सोमवार, दिसंबर 29, 2008

मलिका, गुलाम और मुल्क ...यानी मालामाल

ठंड की एक शाम

जैसा कि आमतौर पर बह्स-प्रधान बातचीत का होता है वैसे ही गाली-गलौज वाली बात का हुआ। लोग बात के केंद्रीय भाव तक नहीं पहुंचे और बकौल सिद्धार्थ गाली-गलौज के बहाने दोगलापन के रूप में सामने आया।

जाड़े के मौसम में तमाम चीजें उलट-पुलट हो रही हैं। ज्ञानजी निवेश की बात कह रहे हैं, सांता थाने में हैं और इस सब से बेखबर ताऊ कविता गढ़ रहे हैं। ताऊ जी कविता में बुढ़िया को बर्फ़ के नीचे दबाकर आभार सीमा गुप्ता जी को दे रहे हैं। मतलब कल को कोई कुछ कहे तो कह देंगे ये सब सीमाजी के इशारे पर हुआ। देखिये भला:
सारा दिन भीड उस
कुदरत निर्मित प्रतिमा को
देखने आती रही
तभी मैने किसी को कहते सुना
कल की बर्फ़ीली रात
बुढिया सर छुपाने की
जगह मांगती फ़िर रही थी !

जाड़े में ठिठुरने से अच्छा है कि अरविन्द पाण्डेय की कविता पढ़ी जाये:
ये कुरबतें ये दूरियां तो दिल की जानिब हैं
दिल है करीब तो करीब , दूर है तो दूर ,

दिल में तेरे जो बात मेरी याद से उठे
तू समझना मैंने करीब होके कुछ कहा


आपको गजल और छंद की जानकारी चाहिये तो प्राण शर्माजी का लेख देखिये और अगर मलिका, गुलाम और मुल्क ...यानी मालामाल होने वाला रास्ता पकड़ना है तो अजित जी के पास जाना होगा जो बताते हैं:
मलिका, गुलाम और मुल्क ...यानी मालामाल
मुल्क, मलिका और मलिक इस सिलसिले की सबसे की सबसे दिलचस्प कड़ी है मुल्क। सेमेटिक मूल का यह शब्द आज दुनियाभर में देश या कन्ट्री के रूप में मशहूर है। माल, मालिक जैसे शब्दों से आगे मुल्क शब्द की अर्थवत्ता में सार्वभौम साम्राज्य का भाव समा गया। मुल्क का मालिक राजा होता है इसीलिए मालिक का एक अन्य राजा भी होता है। मालिक का ही दूसरा रूप मलिक भी है जो प्रायः रसूखदार लोगो की उपाधि भी रही है। रानी के लिए मलिका शब्द भी प्रचलित है। मलिका-सुल्तान, मलिका-आलिया जैसे शब्द इतिहास की किताबों में खूब पढ़े जाते रहे हैं।


लेकिन आपको जीवन सार वर्षा के ब्लाग पर ही मिलेगा
वो गुलिस्तां ही क्या जो
काँटों से बैर रखता हो
वो कमल कैसा जो
कीचड में न खिलता हो
वो दीपक क्या जो
ख़ुद को जलाकर न जले



एक लाईना



  1. सावधान ! अनाम टिप्पणीकार, सावधान! :तुम पर निगाह रखी जा रही है।

  2. विंडोज xp का नया बिहारी संस्करण :ये तो बिहार के लिये अपमानजनक है

  3. रात और दिया :मिर्जा कि खान?

  4. यह ख्याल है या जिक्र भर तेरा :ये बात साफ़ हो जानी चाहिये पहले

  5. ब्लाग जगत में दो वर्ष पूरे होने पर-संपादकीय : लिख ही डाला

  6. नये साल के स्वागत में.... : कितने तो इंतजाम कर डाले

  7. पहेलियाँ बुझना हमे आया नही:कोई बात नहीं, सुलगने दो पहेलियों को

  8. क्‍या इजरायली सरकार आतंकवादी नहीं है? :यह अंदर की बात है जी

  9. ब्लॉग पढने के फायदे :पढ़ने पर फ़िर चर्चा नहीं झेलनी पड़ती

  10. कान्हा ये माखन नहीं है! : ये मेकअप है

  11. हिन्दी ब्लॉग लेखन : साहित्य की सीमाओं से परे सर्जित साहित्य :को कोई साहित्य मानता है जी!


