एक लाइना
- मैं ख़ुदाओं के बीच सो रहा : बड़ी धांसू नींद आई
- एक शाम अपने कुकुर जी के नाम A/U: इब राम-राम
- बाटी : दो रुपये में एक
- क्या मेरे शरीर में बिजली बन रही है? : व्हाट एन आइडिया सर जी वाली जनता से पूछ लो!
- पोखर की व्यथा : ताऊ की कथा
- पचास के पीएम : शटअप मुफ़्त में
- इक सबब जीने का ….इक सबब मरने का : मतलब जिया भी न जाये मरा भी न जाये
- बूंदों की खनक में:ढूंढ़ती हूँ अक्सर वो छुपा हुआ अक्स तेरा
- दिल ढूंढता है...फ़िर वोही फुर्सत के रात दिन... : ...ढूंढती रह जाओगी
- घास बची तो मैं बचूंगा, आप बचेंगे और वो भी बचेंगे:यहां बचना कौन चाहता है?
- पहला प्यार, बोर्ड एग्जाम और पहले प्रेम पत्र का पकड़ा जाना : सब एक ही लफ़ड़ा पैकेज में !
- चलता फिरता डॉलर है : चीनी बिजली की झालर है
- मैं उसे जानूं न जानूं, जानता है वो मुझे : इसे कहते हैं विश्वास
- गाड़ी तो २ चाहिए और वो भी स्कार्पियो : चाहे उसपे लौकी ही बोयें
- अचानक एक मोड़ पर : मिलने पर नाराज तो न होगी?
और अंत में
आज की चर्चा का दिन बजरंगबली भक्त विवेक सिंह का होता है। लेकिन उन्होंने हमसे कहा है कि उनके इम्तहान तक मैं उधारी में चर्चा करता हूं इसके बाद फ़िर वे सब उधार चुका देगें। जानते हुये भी कि उधार प्रेम की कैंची है और उधारी में ही अमेरिकी बैंके निपट गयीं हम चर्चा रत हैं।
कल की चर्चा में मैंने एक पाठक की हैसियत से अरविन्द जी की चिट्ठाकार चर्चा पर कुछ लिखा। लेकिन उनको अपने लिखे पर सवाल उठाना पसन्द नहीं आया और उन्होंने लिखा अब खुद से किसी की तुलना न करके अनूप शुक्ल जी से किया करूंगा ! सारी दुनिया का दुःख दर्द अपने ऊपर ले रहा हूँ फिर भी दुनिया है कि कहर ढा रही है ! भाई हमसे काहे की तुलना करेंगे? हर व्यक्ति अपने में खास होता है। उसकी किसी से तुलना क्यों की जाये?
तस्लीम ने भी लिखा
शुक्ल जी, हर व्यक्ति के सोचने का नजरिया अलग अलग होता है। जरूरी नहीं कि अरविंद जी भी आपके अनुसार ही दूसरों का आकलन करेंतस्लीमजी यह मैंने खुद लिखा हैउनका अपना अंदाज है। उस पर सवाल उठाना उचित नहीं होगा। लेकिन एक पाठक की हैसियत से जो मैंने महसूस किया वह यह है कि उनके प्रस्तुतिकरण में चिट्ठाकार से उनका खुद का तुलनात्मक वर्णन प्रमुखता लिये रहता है। अब क्या एक पाठक की हैसियत से पढ़े हुये के प्रति अपना विचार व्यक्त करना भी गुनाह है?
