नया साल आने को है . हर किसी को आने वाले साल से यही आशाएं हैं कि यह उनके जीवन में नए उजाले लेकर आएगा . पर जिनके जीवन में कभी उजाला नहीं आया उनका क्या ? आज हमारे मास्साब मसिजीवी जी ने अपने लेख में इन्हीं की समस्या पर विचार किया है . लेकर आए हैं "ज्योतिहीन राह के स्पर्शक" . कहते हैं :
"मैं अक्सर सोचता हूँ कि किसी नेत्रहीन के लिए शहर कैसा होता है ? वह शहर को छू सकता है, सूंघ सकता है स्वाद ले सकता है सुन सकता है लेकिन देख नहीं सकता। जबकि हम देख सकने वालों ने शहर को बनाया बसाया ही इस तरह है कि ये केवल देखने के ही लिए है। अपने खुद के अनुभवों पर विचार करें 98 प्रतिशत अनुभव व स्मृति केवल दृश्यात्मक होती हैं। "
इसी लेखपर वर्षा जी की एक झकझोर देने वाली टिप्पणी है :
"मुझे तो पता नहीं था ये पट्टियां स्पर्श के लिए बनाई जाती हैं। एक विदेशी, न देख सकनेवाली लड़की का लेख पढ़ा था कुछ दिन पहले, कहती है अगर मुझे सिर्फ तीन दिन के लिए देखने की शक्ति मिल जाए तो मैं क्या-क्या देखना पसंद करुंगी...सड़कें, लाइब्रेरी और भी बहुत कुछ था उसमें। आगे कहती है मान कर चलो कि हर दिन को आखिरी दिन मान कर चलो कि तुम देख सकते हो, जी भरकर देखो, आखिरी दिन मान कर चलो कि तुम सुन सकते हो..सब सुनने की कोशिश करो.....इसे पढ़कर वो याद आ गई . "
प्राइमरी वाले मास्साब चाहते हैं कि कक्षा में लोकतंत्र होना आवश्यक है . इसके लिए लगे हाथ कुछ सुझाव भी दे डाले हैं :
समय सारिणी बनाते समय बच्चों की भी भागीदारी हो।
कक्षा में प्रतिदिन अलग-अलग बच्चों को जिम्मेदारी बाटनी चाहिए कि वे श्यामपट्ट साफ करके उस पर दिनांकएवं विषय लिखें।
प्रतिदिन विषय-चयन एवं पाठ-चयन में भी बच्चों की इच्छा का ध्यान रखना चाहिए।
विद्यालय प्रांगण में सफाई की दृष्टि से, कक्षा में छोटे-छोटे समूह बनाएं जो मध्यावकाश में कक्षा एवं प्रांगण कीसफाई करें। कचरे व कागज को इकट्ठा करके फेकें। यह समूह बालक और बालिकाओं के मिले-जुले होने चाहिए।
सप्ताहवार या मासिक मॉनीटर बनाना एवं बदलना चाहिए। जिससे प्रत्येक बच्चे को मौका मिले। बालक औरबालिकाओं कोबारी-बारी मॉनीटर बनाएं।
यदि हो सके तो विद्यालय में लोकतान्त्रिक व्यवस्था का सञ्चालन भी किया जा सकता है । इससे बच्चे जिम्मेदार और जागरूक बनते हैं।
सुझाव देने की बात चली है तो बता दें कि ज्ञानदत्त जी ने कहा है : हैप्योनैर निवेशक बनें आप !
इस पर नीरज की टिप्पणी गौर करने लायक है :
"पांडे जी नमस्कार,अभी तक मैं भी शेयर मार्केट के प्रति असमंजस में ही था. क्योंकि किसी ने एक बार बताया था कि शेयर मार्केट में अपनी अक्ल से ही निवेश करना चाहिए. अब जब अगले में अभी तक अक्ल ही नहीं है तो वो निवेश कैसे करेगा. अब देखता हूँ ये पुस्तक कुछ हेल्प कर दे. धन्यवाद."असल ज्ञान जी ने एक किताब के बारे में बताया है जिसको पढते ही आप शायद वारेन बफेट के बराबर खडे नजर आएं .दर
आप वारेन बफेट के बराबर होने की इच्छा करें तो ठीक . पर क्या वारेन बफेट भी आपके बराबर होना चाहेंगे . चौंकिए मत .ऐसा हो सकता है. जैसे तथाकथित हिट हो रहे गाली प्रकरण में ऐसा सुना गया है कि देवियों को अब गाली देने में भी देवताओं की बराबरी चाहिए .