  12. बापी दास का क्रिसमस वर्णन : बचा के रखो, अगले साल बांचना


  13. आपके गुरुजन दुष्ट प्रवृत्ति के होंगे ! :न जी ,हमारे तो गुरुजन सब बहुत अच्छे थे

  14. यदि परमाणु हमला करे पाकिस्तान तो आप कितना हैं तैयार? चर्चा करें!!! : वो हमला करेगा तो हम चर्चा के लिये तैयार हो जायेंगे।

  15. लक पांवडे बिछाये रहता हूँ सुबह शाम : और दोपहर का क्या रूटीन है मिसिर जी, समेट लेते हैं क्या?


  16. आइए, एक जेहाद जेहादियों के खिलाफ भी करें : अरे छोड़िये जी, ऊ सब लोग फ़तवा जारी कर देता है, अल्टीमेटम दे देता है


  17. हे 2009, मेरी 2008 की बुराइयों को भूल जाना, अच्छाइयों को ही आगे बढ़ाना......उर्फ आइए खुद के दिल में झांकें :क्या बात है बांके!!


  18. एक कतरा ख्वाहिश... :गरम चाय लेकर आ..


  19. हेप्योनैर निवेशक बनें आप! :वाह जी! निवेश के लिये हम ही मिले हैं?


  20. गाली के बहाने दोगलापन...। :बोले तो एक ठो पंथ, कई ठो काज


  21. सांता इन थाना :गायेंगे नये साल का गाना


  22. अंधेरे में कोहरा : मतलब करेला वो भी नीमचढ़ा


  23. दिन तो बिखरा उफ़नते हुए दूध सा : गैस बंद करो भाई सब दूध गिर जायेगा


  24. 'काँच की बरनी और दो कप चाय' : अपने दोस्त के साथ हमेशा रखो भाय



और अंत में



अब इत्ता सब लिखने के बाद पोस्ट करने के अलावा और कुछ बचता नहीं है जी। साल का आखिरी हफ़्ता है। मजे में बीते यही कामना है।

कल आपकी मुलाकात होगी विवेक सिंह से। तब तक आप मस्त रहें, व्यस्त रहें। न कुछ हो कुछ लिख ही डालें। चाहे यहां या कहीं और।

ऊपर का चित्र अंतर्मन से और नीचे वाला अजितजी के ब्लाग से साभार।

Post Comment

Post Comment

30 टिप्‍पणियां:

  1. "हा हा हा हा हा हा आपका भी जवाब नही, हमने तो सोचा था अब सारे इल्जाम ख़ुद ही झेलने पडेंगे अकेले ही , मगर आपकी पैरवी का शुक्रिया..."
    Regards

    जवाब देंहटाएं
  2. बर्फ देख कर ही कपकपी छूट जाती है और फिर उसमें लिपटी बुढिया --हमसे सोचा तक नही गया -दिमाग लकवे से बचा !
    अच्छी चर्चा !

    जवाब देंहटाएं
  3. नए साल की अग्रिम शुभकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. bahut khoob......aaj hamaara jikr bhi hai.....
    Anup ji,
    achchi charcha ....

    जवाब देंहटाएं
  6. मालामाल चर्चा।
    लगता है महिलाएं भी पुरुषों का मुकाबिला गाली-गलौच में भी करना चाहती हैं! करें, जरूर करें, कौन रोकता है। पुरुषों की तरह सिगरेट पियें [पश्चिम में तो पुरुषों से अधिक महिलाएं ही पीती हैं तो भारत में पीछे क्यों रहें], शराब पियें, आगे बढ़कर अपने लिए एक रेड लाईट एरिया[ चाहें तो रंग बदल लें] खोल लें .... तभी ना, यह कहा जा सकेगा कि स्त्री भी पुरुष से कम नहीं!!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत चकाचक रही जी ये चर्चा तो ! एवरफ़्रेश एक लाईना ! बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं जी आपको !

    जवाब देंहटाएं
  8. एक लाईना हमेशा की तरह जानदार...

    जवाब देंहटाएं
  9. जीवन के सार के साथ-साथ चिट्ठा-प्रविष्टियों के सार ने लुभाया बहुत.

