और मुँह में पानी आ गया ब्लाग बिरादरी के।
ज्वार की रोटी आटे को हाथ से थपथपा कर पतली और गोलाकार कर के तवे पर सेंकते हैं। इस आटे को बेलन से बेलना बहुत मुश्किल है। इस रोटी को पनेथी भी कहते हैं जैसे बेली हुई रोटी को बेली।

युद्ध सैनिको की मनोदशा पर गहन प्रभाव डालता है , सकारात्मक और नकारात्मक दोनो तरीको से झेलते सैनिको को देखिये पैट्रिक्स की नजर से।

कुछ दिन पहले रविरतलामी ने रिव्यू मे के बारे मे लिखा था। इस पे जिन लोगो ने भागदौड़ कर रजिस्ट्रेशन कराया है इसे जरूर पढ़ लें।

आज की फोटो

राह चलते भक्ति!

3 टिप्‍पणियां:

  1. जिस प्राकर आपने सस्ते में निपटाया है, अगले गुरूवार धृतराष्ट्र के साथ संजय की आँखे भी बन्द रहने वाली है.

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  2. अतुलजी आप भी नाहरजी को कोई सुझाव दें

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  3. संक्षिप्त,सुसंगठित और सुंदर चिठ्ठा चर्चा ।

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