रविवार, सितंबर 02, 2007

नये हिंदी ब्लाग में एग्रीगेटर

कादम्बिनी के नये अंक में यह लेख गौरी पालीवालजी का लिखा है। इसे हमें नीरज दीवान ने उपलब्ध कराया। साभार इसको आपकी जानकारी के प्रकाशित कर रहे हैं।
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5 टिप्‍पणियां:

  1. चिट्ठों की बजाय चिट्ठा विस्तारकों पर जानकारी देखकर बहुत अच्छा लगा. एकै साधे सब सधै...

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  2. उपयोगी लेख, एवं अच्छा विश्लेषन. इसे चुन कर यहां प्रदर्शित करने के लिये आभार -- शास्त्री जे सी फिलिप

    आज का विचार: जिस देश में नायको के लिये उपयुक्त आदर खलनायकों को दिया जाता है,
    अंत में उस देश का राज एवं नियंत्रण भी खलनायक ही करेंगे !!

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  3. यह बढ़िया रहा. जागरुकता अभियान तो सतत चलता रहना चाहिये.

    आपका आभार खबर देने का.

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  4. बहुत शोर सुनते थे, पहलू में दिल का
    चीर के देखा तो कतरा एं खूं निकला


    चलो ठीक है। अच्छा है। कहां बात कवर स्टोरी की थी और कहाँ आधा पन्ने का कवरेज दिया एग्रीगेटर्स को। सच मे संपादक की कैंची भारी पड़ती है।

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  5. अच्छी है यह कोशिश। धन्यवाद।

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