    चर्चा के लिये धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  10. कट, कॉपी, पेस्ट भी ठस्से की कला है,या तो रौनक बाज़ारों में या सत्ता के गलियारों में,बिंदी के तो हिलने का इंतजार और बोरियत, काफी विस्तृत और सामयिक बातें पढने और चिंतन के लिए मिल जाती हैं
    - विजय तिवारी " किसलय "

    जवाब देंहटाएं
  11. लगता है महिलाएं भी पुरुषों का मुकाबिला गाली-गलौच में भी करना चाहती हैं! करें, जरूर करें, कौन रोकता है। पुरुषों की तरह सिगरेट पियें [पश्चिम में तो पुरुषों से अधिक महिलाएं ही पीती हैं तो भारत में पीछे क्यों रहें], शराब पियें, आगे बढ़कर अपने लिए एक रेड लाईट एरिया[ चाहें तो रंग बदल लें] खोल लें .... तभी ना, यह कहा जा सकेगा कि स्त्री भी पुरुष से कम नहीं!!

    cmpershad ji

    मुझे ऐसा लगता हैं की एक सीधी सी बात की गाली देना ग़लत हैं या शराब और सिगरेट पीना ग़लत हैं ना कह कर जब हम ये कहते हैं की औरत का शराब और सिगरेट पीना ग़लत हैं या औरत का गाली देना ग़लत हैं तो हम व्यवस्था मे बराबरी की बात नहीं करते . ये मुद्दा ही ग़लत हैं की औरत के लियाए " ये ये करना वर्जित हैं " क्युकी वर्जनाए सबके लिये एक सी क्यों नहीं हैं ?? सवाल ये नहीं होना चाहिये की औरत / महिला गाली देती अच्छी नहीं लगती , सवाल होना चाहिये की गाली क्यूँ दी जाती हैं और कोई भी क्यूँ देता हैं पर नहीं एकल पुरूष का गाली देना और एक महिला हो कर गाली देना दो अलग अलग बात हैं . पुरूष का गली देना यानी एक अधिकार और महिला का गाली देना oh my god

    and now about part of your comment on Red Light area

    I think you should also try to refrain your self from telling woman what they should be doing .

    औरतो को क्या करना हैं इसके फैसला उनपर ही छोड़ दे क्युकी कम से कम ब्लोगिंग मे जो भी महिला हैं चाहे वो सुजाता हो या रचना या घुघूती बासूती सब ये जानती हैं की वो किस विषय पर क्या लिख रही हैं और क्यूँ मुद्दों को ब्लॉग पर ला रही हैं . रेड लाईट एरिया का जिक्र कर के आप जिस सोच का या मानसिकता का परिचय दे रहे हैं वो केवल और केवल हम सब महिला ब्लोग्गेर्स को एक अपमानजनक स्थिति मे खडा कर रही हैं .

    जवाब देंहटाएं
  12. चकाचक चर्चा के लिए आभार ! और विवेक जी द्वारा की जाने वाली चर्चा का इंतजार !

    जवाब देंहटाएं
  13. देर से आने का लाभ,
    चिट्ठों पर चर्चा के साथ
    चर्चा पर टिप्पणी और,
    उस पर चर्चा
    वर्षांत में दो दो उपहार।

    जवाब देंहटाएं
  14. cmpershad said
    मालामाल चर्चा।
    लगता है महिलाएं भी पुरुषों का मुकाबिला गाली-गलौच में भी करना चाहती हैं! करें, जरूर करें, कौन रोकता है। पुरुषों की तरह सिगरेट पियें [पश्चिम में तो पुरुषों से अधिक महिलाएं ही पीती हैं तो भारत में पीछे क्यों रहें], शराब पियें, आगे बढ़कर अपने लिए एक रेड लाईट एरिया[ चाहें तो रंग बदल लें] खोल लें .... तभी ना, यह कहा जा सकेगा कि स्त्री भी पुरुष से कम नहीं!!
    ------
    लाइट एरिया !! कहाँ हैं सभ्यता के रखवाले ?? देखिए किस तरह पुरुष स्त्री पर हमला बोलता है भाषिक अभिव्यक्तियों के सहारे । इस मायने मे वह गाली का मोहताज नही है । रेड लाइट एरिया मे निश्चित रूप से स्त्रियाँ तो अपनी भड़ास मिटाने नही जाती न!कुछ सभ्य पुरुष ही जाते होंगे।
    अब इसे दोगलापन न कहूँ तो क्या कहूँ । और इसे भी दोगलापन न कहूँ तो क्या कहूँ कि अभी तक चोखेर बाली पर जो मुझे संस्कृति सभ्यता और शिष्टाचर के पाठ पढा रहे थे उनकी नज़र अभी तक इस पर नही पड़ी।

