tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post3005000456798765237..comments2023-09-21T18:12:30.204+05:30Comments on चिट्ठा चर्चा: विष्णु प्रभाकर : चिट्ठाकारों की विनम्र श्रद्धांजलिdebashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-24341982830815987972009-04-15T21:52:00.000+05:302009-04-15T21:52:00.000+05:30माननीय श्री दिविक रमेश जी ने अपने ब्लॉग में एक पो...माननीय श्री दिविक रमेश जी ने अपने ब्लॉग में एक पोस्ट में काफी खरी खरी बातें कहीं, श्री प्रेम जनमेजय जी ने नुक्कड़ पर इस बेबाक टिप्पणी का लिंक दिया और इस पर खूब मंथन हुआ। मैं इन दोनों कडि़यों को इसमें जोड़ना चाहूंगा http://nukkadh.blogspot.com/2009/04/blog-post_3143.html और दिविक रमेश जी के ब्लॉग पर टिप्पणी का मूल लिंक http://divikramesh.blogspot.com/2009/04/blog-post.html जिस पर प्राप्त अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-9084746275224605502009-04-14T18:11:00.000+05:302009-04-14T18:11:00.000+05:30बहुत श्रद्धा है उनके प्रति मन में। श्रद्धान्जलि।बहुत श्रद्धा है उनके प्रति मन में। श्रद्धान्जलि।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-32597440579552424862009-04-13T10:59:00.000+05:302009-04-13T10:59:00.000+05:30साहित्य जगत के एक ऐसे सीधे, सच्चे साहित्यकार के रू...साहित्य जगत के एक ऐसे सीधे, सच्चे साहित्यकार के रूप में विष्णु प्रभाकर जी सदा याद किया जाएगा निन्होंने गुट, वाद और गिरोहबंदी से दूर रह कर साहित्य साधना की। ऐसे सरल साहित्यकार की आत्मा को नमन॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-23682111867587896932009-04-13T09:37:00.000+05:302009-04-13T09:37:00.000+05:30ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे ।आदरणीय विष्नु प्रभा...ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे ।<BR/>आदरणीय विष्नु प्रभाकर जी को सादर श्रध्धाँजली -<BR/> उनके परिवार के सदस्य राज माँगलिक जी<BR/> मेरे शहर मेँ रहते हैँ <BR/>कभी उनसे बातचीत की जायेगी --<BR/> मेरी विनम्र श्रद्धान्जलि। <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-47548460958517079582009-04-13T07:12:00.000+05:302009-04-13T07:12:00.000+05:30उन से कभी प्रत्यक्ष नहीं हुआ। उन के पात्रों के माध...उन से कभी प्रत्यक्ष नहीं हुआ। उन के पात्रों के माध्यम से ही उन्हें जाना। लगता ही नहीं कि वे अपरिचित थे। विनम्र श्रद्धान्जलि। वे अपने पात्रों में अमर हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-10519109760662851632009-04-13T07:09:00.000+05:302009-04-13T07:09:00.000+05:30कल हिन्दुस्तान में बंगला साहित्यकार सुनील गंगोपाध्...कल हिन्दुस्तान में बंगला साहित्यकार सुनील गंगोपाध्याय जी का लेख छपा था। उन्होंने लिखा कि विष्णु प्रभाकार जी ने बंगाली लोगों को शरतचन्द्र के बताया। विष्णु प्रभाकार जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।<BR/><BR/>आपको दुबारा चिट्ठाचर्चा में सक्रिय देखकर मुझे बहुत हर्ष हो रहा है।आशा है आप नियमित इतवार के दिन कुछ न कुछ चर्चा करते रहेंगे।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-14954118551984919812009-04-13T06:23:00.000+05:302009-04-13T06:23:00.000+05:30बहुत बढिया ... विष्णु प्रभाकर जी को श्रद्धांजलि द...बहुत बढिया ... विष्णु प्रभाकर जी को श्रद्धांजलि देते हुए सारे लेखकों को समेट लिया आपने इस चिट्ठा चर्चा में ... उन्हें मेरी भी श्रद्धांजलि।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-49177805877591520752009-04-13T05:57:00.000+05:302009-04-13T05:57:00.000+05:30हिन्दी साहित्य के इस विराट व्यक्तित्व को श्रद्धांज...हिन्दी साहित्य के इस विराट व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देती इन कड़ियों के संकलन के लिये आभार । मेरी भी श्रद्धांजलि ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-86528577879761464502009-04-13T05:29:00.000+05:302009-04-13T05:29:00.000+05:30आज विष्णु प्रभाकर जीवित नही हैं ,लेकिन उनका साहित्...आज विष्णु प्रभाकर जीवित नही हैं ,लेकिन उनका साहित्य अमर है। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे ।प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-89378865343562843442009-04-13T02:06:00.000+05:302009-04-13T02:06:00.000+05:30कृपया मेरी टिप्पणी में‘विष्णु प्रभाकर’ जी के नाम क...कृपया मेरी टिप्पणी में‘विष्णु प्रभाकर’ जी के नाम की टाईप को सही पढ़ें।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-20322444820563301082009-04-13T02:05:00.000+05:302009-04-13T02:05:00.000+05:30नेट पर इस बीच आई सूचनाओं आदि की संकलनात्मक चर्चा। ...नेट पर इस बीच आई सूचनाओं आदि की संकलनात्मक चर्चा। धन्यवाद।<BR/>नेट पर ही "बीबीसी(व अन्य) की विष्णुप्भाकर जी के संबंध में भारी भूल" ( http://hindibharat.blogspot.com/2009/04/blog-post_5123.html ) को भी संकलन की दृष्टि से इनमें जोड़ना चाहूँगी।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-22755076532438670372009-04-13T00:47:00.000+05:302009-04-13T00:47:00.000+05:30हम क्या कहें...कल से ही बहुत कुछ पढ़ रहे हैं। अपने...हम क्या कहें...कल से ही बहुत कुछ पढ़ रहे हैं। अपने जीवन का जो पहला साक्षात्कार हमने लिया था 1982 में कभी...बीस वर्ष की उम्र में, वो यही महापुरुष थे-विष्णु प्रभाकर। पटना से निकलनेवाली एक साहित्यिक पत्रिका में प्रकाशित भी हुआ था। यह सब हुआ था मेरे मामा पूं कमलकांत बुधकर के सौजन्य से। विष्णुजी उन्हीं के मेहमान थे हरिद्वार में। मामा की वजह से हमें कई साहित्यकारों और विद्वानों के दर्शनों-संगत का लाभ अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-16767459.post-31842404627671078392009-04-13T00:40:00.000+05:302009-04-13T00:40:00.000+05:30श्रद्धेय के लिये बहुत से जन कुछ न कुछ कह चुके हैं....<I><BR/>श्रद्धेय के लिये बहुत से जन कुछ न कुछ कह चुके हैं.. या कहना चाहेंगे ! उसमें मैं इतना ही जोड़ना चाहूँगा, कि..<BR/>वह एक प्रेरक संघर्षगाथा के जीवित स्वरूप रहे हैं । विष्णु दयाल के रूप मे उनकी प्रारंभिक यात्रा विष्णु गुप्ता पर तनिक ठहर , विष्णु धर्मदत्त को लाँघते हुये, विष्णु प्रभाकर बन कर छा गये ! थर्ड ग्रेड नाटक कम्पनी के लिए ’ हत्या के बाद ’ जैसा नाटक लिख कर भी वह विचलित न हुये ! यह और डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.com