शनिवार, अगस्त 25, 2007

बया में रवीशी, अजदकी और अनामदासिया बयां

बया के नवीनतम अंक में हिन्दी ब्लॉगजगत् के बारे में अरविन्द कुमार का आलेख आपने संभवतः पढ़ा होगा. इसी अंक के संपादकीय में कहीं पर यह लिखा है
"...ग़ौरतलब है कि प्रस्तुत व्यंग्य कथाओं में से तीन हिन्दी के ब्लौगों से प्रिंट माध्यम में पहली बार आ रही हैं."
ये व्यंग्य कथाएँ कौन सी हैं, ये हैं - हिन्दी ब्लॉग जगत् के दिन अब सचमुच में बहुर गए हैं. क्या आपको ऐसा नहीं लगता :)

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