एक बाबा थे . उनकी आदत थी कि वे पैसे को हाथ नहीं लगाते थे . हाँ उनका चेला यह काम सँभालता था .हम तो फुरसतिया के ग्यारह सूत्री ऐजेण्डे से बँधे हैं तो हम भी इस गाली प्रकरण से समीर जी की तरह साधु साधु करके निकल लिए . पर आपके लिए इससे सम्बन्धित लेखों को सूचीबद्ध कर दिया है . आखिर सूचना का अधिकार है , आपने दावा कर दिया तो हमको फुरसतिया भी न बचा पाएंगे :
- बहन चो....
- समाज में गालियाँ
- क्या भाषा और व्यवहार की सारी तमीज़ का ठेका स्त्रियों ,बेटियों ने लिया हुआ है?
- पुरुष अपने वाहियातपने या पतितावस्था को सगर्व स्वीकार क्यों करता है?शर्मिन्दा क्यों नहीं होता?
- गाली के बहाने दोगलापन...।
- गाली-गलौज से महिलाओं का क्या फायदा
- ये कहना "आगे बढ़कर अपने लिए एक रेड लाईट एरिया[ चाहें तो रंग बदल लें] खोल लें" एक गाली ही हैं
- गाली विमर्श: कुछ यादगार बातें
- नारी स्वतंत्रता के नाम पर अंधी बहस
- हिन्दी ब्लाग जगत या गोबर का ढेर
वैसे हमारे मित्र कुश इन झंझटों से दूर बता रहे हैं कि लडकियों को क्या सीखना चाहिए . लडकियों को आत्मरक्षा कैसे करनी है देखिए :
"उनमे से एक उठा.. उसने चाकू निकाला.. और लड़की के सामने खड़ा हो गया.. लड़की ने अपनी आँखे बंद की और ज़ोर से चिल्लाते हुए छलाँग लगाई.. लड़के की बाइक पर एक पाँव लगाते हुए दूसरे पाँव से लड़के के मुँह पर वार किया.. लड़का तैयार नही था.. उसके हाथ से चाकू छूट कर गिर गया.. लड़की ने चाकू हाथ में लिया और लड़के के सीने पर पाँव रखकर खड़ी हो गयी.."
आप सोच रहे होंगे कि यह भी क्या गाली-गलौज , लडाई झगडे की बात किए जा रहा है . अभी तक युद्ध की कोई बात नहीं की . तो गौतम राजरिशी को पढिए . तलवार निकाले बैठे हैं . उनके ब्लॉग पर कॉपी करने की सुविधा होती तो हम आपको यहीं दिखा देते पर मजबूर हैं .
झा जी को वर्तमान तनाव के माहौल में भी कुछ सकारात्मक दिखा है . कहते हैं :
"आज विश्व सभ्यता जिस जगह पर पहुँच चुकी है उसमें तो अब निर्णय का वक्त आ ही चुका है कि आप निर्माण चाहते हैं या विनाश, और ये भी तय है कि जिसका पलडा भारी होगा, आगे वही शक्ति विश्व संचालक शक्ति होगी। इन सारे घटनाक्रमों में एक बात तो बहुत ही अच्छी और सकारात्मक है कि आतंक और विध्वंस के पक्षधर चाहे ही कोशिशें कर लें मगर एक आम आदमी को अपने पक्ष में अपनी सोच के साथ वे निश्चित ही नहीं मिला पायेंगे। और यही इंसानियत की जीत होगी। अगले युग के लिए शुभकामनायें...... "
एक युद्ध अंधविश्वास से भी चल रहा है . इसकी योद्धा हैं लवली कुमारी . देखिए कुछ अंधविश्वास साँपों के बारे में :
१-नाग या नागिनी के आँख में इस जोड़े में से किसी एक को मारने पर मारने वाले की तस्वीर बन जाती है !
२-साँप रूप बदल सकते हैं
३-साँप हर हाल में बदला लेते हैं ।
४-पुराने सापों को दाढी मूछे निकल आती हैं
५-सापों के सिर में मणि होती है -सर्प मणि !
