शुक्रवार, मार्च 02, 2007

माफ करना, आज मैं नशे में नहीं हूँ...

होली के खुमार में ऐसन चढ़ी रै भंग
हर चिट्ठे का लगे मुझको एक ही रंग


अपने अनुभव से बतला रहा हूँ भाई की अब भंग का रंग बदल रहा है, इसमें अब वो पहले वाली बात नहीं रही...पहले वाली भंग में बड़ा मजा आता था, मगर अब अखिल भारतीय भंग यूनियन बनाने का वक्त आन खड़ा हुआ है भाई...हम विरोध प्रदर्शन करेंगे, भूख हड़ताल करेंगे, जैसे भी होगा भंग की वही गुणवता प्राप्त करके ही रहेंगे, हाँ...हमने बिहार से भी भंग मंगवायी मगर उसमें मिलावट सबसे ज्यादा रही, अभी एक मेरे दस के दस कदम सही जगह पर पड़े हैं...आईने में चेहरा पहले की तरह हिलता हुआ नहीं दिख रहा, आइना भी नाराज होकर पहले सी सूरत मांग रहा है...मैंने गुगल में जाकर हिन्दी में भी खोजा – “अच्छी क्वालिटी की भांग”, मगर वहाँ से अभी तक कोई समाचार नहीं आया...बच्चे भी भंग के लिये लालायित है, सरकार ने उन्हें कैद में रखने के आदेश दे दिये हैं...भारत के बाजार में भंग की क्वालिटी गिरती ही जा रही है, ऐसे में बच्चों को कैद करने का कोई ओचित्य नहीं रह गया है...पहले भंग के रंग में लोग बदमिजाज होकर गुनगुनाया करते थे मगर अब तो.....खेर टैंशन मेरे अकेले को थोड़े ही ना है, सभी नशेड़ियों को है...सभी का एक मत होकर मानना है कि हमारी होली पहले ऐसी तो ना थी, भई भंग से ही तो असली रंग जमता था...हमारी राधा ने भी हमसे कन्नी काट ली है, कहती है कि अब तुम होली पर भी मटक-मटककर नहीं चलते, मैं तुमसे नहीं बोलूँगी...अरे भई अब उसे कैसे समझाऊँ कि भंग असर ही नहीं कर रही...अरे अपने को मटकने के लिए शुद्ध देशी भंग चाहिये, जिसे हलक से उतारते ही खोपड़िया नाच उठे...मिलावट तो सरासर अपराध है भाई....होली का तो मजा ही खराब हो गया इसके कारण....वरना जब देशी मिलती थी तो हम चाँद पर बैठ कर ढ़ोलक बजाते थे...वो तो उतरने के बाद पता चलता था कि गुरूदेव का पेट है....अब उन बातों को याद कर-करके दिल दुखता है...यदि किसी के पास शुद्ध देशी भंग नहीं है तो साफ-साफ उत्तर दे दो...हम होली खेलने का विचार ही त्याग देंगे, हाँ....

अब तुम्ही बताओ भाई, क्या एक मटका भंग पीने के बाद यह संभव है कि कोई इस प्रकार चर्चा लिखने बैठ सके...यह तो भंग असर ही नहीं कर रही...मगर अब कर भी का सकते है...किसी के पास अच्छी क्वालिटी की भंग हो तो दीजिये...हम उसे सबसे ज्यादा रंग लगाने का वचन देंगे।

क्वालिटी रहित भंग के साथ सभी को होली की शुभकामनायें।

6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! वाह!
    भंग की तरंग मे चिट्ठे की चर्चा। मजा आ गया।

    आपको और आपके परिवार को होली की रंग भरी शुभकामनाएं।

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  2. माफ़ करना मैं नशे में नहीं हूं- हर नशे बाज यही कहता है!

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  3. खूब भंग के रंग में चर्चा ही होलीमय हो गई।

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  4. ये दो दो एक जैसी चर्चा काहे की है, दो दो नहीं लगता है, चार-चार है...
    सॉरी, भांग खा रखी है....ही ही

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  5. यह भी खूब रही:

    किसी के पास अच्छी क्वालिटी की भंग हो तो दीजिये...हम उसे सबसे ज्यादा रंग लगाने का वचन देंगे।

    -गोया भंग नहीं, टिप्पणी हो गई!
    ये क्या हालत बना ली कविराज.. :)

    होली की बहुत बहुत मुबारकबाद!!

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  6. होली की शुभकामनाएँ !
    बहुत खूब ! यह तो सरासर नाइन्साफी है !
    घुघूती बासूती

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