०२. आईये पॉलीथीन के खिलाफ संकल्प लें : हम आ रहे हैं, आप ताम्बूल और सुपारी मंगवाईये.
०३. अप्रैल फूल बन रही है जनता: डॉक्टर, इंजिनियर, ब्लॉगर बनकर बोर हो चुकी है.
०४. वंशवाद की विरासत : वसीयत में मिली.
०५. मूर्खाधिराज का प्रोफाइल नहीं मिला : ऍफ़ आई आर करवाया कि नहीं?
०६. 'मोटी' एयरहोस्टेस सुप्रीम कोर्ट पहुंची : और बेंच पर बैठ सुस्ताने लगी.
०७. कैसे बदले भारत की तस्वीर? : वैसे ही, जैसे कैलेंडर बदलता है.
०८. वो भंवर है : और मुझे डुबाय दे रही है.
०९. कहाँ जायेगी ये लडाई : बस अगले बस स्टॉप तक.
१०. अनूप जी लताड़े गए, बिहार की जनता को राहत : एमपी वाले अभी भी कतार में.
११. चुनावी नारे से वारे-न्यारे : आज से ही नारा लगा और मौज मना रे.
१२. मुफलिसी में बीमार है गजल : कोई डॉक्टर अमर कुमार को बुलाओ जल्दी.
१३. सिर से मैला नहीं उतार पायी सरकार : हाथ से ही कौन सा उतार दिया?
१४. देखिये...ये चुनाव है...: ना..हम तो सलमान को देखेंगे.
१५. बाढ़ के समय कहाँ थे नेताजी? : सहायता राशि में डुबकी लगा रहे थे.
१६. कुछ इस तरह तेरी पलकें मेरी पलकों से मिला दे: लोटे से पी के थक गए, आँखों से पिला दे.
१७. वरुण को अभिमन्यु की तरह घिरा बताया मेनका ने : विश्वामित्र ने उकसाया होगा.
१८. ब्लॉगर बन जनता को मोहने चले नेता : नेता ब्लॉगर..जनता ब्लॉगर...ब्लॉगर नेता.
१९. हिंदी ब्लागिंग हमसे पूछो : सब तो बता दिए, अब बाकी क्या है?
२०. मूल तत्त्व धरा ही रह गया : कोई न आया चोरी करने को.
२१. क्या चाहते हो तुम : चाय पीने के पैसे.
२२. वक्त क्या हुआ है : रात के ढाई बजे हैं.
२३. चौथे मोर्चे की अहमियत : पाँचवे के आने से बढेगी.
२४. नेताजी का प्रेमपत्र : समोसा लपेटने के काम आया.
२५. गाँधी जी के तीन बन्दर : दिल्ली में अरेस्ट हो गए.
२६. हिन्दुस्तान जाग रहा है : टेंशन में नींद भी तो नहीं आती.
२७. ज़िन्दगी से मिलो : हेल्लो ज़िन्दगी.
२८. मेरे गाँव की गलियां कहती हैं : इतनी रात गए कहाँ से लौट रहे हो?
२९. तुम लिखो कविता : हम तो ब्लॉग लिख रहे हैं.
३०. ताऊ के हथियार की तबियत खराब : सबुर करो, डॉक्टर साहब गजल को दवाई देकर आ ही रहे हैं.
और आख़िरी एक लाइना: यह मेरी आखिरी चर्चा है.
"यह मेरी आखिरी चर्चा है" यह तो एक लाइना का आधा हिस्सा है न, मनोरंजक पूर्तियों वाला !
जवाब देंहटाएंहम तो सच पूर्वार्द्ध को ही मानते हैं एक लाइना में । और कहीं ऐसा तो नहीं कि अप्रैल फूल आप पूरे अप्रैल भर बनाते रहेंगे !
खैर, एक लाइना अच्छी रही ।
और हां, अगर सच में आखिरी है तो हमें तो भूल ही गये ।
बहुत खूब रही एक लाइना चर्चा
जवाब देंहटाएंआखिरी क्यो?
जवाब देंहटाएंहमारी असहमति दर्ज़ की जाए।
एक लाईने गजब के रहे!
जवाब देंहटाएंआखिरी चर्चा? क्या इसे अप्रेल 1 समझ लिया है??
आखिरी चर्चा हो आप के दुश्मनों की. हमें तो आपके लेखनी जी अभी कई दशाब्दियों तक जरूरत है!!
सस्नेह -- शास्त्री
जवाब देंहटाएंलेयो भाई आय गये, काहे चिल्ला रहे हो ?
आपकी कौन सी रोटी जली जा रही है ?
श्री वरूण जी को ही अभी सुर्खियों में बने रहने दो..
पहले उनकी रोटी सिंक जाने देयो , हमको काहे ऊपर टाँग रहे हो.. ?
ऊ कोरट इस्टे-ऊस्टे ले आवेंगे.. कि सत्ता में न सही, पर उनको हेडलाइन में तो बने रहने दिया जाये !
मुसीबत मत खड़ी करो भाय,, दिनेश जी कहाँ तक बचावेंगे ?
और एक ब्लागर दूसरे ब्लागर को बचाये ही क्यों ?
वह ज़ान भले दे दे.. पर टिप्पणी में हिस्सा क्यों गँवाये ?
जिन जिन भाईयों ने अपनी वसीयत- कलकत्ता पलट - श्री समीर लालके पास जमा करा दिया है,
वह मुझसे अपनी अंतिम इच्छा सहित सम्पर्क करें..
बहनों का ईलाज़ मेरे पास नहीं है, क्षमा करें !