देखा साँपों से मत डरिए . डरना है तो अनाम टिप्पणी करने से डरो वरना द्विवेदी जी पकडवा देंगे . कहते हैं : "यदि आप ने कोई ऐसी टिप्पणी कर दी है जो किसी के लिए अपमान कारक है और किसी व्यक्ति की ख्याति को हानि पहुँचाता है तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के अंतर्गत; यदि कोई ऐसे कथन को प्रकाशित करता है तो वह धारा 501 के अंतर्गत और ऐसे मुद्रित या उत्कीर्ण कथन को बेचता है तो वह धारा 502 के अंतर्गत दो वर्ष तक की कैद से दंडनीय अपराध करता है। इस के साथ ही साथ दुष्कृत्य विधि (Law of Torts) के अंतर्गत उस के लिए मुआवजा भी मांगा जा सकता है।"
वैसे कभी कभी बिना गलती के भी मुआवजा देना पडता है . मसलन : "आप किसी दिन अपनी छोटी चचेरी बहन के साथ बस में बैठे कहीं जा रहे हो। और आपके आगे वाली सीट पर एक सुन्दर मार्डन लड़की बेठी हो एक बड़ा सा जूड़ा बनाए हुए। और वह पलट पलट के बार बार आपको देखे। और आपकी समझ में ना आए कि बात क्या हैं? फिर अचानक वह लड़की उठे और इंगलिश में उल्टा सीधा कहने लगे। और बस में बैठी सारी सवारी की आँखे आपको देखने लगे।
तो..................................................................................................................................................।
काफी कुछ सुनने के बाद पता चले कि आपकी छोटी बहन उसके जूड़े को बार बार छेड़ रही थी और वो लड़की समझ रही थी कि आप उसके जूड़े को छेड़ रहे थे। "
विचलित हुए ? पर छौक्कर जी के साथ ऐसी ऐसी कई बातें हुईं हैं .
ज्ञान जी ने कहा है कि आजकल की पीढी जल्दी ऊब जाती है . आप हिंसा से ऊब गए हों तो अहिंसा की बात करें . हाँ ठीक समझे अहिंसा मतलब गांधी जी . अभिषेक कहते हैं : "अब जैसी की परम्परा है आने वाले वर्ष पर ख़ुद से नए वादे करने की तो अपने कुछ शुभचिंतकों के आग्रह को स्वीकार करते हुए आप सभी ब्लौगर्स से भी वादा करता हूँ एक नया ब्लॉग 'गांधीजी' पर शुरू करने का। आशा है नव वर्ष में भी सभी ब्लौगर्स का सहयोग व प्रोत्साहन मिलता रहेगा।
सभी ब्लौगर्स को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। "
अगर आपकी ज्ञान पिपासा शांत नहीं हुई तो कुछ ज्ञान बाँटू ब्लॉग हाज़िर हैं :
- ब्लॉग पढने के फायदे
- सीखिए शास्त्रीय संगीत सिर्फ़ दो महीनो में ......
- अगले वर्ष निफ्टी 2333-4888 के बीच रहेगा
- गाड़ियों (Vechicles) के रखरखाव (Maintanance)के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें
- ब्लॉग लेखन की सार्थकता
- स्टेम सेल बैंकिंग एक चमत्कार
- हमारी ख़ुशी का रिमोट दूसरों के हाथ में है
- कला में एक ख़ास क़िस्म की ताज़गी और नयापन होना चाहिये
कुछ ज्ञान बाँटू लोग पाठकों में भी होंगे वे बेझिझक अपना ज्ञान यथायोग्य यहाँ उडेल दें :
- क्या पुरुष स्त्री के मन को समझ सकता है ..?!!हाँ या नहीं ...!!
- मुझे ये तकनीक सही तरह नहीं आतीं हैं . कोई सही तरीका सके तो आभार होगा .
- कौन थी पहली मिस इण्डिया ?
- क्या लिखूँ ?
कोई लाख मना करे पर कवि लोग कविता लिखने से बाज नहीं आएंगे .वैसे कविताएं अच्छी बन पडी हैं पढ लीजिए :
अंत में प्रमुख समाचार एक बार फिर :
- 'काँच की बरनी और दो कप चाय' भाटिया जी ने अभिषेक ओझा से लेकर ब्लॉग पर डाला .
- प्यार ने मजहब की दीवार को ढहा दिया है .
- प्रशांत को तमंचे की जरूरत है .
- हिन्दी शोभा जी के देखते देखते शर्मिन्दा हो गई है .
- मुसाफिर जाट ने नकली टीटी को पीट दिया है .
- ब्लॉगर बच्चा आदित्य खाना खाने लगा है .
