गुरुवार, दिसंबर 27, 2007

आजा्दी एक्स्प्रेस की मुफ़्तिया सैर


आज की सबसे रोचक पोस्ट ममताजी की आजादी एक्सप्रेस के बारे में लगी। पहले भी अनीताजी और संजीत इसमें घुमवा चुके हैं लेकिन शायद इत्ती फोटो नहीं दिखाये थे। :)

नीरज रोहिल्ला भी प्रेरित होने लगे हैं। उन्होंने अपने चिठेरा-चिठेरी सम्वाद अनूपजी प्रेरित बताये। अनूपजी कहते हैं कि ये साजिशन है कि उनको प्रेरणादायी भी बताया जाये। पहले ही उन पर मूढ़मति, सज्जन और मेहनती होने के आरोप लग चुके हैं। अब ये नयी आफ़त ! यही सब झेलना बदा था।

पाण्डेयजी के आफिस का तबादला हुआ तो वहां तमाम परेशानियां है। लगता नहीं दिल इस नये दरबार में। सो वे हमें
परेशान करना चाहते हैं। कहते हैं समय बताओ कब पोस्ट लिखी।

ये पोस्ट सबेरे कानपुर समय के अनुसार सात बजकर दस मिनट पर शुरू हुयी और अब सबेरे के आठ बजकर पांच मिनट पर पोस्ट की जा रही है। इस बीच दोबार चाय पी गयी, तीन बार डांटे गये, चार बार सोचा छोड़े शाम को लिखेंगे। पांचवी
बार कहा और किया अब बस्स! आफिस बुला रहा है।


एक साल बेकार गया : ये तो हर साल होता है, कुछ नयी सुनायें।

जीरो धमकी : सरकारों की मजबूती का एकमात्र आधार।

देश को जरूरत है 77,664 जजों की: जो न्याय का हथौड़ा मेज पर ठोंकते हुये न्याय कर सकें।

मैना ? मिन्ना ? मेनका ? मुनमुन या फिर मून्स ? : सब धान बाइस पसेरी। 50% क्रिसमस सेल डिसकाउन्ट। हरी अप। हुर्री अप।

कैसे लाऊं जिप्सियाना स्वभाव : मोको कहां ढूंढे से बंदे मैं तो तेरे पास में।

उड़ीसा में गुजरात: एक ही नशे के दो नतीजे हैं।

नोनी, कृषि अमृत और प्रलोभन भरे फोन: दाल मे कुछ काला है।

उस अनाम रेलवई वाले को धन्यवाद !: ऐसा फ़ेंका कि वकील साहब गांधीजी हो गये।

बड़े दिन के बाद :मैं शहर में टहलने को निकला।

बक-बक वकील की , अधिवक्ता के वचन.... : हर मुकदमा लड़ने वाले को झेलने पड़ते हैं।

अंतिम गीत :लिख ही दिया न! एक और लिखें।

विनपेनपैक:हर तरह के फ़्री साफ़्टवेयरों का संग्रह : मुफ़्त का चंदन है घिस लो भैया। पेन ड्राइव में जगह रखना है बस्स।

एक और प्रकार का चिठेरा चिठेरी संवाद (अनूपजी से प्रेरित) !!!: उड़ी बाबा! अनूपजी प्रेरित भी करने लगे। इस पोस्ट को पढ़ कर भक्क से रियलाइजेशन हुआ। :)

आजादी एक्सप्रेस एक झलक : शानदार है जी। जानदार भी।

अक्षरधाम दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मंदिर परिसर :अब इससे बड़ा भी बनवाया जाये। नया रिकार्ड बनना है न!

चवन्नी सर्वेक्षण-२००७ सर्वोतम फिल्म : चंद चवन्नी विकल्पों में न फ़ंसे। चवन्नी आपको फ़ंसाना नहीं चाहता।

बिग बी का पण्‍डा : घाट हरिद्वारी पर मामाजी डुबकी लगवा रहे हैं इस भयंकर जाड़े में।

हम तो ऐसे हैं भइया,,,,,,,,: अब क्या करें जो हैं ठीकै हैं।

क्‍योंकि वे नहीं जानते क्‍या कर रहे हैं.....: इसीलिये सब काम योजना बद्ध तरीके से करते हैं।

छोटा आदमी-बड़ा आदमी : नाप के देखना चाहिये।

5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह, सुबह सुबह सुबह पढने को आपकी ढेर सारी "चुटकियां". यह बहुत खुशी की बात है कि आप चिट्ठा चर्चा को नियमित समय दे रहे हैं. इससे हम पाठकों को काफी चुने हुए लेख भी मिल जाते हैं.

    उदाहरण के लिये ममता जी का लेख आपके कारण मेरी नजर में आया.

    मैं आजादी एक्सप्रेस के इंतजार में हूँ एवं यह कोचिन पहुंचने वाल ही है. मैं दो तारीख को इसे देखने जाऊंगा. संजीत, अनीता जी, ममता जी के बाद मेरा लेख बी आयगा इस विषय पर.

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  2. जमाये रहिये। मोगंबो खुश हुआ।

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  3. अनूप जी आज तो चिटठा चर्चा और भी जोरदार लगी ।

    अरे क्यूंकि आज तो हम भी इसमे शामिल है । :)

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  4. ये पोस्ट सबेरे कानपुर समय के अनुसार सात बजकर दस मिनट पर शुरू हुयी और अब सबेरे के आठ बजकर पांच मिनट पर पोस्ट की जा रही है।
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    अगर कानपुर स्टेण्डर्ड टाइम भारतीय मानक समय ही है तो यह काम बहुत ही शानदार है। असल में यह ऐसा कारनामा है कि मैं इसकी प्रतिस्पर्धा कर नहीं सकता। सो ईर्ष्या है ही नहीं - शुद्ध प्रशंसा है आपके लिये।

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  5. नये वर्ष में वापिस नियमिल हो पाऊंगा यह निश्चित है
    अभी आपकी सुघड़ लेखनी का कमाल बस पढ़ लेता हूँ
    चिट्ठा चर्चा के दीपक की ज्योति आपने जला रखी है
    मैं भी इससे अपने मन का आँगन दीपित कर लेता हूँ

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