    जवाब देंहटाएं
  15. "और इसे भी दोगलापन न कहूँ तो क्या कहूँ कि अभी तक चोखेर बाली पर जो मुझे संस्कृति सभ्यता और शिष्टाचर के पाठ पढा रहे थे उनकी नज़र अभी तक इस पर नही पड़ी।"

    दोगलापन यानी
    एक ब्लॉग
    पर आप जो कहते हैं ख़ुद वही दुसरे ब्लॉग पर अगर कोई आप से कहता हैं तो आप उसे दोगलापन कहते हैं
    और जो तुमको समझाते हैं वो सदियों से समझाते ही चले आ रहे हैं . कभी समझना नहीं चाहते .

    दोगलापन यानी
    एक ब्लॉग
    पर आप जो कहते हैं ख़ुद वही दुसरे ब्लॉग पर अगर कोई आप से कहता हैं तो आप उसे दोगलापन कहते हैं
    और जो तुमको समझाते हैं वो सदियों से समझाते ही चले आ रहे हैं . कभी समझना नहीं चाहते . बहस मे जब तक नारी को ये याद ना दिला ले की उसको कुछ नहीं आता और नारी के शरीर को जब तक बहस मे लाकर उसको बेच ना ले तब तक शायद मजा ही आता .
    और अब कमेन्ट पढ़ कर स्मित की रेखा ही आयेगी शिष्टाचार के रक्षको के मुह क्युकी यही उनकी मानसिकता हैं .

    जवाब देंहटाएं
  16. रात "खान" और दिया "मिर्जा" कैसा रहेगा !:)

    जवाब देंहटाएं
  17. अरे यहाँ तो वही पाशविक विरासत अपना कुरूप चेहरा लिए दाँत निपोर रही है। चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद की टिप्पणी नितान्त अमर्यादित है। इससे ये क्या बताना चाहते हैं? एक गम्भीर मुद्दे को इस तरह गलत राह पर ले जाना इन्हें कतई शोभा नहीं देता।

    शिष्टाचार का पालन तो सबको करना होगा।

    जवाब देंहटाएं
  18. “ जब आप भाषा के इस भदेसपने पर गर्व करते हैं तो यह गर्व स्त्री के हिस्से भी आना चाहिए। और सभ्यता की नदी के उस किनारे रेत मे लिपटी दुर्गन्ध उठाती भदेस को अपने लिए चुनते हुए आप तैयार रहें कि आपकी पत्नी और आपकी बेटी भी अपनी अभिव्यक्तियों के लिए उसी रेत मे लिथड़ी हिन्दी का प्रयोग करे और आप उसे जेंडर ,तमीज़ , समाज आदि बहाने से सभ्य भाषा और व्यवहार का पाठ न पढाएँ। आफ्टर ऑल क्या भाषा और व्यवहार की सारी तमीज़ का ठेका स्त्रियों ,बेटियों ने लिया हुआ है?”

    यह कथन सुजाताजी का है। यदि महिलाएं पुरुषों के गंदे आचरण को अपनाना चाहें तो पुरुष कौन होता है रोकने के लिए। मुझे प्रसन्नता है कि मेरे कटु शब्दों ने महिलाओं में विरोध के शब्द उठे और यही है सुजाताजी को उनकी स्वतंत्रता का उत्तर।