अब छाप देते हैं . आप सुबह पढ लेना . हमें सुबह ड्यूटी जाना है .
चलते-चलते :
नया साल हो मंगलमय , सब खुशियाँ लेकर आए .
ईश्वर की हो दयादृष्टि , सब बिगडी बात बनाए ..
नए साल के स्वागत में सब मिलकर कहें वेलकम .
अब हम अगले साल मिलेंगे , ननरी और वणक्कम् ..
चिट्ठा चर्चा से जुड़े सभी टीम सदस्यों को आने वाले वर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंविवेक जी आपको और चिट्ठा चर्चा को नयेवर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जी ! नये साल की रामराम !
जवाब देंहटाएंआने वाले साल के लिए हार्धिक शुभकामनाये ....बहुत बढ़िया चर्चा रही...
जवाब देंहटाएंनए साल पर इस मुसाफिर की तरफ से भी पूरी दुनिया वालों को रामराम.
जवाब देंहटाएंनया साल हो मंगलमय , सब खुशियाँ लेकर आए .
जवाब देंहटाएंईश्वर की हो दयादृष्टि , सब बिगडी बात बनाए ..
नए साल के स्वागत में सब मिलकर कहें वेलकम .
अब हम अगले साल मिलेंगे , ननरी और वणक्कम् ..
" इस सुंदर संदेश के साथ आपको भी आने वाले साल के लिए हार्धिक शुभकामनाये "
regards
नया साल भी मंगलमय हो। चर्चा का यह रुप भी अच्छा लगा। देखिए जितने चर्चाकार होंगे नए नए रूप सामने आएँगे।
जवाब देंहटाएंरीफ़्रेशिंग चर्चा... तरो ताज़गी से परिपूर्ण.. टिप्पणी शब्दो में छोटी लगे शायद पर भावनाओ से बहुत बड़ी है.. चर्चा के सभी सुधि पाठको को नववर्ष की शुभकामनाए...
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत कैन्वास खींच दिया है भाई विवेकजी ने, साल के जाते-जाते! बधाई - अच्छी चर्चा की भी और नववर्ष की भी।
जवाब देंहटाएं>मास्साब मसिजीवीजी ने पुरानी कहावत तो सुनी ही होगी - SPARE THE ROD AND SPOIL THE CHILD. तब बच्चे अनुशासित हुआ करते थे। अब तो बच्चे मास्टर की कान्फिडेन्शियल रिपोर्ट लिखते हैं तो कौन बाप बना? .... बाप को डिसिप्लिन कौन सिखाए!!!
विवेक जी ,
जवाब देंहटाएंगाली प्रकरण की सभी पोस्ट एक जगह ले आने का शुक्रिया !
http://sandoftheeye.blogspot.com/2008/12/blog-post_9101.html
जवाब देंहटाएंआज की यह पोस्ट भी शामिल कर लें!
अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंआपको एवं समस्त मित्र/अमित्र इत्यादी सबको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎं.
ईश्वर से कामना करता हूं कि इस नूतन वर्ष में सब लोग एक सुदृड राष्ट्र एवं समाज के निर्माण मे अपनी महती भूमिका का भली भांती निर्वहण कर सकें.
कई मुद्दों पर सार्थक चिटठा चर्चा . आने वाले साल में चिटठाचर्चा फलेफूले . नववर्ष की हार्दिक शुभकामना .
जवाब देंहटाएंबेहूदा बातों में ऊर्जा और समय का अपव्यय करके ब्लागिंग से कुछ हासिल नहीं हो सकता, सिवाय टिप्पणियों में चंद इज़ाफ़े के । अश्लील लगने वाले मुद्दे यहाँ उठाने से कूछ हासिल नहीं होता .. क्योंकि अभी आर्कुट इफ़ेक्ट से लोग उबर नहीं पाये हैं ! ऎसी पोस्ट को नज़र अंदाज़ कर के ही ऎसे बेहूदे बहस से छुटकारा पाया जा सकता है ।
खुले आम रस ले ले की गई बहस कतिपय छिछले-चरित्र तत्वों को बढावा ही देती हैं, ऎसा मेरा सोचना है ।
आज की चर्चा वृहत्तर फ़ुरसतिया-शब्दकोष के अनुसार पूरी तरह ढिंचक चर्चा है ! और.. ताऊ, सब ठीक-ठाक ?
