शुक्रवार, अगस्त 17, 2007

मोहल्ले में भाषा कर्मी अरविन्द कुमार

दोस्तों,

यदि आपने मोहल्ले पर प्रकाशित अरविंद कुमार के इस लेख को अब तक नहीं पढ़ा है तो अवश्य पढ़ें. अरविन्द कुमार ने हिन्दी चिट्ठाजगत् में सृजित हो रहे हिन्दी शब्दों के बारे में अपने चिरपरिचित अंदाज में पर, नए कोण से लिखा है.

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