शुक्रवार, मार्च 09, 2007

मध्यान्हचर्चा दिनांक : 09-03-2007

संजय ने कोफी का घूँट भरा तथा, धृतराष्ट्र की ओर देखा. वे हाथ में कोफी का मग लिये उन्हे ही ताक रहे थे. संजय ने जल्दी से अपनी नजरे लैपटॉप पर टिका दी. तभी कुछ घरघराहट की आवाज हुई तो धृतराष्ट्र ने छत को घूरा.

संजय : महाराज उड़नतश्तरी है, आपके दरबार में चर्चा का तिहरा शतक पूरा किया जा चुका है, इसकि बधाई देने आयी है. थोड़ी जोश में है, इसलिए ज्यादा घरघराहट कर रही है.

धृतराष्ट्र : बधाई स्वीकारते है, अब देखो आज कौन-कौन ताल ठोक रहा है?
संजय : ताल तो देखते हैं महाराज, अभी तो शुएब की खुदाई ट्रेन दिख रही है. बहुत दिनो बाद दिखाई दिये हैं. मगर पूरे रंग में है.
रंगो से रंगी दीपाजी सुन्दर गीत से होली का स्वागत कर रहीं है, बस उनसे थोड़ी-सी देरी हो गई है.
मगर याहू ने बिना देर किये माफी माँग ली है, बता रहे है, जवान चन्द्रशेखर.

धृतराष्ट्र : और यह विटामिन की पुड़ीया कौन बाँट रहा है.
संजय : महाराज बात चैतन्यजी की समझ से विटामिन एम यानी मनी की हो रही है,
वहीं जोगलिखी प्रत्यक्ष को अनदेखा करती आकँड़े बाजी पर अपनी समझ दिखा रहे है.
साथ ही समाजवादी जनपरिषद औद्योगिक मानसिकता पर अपनी समझ दिखा रही है,

धृतराष्ट्र : सबको समझ लेते है, पहले कुछ हल्का-फुल्का है वह भी बता दो.
संजय : महाराज छाया चित्रकार के साथ नृत्यनाटिका देखी जा सकती है, या लिज हर्ली के साथ टाइम पास किया जा सकता है. इसके अलावा जुगाड़ी लिंकस तो है ही.

आप इनका आनन्द लें मैं होता हूँ लोग-आउट.

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2 टिप्‍पणियां:

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