"हम तो फुरसतिया के ग्यारह सूत्री ऐजेण्डे से बँधे हैं तो हम भी इस गाली प्रकरण से समीर जी की तरह साधु साधु करके निकल लिए . "
जवाब देंहटाएंगंदगी को इग्नोर करना या ये कहना की कीचड मे पत्थर मारने से कीचड अपने ऊपर आएगा से ज्यादा जरुरी हैं गंदगी को साफ़ करना चाहे हमारे हाथ इस प्रक्रिया मे कितने भी गंदे क्यों ना हो जाए ।
bahut acchi charcha...vistrit...excellent!
जवाब देंहटाएंइतना सब कुछ होने के बाद भी चिटठा चर्चा उसी ढर्रे पर है ,केवल कुछ ब्लोगों का ही राग अलापता है क्वालिटी लेखन से ज्यादा तवज्जो पहेली लिखने वाले ब्लॉग ओर फालतू कविता लिखने वाले ब्लॉग पर होती है ,कोई फर्क नही पड़ा एक बार की बहस से चिटठा चर्चा पर ....,ओर हाँ भगवान के लिए ज्ञान दत्त पांडे उर्फ़ घोस्ट बस्टर के मोह से मुक्त कम से कम अगले साल हो जाये .
जवाब देंहटाएंविवेक भाई ! नए अंदाज़ के साथ चर्चा का स्वरुप बहुत अच्छा लगा ! नया वर्ष आपको मंगलमय हो !
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत से की गई चर्चा है. बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंआपको भी नए साल की ढेर सारी शुभकामनाएं.
बड़ा वाइड स्पेक्ट्रम कवर किया है - और बहुत कुशलता से।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा रही -पूरी टीम को बधाई तथा हिन्दी ब्लोग जगत के सारे साथियोँ को २००९ के आगामी नव वर्ष मेँ सुख शाँति मिले ये शुभ कामना है
जवाब देंहटाएं- लावण्या
विवेक जी आपको और समस्त चिट्ठा-चर्चा मंडली को और अनूप जी को विशेष तौर पर नये साल की ढ़ेर-ढ़ेर सारी शुभकामनायें...ईश्वर करे चर्चा के चरचे नये साल में खूब-खूब चले
जवाब देंहटाएंपुराने जमाने में विवाह में जब बारात दरवाजे पर आलगती थी यानी द्वारचार के समय और 'दूसरे दिन खिचड़ी खवाई के समय कुछ [तब बारातें तीन दिन बाद में दो दिन की हुआ करती थी ] बूढ़ीयाँ ' गाली गाया .' करती थी | अब ज़रा चलन से हट गई है न | लगता है लोगो ने ब्लॉगिंग के अगने मे इस शादी के मौके पर वही गाली गान हो गया तो '' हंगामा क्यूँ है बरपा थोड़ी सी चर्चा ही तो की है ;कोई गाली तो नही दी है ...." शादी किस की ?????!!!!!! बूझत रहा ???
जवाब देंहटाएंविवेक जी साँपों वाला आलेख अरविन्द जी का है ..वहाँ उन्ही का नाम होना चाहिए ,मेरा हटा दें.
जवाब देंहटाएंमेरी और से सभी ब्लोगरों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई .
मेरी टिप्पणी को लेकर कुछ गलतफहमी फैलाई जा रही है। जब गालियों की बात उठी और कुछ सशक्त महिलाओं ने कहा कि हम भी पुरुषों की तरह छूट ले सकते हैं तो मेरी प्रतिक्रिया थी कि उन्हें कौन रोक सकता है। ज़रूर कीजिए और आगे बढिए।
जवाब देंहटाएंसुजाता जी के विचार हैं कि-
"जैसे स्वाभाविक इच्छा किसी पुरुष की हो सकती है -सिगरेट पीने ,शराब पीने , दोस्तों के साथ ट्रेकिंग पर जाने,अपने करियर मे श्रेष्ठतम मुकाम तक पहुँचने और उसके पीछे जुनून की हद तक पड़ने,या फ्लर्ट करने, या गाली देने, या लड़कियों को छेड़ने ,या गली के नुक्कड़ पर अपने समूह मे खड़े रहकर गपियाने ...............
