मैं अभी कुछ दिनों पहले ही अनुपजी से अनुगूँज फिर से शुरू करने की बात चैट पर कर रहा था और आज देखा तो उन्होंने एक पुराने अनुगूँज की रिठेल दे मारी। पहला आयोजन क्या देह ही है सब कुछ? संयोग पर संयोग, २-३ महीने बाद जब हिंदी ब्लोगिंग पर नजर डाली तो दूसरी पोस्ट पढ़ने को मिली - घर, घरवालियाँ और सेक्स। संयोग को थोड़ा और जारी रहना था तभी ये लिखते लिखते टीवी पर देखने को मिली एक खबर जिसे देख कर फिर से सोचना पड़ा क्या देह ही सब कुछ है? खबर है न्यूयार्क की, यहाँ के एक होटल की जहाँ विंडो से आप देख सकते हैं देह।
ये थी एक मिनी माइक्रो चर्चा और शायद मुझे इसे चर्चा कहना ही नही चाहिये क्योंकि चर्चा तो अब आप को करनी है इन विषयों पर अपनी टिप्पणी के मार्फत। इसे ही छोटा अनुगूँज समझ लीजिये।
अच्छा नोटिस लिया आपने | अब चर्चा होके रहेगी |
जवाब देंहटाएं"यह ध्यान में रखते हुए की पोस्ट से बड़ी टिपण्णी नहीं होनी चाहिए"
"ये थी एक मिनी माइक्रो चर्चा और शायद मुझे इसे चर्चा कहना ही नही चाहिये क्योंकि चर्चा तो अब आप को करनी है इन विषयों पर अपनी टिप्पणी के मार्फत। "
जवाब देंहटाएंअरे !!!! यह तो चर्च पर आ कर रुक गई!! चर्चा पर कब आएगी:)
चर्च = church
जवाब देंहटाएंare you sure cmpershad you would continue this term here on this post !
जवाब देंहटाएंजहाँ तक मैं समझता हूँ कि, लालित्य का सँबन्ध प्रकृति के बाद मानव से ही जुड़ा रहा है ।
जो भी दाज्यू ने दिखलाया है, यह जुगुप्सा उत्पन्न कर रहा है, न कि कोई स्निग्ध कोमल भाव !
यह पशुवत और वीभत्स ही कहा जा सकता है, ललित चर्चा में इसका काम ?
मिनी चर्चा के ही बहाने सही चर्चा में तो आये। :)
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