मंगलवार, जनवरी 02, 2007

करते हुए सलाम

नये वर्ष की पहली चिट्ठा चर्चा दी अंजाम लिखा
जो भी मिला सामने उसको लेकर हरि का नाम लिखा
ढूँढ़ धूँढ़ कर जो कि अभी तक कहीं रहा गुमनाम लिखा
चिट्ठाकारों की प्रतिभा को करते हुए सलाम लिखा


इस नये वर्ष में आप जो भी लिखें वह चमकता रहे बन स्यमंतक मणी
आपके कॄत्य में शब्द के द्वार पर, व्याकरण हो खड़ी बन रहे चारणी
आपके शब्द गहराई ले अर्थ की द्वाअर खोलें सॄजन और साहित्य के
कामना- इस नये वर्ष में आपको पोस्ट को नित मिलं डेढ़ सौ टिप्पणी

आप इक चाहे शत शत नमन कीजिये, आप पायें वरद हस्त गुरुदेव का
जोगलिक्खी हुई बात मंतव्य की और आशीष बिखरा हुआ देव का
मेरा पनना, जुगाड़ी हो चमका करे साथ रवि के गगन में सितारा बना
अंतरिक्षों में उड़ती रहे कल्पना, और फ़ुरसत को हो साथ शोएब का

जो कलम गीतकारों की लिख कर गई, उससे नारद रहा है अछूता अभी
फूल लाये झरोखों में अक्सर तरुण, हाथ से जाने मौका दिया न कभी
और कुछ भी नहीं शेष जब रह गया तो किया बैठ चिन्तन निठल्ला यहां
आये लेकर कहानी हैं बिगबास की इस नये साल की ज्योतिषानी सभी

अब महाशक्ति का आकलन-स्वाकलन एक आयाम लगता नया खोलने
ओर फिर से तरुण गीत गढ़वाल के सैलफोनों की धुन में लगे घोलने
आओ अब इस नये वर्ष की वीथिका में नये दीप ज्योतित करें आस के
बात अंतर की गहराई से भावना का छलकता हुआ घट लगा बोलने


आज का चित्र:- कहा जाता है कि इन्द्रधनुष के अंतिम सिरे पर एक स्वर्ण कलश होता है.



2 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर चर्चा रही, बधाई, नये साल की शुरुवात की. बहुत सही. वाह वाह.... :roll:ftdoy

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  2. कविता रूप मे अच्‍छा बर्णन किया है।

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