ठीक इसी तरह ऐसे या इससे अलग बहुत सारी इच्छाएँ स्त्री की स्वाभाविक इच्छाएँ हैं।
"जब आप भाषा के इस भदेसपने पर गर्व करते हैं तो यह गर्व स्त्री के हिस्से भी आना चाहिए। और सभ्यता की नदी के उस किनारे रेत मे लिपटी दुर्गन्ध उठाती भदेस को अपने लिए चुनते हुए आप तैयार रहें कि आपकी पत्नी और आपकी बेटी भी अपनी अभिव्यक्तियों के लिए उसी रेत मे लिथड़ी हिन्दी का प्रयोग करे और आप उसे जेंडर ,तमीज़ , समाज आदि बहाने से सभ्य भाषा और व्यवहार का पाठ न पढाएँ। आफ्टर ऑल क्या भाषा और व्यवहार की सारी तमीज़ का ठेका स्त्रियों ,बेटियों ने लिया हुआ है?”
यह प्रसन्नता की बात है कि इस छूट को लगभग सभी लोगों ने नकारा है जिनमें सिधार्थ ने कहा है कि "उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रियाएं इस छूट के विरुद्ध रही। मनिशा जी ने भी कहा है कि महिलाओं को इस तरह का सशक्तिकरन नहीं चाहिए जिससे वो पुरुषों की बुराई को अपनाएं।
मैं आज की चिट्ठाकार विवेकजी का आभारी हूं जो उन्होंने इस संदर्भ के सभी चिट्ठे एक जगह जमा करके सुविधा पहुंचाया। संदर्भ से काट कर बात का बतंगड बना कर चरित्रहनन करना सरल है, बात को समझना अलग बात है।
मैं जितनी बातें कहना चाहता था, वह सभी बातें अन्य टिप्पणीकारों ने कह दी. अब मैं क्या कहूं? इन सभी टिप्पणियों को मेरी ही टिप्पणी समझ लिया जाय.
जवाब देंहटाएंनये साल में नयी टिप्पणियों के साथ मिलूंगा.
नया वर्ष मंगलमय हो.
नया साल हो मंगलमय , सब खुशियाँ लेकर आए .
जवाब देंहटाएंआप सभी को नया साल मुबारक हो|
@ cmpershad
जवाब देंहटाएंPLEASE NOTE SIDDARTHS VIEW ON THIS ABOUT YOUR COMMENT . NONE OF US ARE CONFUSED WITH THE COMMENT SO PLEASE EITHER MOVE AWAY FROM THE DISTASTEFUL EPISODE OR SAY SORRY WHICH IS VERY VERY EASY
http://sandoftheeye.blogspot.com/2008/12/blog-post_9101.html
QUOTE
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...
सी.एम.प्रसाद जी,
यदि आपकी भाषा आपके विचारों का सही प्रतिनिधित्व नहीं कर सकी है तो इसे स्वीकार करके सुधार लेने में कोई हर्ज नहीं है। इससे कोई मानहानि नहीं होगी। वैसे भी भाषा में सुधार की गुन्जाइश हमेशा बनी रहती है।
लेकिन अगर आपके विचार वही हैं जो उक्त वाक्यों से स्पष्ट होते हैं तो निश्चित रूप से आप उस पाशविक विरासत को ढो रहे हैं जो पिछले तीन चार दिनों से ब्लॉग जगत में जुगुप्सा फैला रही है। विषय वस्तु चाहे जो भी हो उसे प्रस्तुत करने वाली भाषा में संयम और शिष्टाचार का होना आवश्यक है। अन्यथा विषयान्तर और अनर्गल विवाद अपरिहार्य हो जाता है।
इन दोनो ही स्थितियों में उचित होगा कि आप वस्तुनिष्ठ ढंग से अपना और अपनी टिप्पणी का मूल्यांकन स्वयं करे और यदि कर सकें तो एक सकारात्मक सोच के साथ अपनी बौद्धिक यात्रा को आगे बढ़ाएं। विघटन की प्रवृत्तियाँ तो यूँ ही प्रचुर मात्रा में नकारात्मक जोर-आजमाइश में लगी हुई हैं।
क्षमा करें, कदाचित् इसे व्यर्थ का ‘उपदेश’ कहकर खिल्ली भी उड़ाई जाय।
December 30, 2008 10:44 PM
UNQUTE
i take this opportunity to wish all bloggers a very happy new year
आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं@ blog pathak जी , आपने चिट्ठाचर्चा के बारे में विचार किया . हम आपके शुक्रगुजार हैं . आशा करते हैं कि आप आगे भी यहाँ दर्शन देकर हमें मार्गदर्शन देते रहेंगे . आप जैसे पाठकों का चिट्ठा चर्चा में स्वागत है .