खुल्ले में ललकार कर, यूँ चुप्पे से कहाँ चले ?
जानकारी : बिहार में कलकत्ता पलट एक ख़ास विशेषण हुआ करता है ।
आपकी आखिरी चर्चा तो इससे पहले वाली थी !
जवाब देंहटाएंयह कोई चर्चा थोड़े ही है !
आप गुरु हैं तो ये थोड़े ही कह दिया है कि कुछ भी लिखकर उसे चर्चा कह देंगे !
पहले यह करके दिखाइए,
फ़िर अपनी करके दिखाइए,
तत्पश्चात आखिरी का नम्बर आता है
उसके बाद कहीं चर्चा होगी !
और जब चर्चा होगी तभी तो आखिरी होगी !
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि जब आखिरी का नम्बर चर्चा के पहले आता है तो चर्चा तक पहुँचेंगे कैसे ?
कुछ एक लेना गजब की है...सलमान वाली,मेरे गाँव की गलिया वाली ,तुम लिखो कविता वाली.....
जवाब देंहटाएंअनूप जी ने लगता है एक लेना के पेटेंट में भागीदारी कर ली..पहली चर्चा कब करेगे .ये बतला देते तो आसानी होती....
चुटीली व्यंगपूर्ण रोचक चिठ्ठा चर्चा...बिलकुल आप के जैसी...
जवाब देंहटाएंये मेरी आखरी चिठ्ठा चर्चा है लिख कर धमका रहे हैं या बतला रहे हैं....
नीरज
मस्त लगा एक लाइना ......
जवाब देंहटाएं"और आख़िरी एक लाइना: यह मेरी आखिरी चर्चा है."
जवाब देंहटाएंआप शायद शोभा डे के ब्लाग से प्रभावित हो गये हैं:)
सही रही चर्चा .
जवाब देंहटाएंअंतिम एक लाइना कुछ हजम नही हुई :-)
जवाब देंहटाएंचलिए भाई! जितने दिन यहाँ रहे अच्छे भले से रहे। भगवान आपको आगे नीके-भले रखे। फिर अच्छा दिन बहुरे। आप का मन हरा चंगा हो ले। ई मुई ब्लॉगरी की चर्चा तो होती रहेगी। दिल छोटा मत करिएगा...।
जवाब देंहटाएंअभिओ नहीं बूझे का। हम मजाक कर रहे हैं।
शानदार एक लाइना। एक से बढ़कर एक। एक से घटकर एक। बड़े -घटे का भरत मिताप शानदार है। शोभा बरनि न जाये टाइप।
जवाब देंहटाएंऔर आख़िरी एक लाइना: यह मेरी आखिरी चर्चा है. में चूंकि कोई लिंक नहीं है अत: इसको सही मांग न मानकर खारिज किया जा सकता है लेकिन चर्चा से खुश होकर यह अनुमति दी जाती है कि इसे अपनी की आज की आखिरी मान लें। :) खुश!
अगले हफ़्ते फ़िर गजनट एक लाइना का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंशिवजी की आखिरी लाईन का निहितार्थ क्या है ?
जवाब देंहटाएंअनूपजी से खटपट हुई है या मसीजीवी भाई से ?
यूं उन्हें कष्ट देनेवालों की कमी नहीं है चिट्ठाचर्चाकार मंडल में...:)
ये क्या है-
जवाब देंहटाएंऔर आख़िरी एक लाइना: यह मेरी आखिरी चर्चा है.
??
"आईये पॉलीथीन के खिलाफ संकल्प लें : हम आ रहे हैं, आप ताम्बूल और सुपारी मंगवाईये." एक लाइना अपनी छाप छोड़ गयी।
जवाब देंहटाएंभाई शिव कुमार मिश्रा जी की "मुफलिसी में बीमार है गजल: कोई डॉक्टर अमर कुमार को बुलाओ जल्दी."
"चिट्ठा चर्चा" अच्छी रही।
बधाई।
aap bhee n sir ji kya karten hai vo ate hee honge
जवाब देंहटाएंपड़कर बहुत खुशी हुई / मे ये जानलेना चाहता हू कि, कौनसी टूल उसे करके आपने हिन्दी टाइप करते हे ? रीसेंट्ली मे यूज़र फ्रेंड्ली टाइपिंग टूल केलिए सर्च कर रहा ता, तो मूज़े मिला " क्विलपॅड ". ये तो 9 भाषा मे उपलाबद हे और इस मे तो रिच टेक्स्ट एडिटर भी हे / आप इसिक इस्तीमाल करते हे क्या...?
जवाब देंहटाएंएक लाइना चर्चा बढ़िया है ...पर आखिरी क्यों ?
जवाब देंहटाएंइससे महसूस हो रहा है कि
जवाब देंहटाएंएक लाईना चिट्ठाचर्चाकार
भी टैक्स के दायरे में लाए
जा रहे हैं
तभी तो कितने ही घबराए
बिस्तर समेट रहे हैं।
ये भी खूब रही
जवाब देंहटाएंबुड्ढा मरे या जवान , मुझे हत्या से काम !
जवाब देंहटाएंलगता है आज फ़ैमिली ड्रामा तो होगा नहीं ! इसलिए यहीं अपना टिप्पणी धर्म निभाए देते हैं !
इतनी बड़िया एक लाइना……ऽआखिरी चर्चा कैसे हो सकती है जी, मार्च तो निकल गया अब क्या मसरुफ़ियत्…।:)
जवाब देंहटाएंjust superb
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