    जवाब देंहटाएं
  19. सुजाताजी को उनकी स्वतंत्रता का उत्तर
    __________

    c m pershad jee

    आपके कहने का यह मतलब निकलता है कि जब कोई स्त्री पितृसत्ता के खिलाफ खड़ी होगी तो आप उसे सरे आम बलत्कृत कर डालेंगे ? आपकी कैसे हिम्मत हैअ यह लिखने की कि रेड लाइट एरिया खोल लीजिये? आप रिटायर आदमी हैं ,बुज़ुर्ग हैं आपको यह भड़वागिरी की भाषा शोभा नही देती।जिस बात का मै सिरे से विरोध कर रही हूँ आप द्र असल उसी विरोध को सही सबित करने के लिए प्रचार कर रहे हैं काश आपको यह समझ आता ।
    अभी तो मैने सिर्फ गाली के पितृसत्तात्मक चरित्र पर बात ही की थी , ऐसा आपके चरित्र मे क्या है कि आपको मात्र मेरे कह देने से इतना उबाल आ गया कि आप इतना नीचे फिर गए कि मुझे जवाब देने को तर्क के स्थान पर गाली ही इस्तेमाल कर दी?
    आपको पोस्ट की भाषा और व्यंजना समझ नही आती तो चुप रह जाना श्रेयस्कर नही था आपके लिए?
    शायद आपने कहीं पढा हो कि गाली वाचिक हिंसा है। जिस व्यक्ति पर हम वार नही कर सकते , शस्त्र नही उठा सकते उसे गाली देकर राहत महसूस करते हैं।
    तो आपका मन हुआ होगा कि सार्वजनिक मंच से इस बिन्दास बात करने वाली महिला को उसकी सही औकात बताई जाए और मुँह नोच लिया जाए ,और तभी आप सगर्व इतना नीचे गिर गए ..और गर्व सहित गिरते जा रहे हैं......

    जवाब देंहटाएं
  20. वर्ष नौ आ रहा है

    आतंकवाद को नो कहें

    और किन आठ बातों को

    कहना है नो

    समझा दीजिए जो है सो।

    जवाब देंहटाएं
  21. मुझे प्रसन्नता है कि मेरे कटु शब्दों ने महिलाओं में विरोध के शब्द उठे

    u r wrong c m pershad but the basic problem is that like all man { i mean those who behave as if they have a right to teach woman } you have been GROOMED by our society TO PUT WOMAN INTO THEIR RIGHT PLACE ,

    aur aap ki nazar mae aurat ki sahii jagah yaa aurat ka sahii istmaal kewal aur kewal uska shareer hee haen .

    aap agar sujata sae tarak nahin kar kar saktey mat karey
    aap ko sujata ka likha nahin pasand mat padhey
    aap ko sujata ki bhasha nahin pasand mat baat karey

    par uskae uthaayae vishay ko aap yae kehkar nakaarey ki

    lo tumko tumaharii sahii jagah deekhaa diii to

    shaayad aap khud apni sahii jagah pahuch gayae aur us jagah kaa naam haen

    gattar aur sewer

    aap ko jwaab dena jarurii haen

    kyuki
    ek to ap ka koi blog hae hii nahin , maatr aap apni bhadaas tippanikae sahaarey nikaltey haen

    bloging bhi ek group haen aur us group mae jp blogger haen wahi tippani dae to is prakaar ka behuda pan khatam ho jaataa haen .

    do yae pehli baar nahin haen jab aap ne sujata kae upar itna vidrup tanch kasaa haen { aur suijata kewal pratinidhi haen blog likhtii mahila ki } agar aap kaehe to mae is charcha manch sae aap ka dusra kiya kament bhi dikha saktee hun

    जवाब देंहटाएं
  22. हद है! कोई बराबरी के बात करे और लोग उसका सार्वजनिक बलात्कार (मानसिक ही सही ) करें ..किसी बहाने से सही इनकी मानसिकता तो सामने आई ..अधिसख्यक पुरूष ब्लोगरों का मौन क्या (निश्चय ही सहमती ) दर्शाता है यह सब जानते हैं.
    वैसे सी एम प्रसाद की हिम्मत की दाद देनी होगी

    जवाब देंहटाएं
  23. अच्छा रहा - अनुपस्थिति में हुई गतिविधियों का हालचाल मिल गया।

    जवाब देंहटाएं
  24. सी एम् प्रसाद की टिपण्णी पढ़कर बहुत दुःख हुआ...और बेहद अफ़सोस भी...

    जवाब देंहटाएं
  25. बेहद निराशाजनक क्या यही है हिन्दी ब्लॉग जगत के सुनहरे भविष्य के सपने

    जवाब देंहटाएं
  26. सीएम प्रसाद ने गाली देकर संतोष प्राप्त किया और उस पर विरोध स्वरूप प्रतिक्रियाएं पाकर प्रसन्नता भी हुई!! चित भी मेरी, पट भी मेरी। मुझे लगता है ऐसे घृणित सोच वाले इंसान का पूरे चिट्ठाजगत मे बहिष्कार होना चाहिए। क्या उन्हें समझ में आता है कि 'अपने लिए रेड लाइट एरिया खोलने' के मायने क्या हैं? क्या वे अपने घर-परिवार के झगड़ों में भी महिलाओं को ऐसी सलाहें दिया करते हैं?

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative