बहरहाल अब इत्ती देर रात चर्चा तो क्या झेलेंगे? कुछ एक लाईना हजम कर लें।
एक लाईना
- जुडीशियरी के भ्रष्टाचार का सहारा लेकर अपराधी घोषित कर दिया जाए तो आप क्या करेंगे? :हम क्या करेंगे ? जो करना होगा जुडीशियरी करेगी
- तुम और तुम्हारा ख़याल :एक और बवाल
- आज की कारस्तानियाँ :कब तक बचायेंगी?
- जख्मो के फूल दिल की चादर पर बिछे है :चद्दर सिंगल बेड वाली है या डबल बेड वाली
- शिव तू ही धनवान, बाकी सब कंगाल : कंगलों को बेलआउट पैकेज दो न!
- दुनिया लूटा देते :इसके बाद रपट लिखाते!
- आपको भी जल्दी ही, नया मोबाइल खरीदना ही होगा. : क्या पैसा बांट रहा है कोई चुनाव प्रतिनिधि?
- रिलायंस ने रचा इतिहास :तेल निकालने में
- जैसे दूर देश के टावर में-गुलाल :वैसे ही ब्लागिंग में समीरलाल
- ब्लोगर मिस्ट्री ऑफ़ प्राचीन काल !! हेव डेयर टू सॉल्व इट ? :अरे बच भैया, डोंट गेट इन्वाल्व इन इट
- सरकारी नौकरी महात्म्य :लड़कों के लिये दहेज के सपने दिखाये
- रामप्यारी की बकबक:सुनकर ताऊ बेहोश। होश में आते ही कहा-राम राम!
- ज़माना लुच्चों का........ :फ़ूटने लगे न मन में लड्डू!
- कहीं ये अश्लील तो नहीं :अभी कहां ? थोड़ा और अश्लीलता बढाओ!
- भीख का डाइवर्सीफिकेशन :रोजगार का नया साधन
- फिर से आएँगे खुशहाल लमहे :तो निपट लिया जायेगा
- शोशाबाज कहो या शीशाबाज… :शब्दों के सफ़र में साथ तो चलना ही होगा
- रामराज्य बापू का सपना, इस धरती पर लाओ राम :अभी कहां से आयें? देखते नहीं आचार संहिता लगी है!
- सावधान, वोट डालने पर गिरफ्तारी भी हो सकती है :अग्रिम जमानत कराके मतदान के लिये जाओ
- जरा एक नजर इस फोटो पर ....देखिये जरुर :देख लिया! अब क्या करें? देखते रहें या नजर फ़ेर लें?
- चल सनीमा देखन को जायें गो्री: आधी रात को सनीमा? ब्लागर हो क्या?
अब जब अप्रैल फ़ूल बन ही रहा है तो ये वीडियो देख लीजिये। कविताजी ने इसे चर्चा में लगाया था लेकिन फ़िर पोस्ट नहीं किया।
और अंत में
कल चर्चा का दिन सागर या फ़िर तरुण का है लेकिन उनको ठीक से सूचना न मिल पाने के कारण शायद वे न कर सकें। ऐसी हालत में शाम को चर्चा देखियेगा। तब तक मौज से रहिये।
मुस्कराइये। चैन से मुंह ढंक के सो जाइये। नींद न आ रही हो तो उठ के टिपियाइये।
जवाब देंहटाएंझेल भी रहा हूँ,
और यह लीजिये टिपिया भी दिया !
अब आपको लोरी सुनाऊँ ?
आपको कल द फ़ त र जाना है, मेरी तो नाइट ड्यूटी है
खूब बनाया अप्रैल फूल....
जवाब देंहटाएंमजेदार वीडियो है...
भूले बिसरे गीत की चर्चा भी खूब रही.
जवाब देंहटाएंजमाना लुच्चों का हमेशा ही रहा है।
जवाब देंहटाएंमन में तो लड्डू फूटेंगे ही।
क्योंकि -
"लुच्च बड़ा परमेश्वर से।"
अच्छी रही चर्चा और अप्रिलफूल का गीत भी .
जवाब देंहटाएंयहाँ वाली टिप्पणी तो वहाँ कर दी . अब यहाँ क्या करें ?
जवाब देंहटाएंआज बिना टिप्पणी के ही काम चलाइए न !
लुच्चों और लड्डुओं का अन्त:सम्बन्ध आज ही पता चला।
जवाब देंहटाएंसब हजम हो गया ...जायकेदार है एकलाइना :)
जवाब देंहटाएं"अभी देखा कि आज की चर्चा नहीं हुई। मसिजीवी परिवार लगता है कहीं व्यस्त हो गया और सूचना भी न दे सका। "
जवाब देंहटाएंका करिह भैय्या - ज़माना लुच्चों का........:)
अच्छी रही चर्चा। कुछ संक्षिप्त भी।
जवाब देंहटाएंफूल अप्रैल के
जवाब देंहटाएंअप्रैल भर खिलते रहें
इसी भावना के साथ।
लग गया जमाना लुच्चों का ही है... :)
जवाब देंहटाएंअप्रैल का पहला दिन लम्बा खिच गया सर जी.....
जवाब देंहटाएंवाकई जमाना खराब है जी..विडियो आनन्द दायक है..पुरानी यादें ताजी करवादी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
और लो जी ये टिपिया कर सो भी गये हम तो.
जवाब देंहटाएंरामराम.
लो आपने जो लिखा वही किया है अरे मतलब देखा और नजर फेर कर चले आए ।
जवाब देंहटाएंऔर टिपियाया क्यों नही । :)
वैसे आपकी एक लाईना बड़ी मस्त रहती है ।
हम भी हाजिरी लगा कर जा रहे हैं दिन वाली चर्चा का इंतजार है।
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