कल voyarism पर भी बहुत चर्चा हुई। यह विचार करने की बात है कि चिट्ठाकार के बारे में लिखने के लिये यह सब लिखना क्या जरूरी था (आज भी वह दस्तावेज मेरे पास अभिलेखित है निजी हैं इसलिए शेयर नही कर रहा हूँ -पर सच मानिये बहुत मजा आया -मगर फिर थोड़ी कोफ्त हुयी ख़ुद पर -इतना जल्दी रिएक्ट करने की क्या जरूरत थी ?) कि चिट्ठाकार गलत समझे जाने की संभावित असहजता से बचने के लिये वह सब खुद जाहिर कर दे जिसे आप निजी, उत्तेजक बता रहे हैं तथा शेयर न करने का एहसान कर रहे हैं।
फ़िलहाल इतना ही। बकिया फ़िर। आपका दिन चकाचक बीते
चलते-चलते:जब ब्लैकमेल पर उतर पड़े अरविन्द मिश्र से ज्ञानी
जवाब देंहटाएंबेचारे कुश ने दी आखिर अपनी निजता कुर्बानी
ये करें प्रशंसा या धोयें कुछ समझ न हमको आया
ऐसे पावन शब्दों को सुन खुद शब्दकोश शरमाया
जब ब्लॉग पुलिस आगयी लेगयी रंगे हाथ पकड़के
क्या हाल किया होगा जाने,हम चिन्तित तड़के तड़के :)
चर्चा अच्छी लगी और विवेक जी की टिप्पणी तो सोने पे सुहागा है
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा .
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जी. पर आज छुट्टी के दिन तो फ़ुरसतिया चर्चा होनी चाहिये थी.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
हल्कि-फ़ुल्कि मगर मज़ेदार चर्चा।
जवाब देंहटाएं" हर व्यक्ति अपने में खास होता है।" हम भी खास हो गए- धन्यवाद:)
जवाब देंहटाएंअब तो ब्लॉग पुलिस की कमी खलने लगी है ब्लॉग पुलिस ब्लोगरों का विरोध करे और हम ब्लोगर ब्लॉग पुलिस का
जवाब देंहटाएंपोस्ट के लिए नित नए आइडियाज मिलते जायेंगे चकाचक
अरे बाप रे !हम अभी नीबू पानी लेकर मेच के draw होने का गम मना रहे थे की यहाँ एक ओर ..........लगता है कल की चर्चा फिर गंभीर दृष्टि से पढ़नी पड़ेगी.
जवाब देंहटाएंचर्चा अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंregards
kaafi achchhe link mil gaye ...jo chhot gaya tha padhne ko
जवाब देंहटाएंअच्छी लेखनी हे..../ पड़कर बहुत खुशी हुई.../ आप कौनसी हिन्दी टाइपिंग टूल यूज़ करते हे..? मे रीसेंट्ली यूज़र फ्रेंड्ली इंडियन लॅंग्वेज टाइपिंग टूल केलिए सर्च कर रहा था तो मूज़े मिला.... " क्विलपॅड " / ये बहुत आसान हे और यूज़र फ्रेंड्ली भी हे / इसमे तो 9 भारतीया भाषा हे और रिच टेक्स्ट एडिटर भी हे / आप भी " क्विलपॅड " यूज़ करते हे क्या...?
जवाब देंहटाएंwww.quillpad.in
स्कॉर्पियो पर लौकी उगाना अनूठा प्रयोग होगा। उसकी आर्थिक वायेविलिटी पर खेती-बाड़ी वाले ब्लॉग पर एक पोस्ट की दरकार है।
जवाब देंहटाएंवायुरिज्म को सेक्सुऑलिटी से जोड़ कर देखना जरूरी नहीं। पर मेरा सोचना है कि जितना इण्टरेस्ट से हम फलानी लड़की/लड़के को देखें, उतने ही इण्टरेस्ट से फूल-पत्ती-खच्चर-कोंहड़ा को भी देखें!
बहुत अच्छी चर्चा . बहुत अच्छे लिंक मिले .
जवाब देंहटाएंजै राम जी की।
जवाब देंहटाएंअनूप जी, अभी आप कल वाली ले-दे में ही उलझे हैं क्या? बात तो सेट्ल हो गयी है। कुश ने जो कथित ‘रति’ की थी उसे उजागर कर दिया। खोदा पहाड़ और निकली चुहिया वह भी मरी हुई। रचनाजी ने जबतक इसमें छौंक नहीं लगाई थी तबतक मामला साधारण था। इसे असाधारण बनाने का श्रेय उन्हें ही जाता है।
जवाब देंहटाएंहम तो इस खोजी नजर के मुरीद हो गये। अलबत्ता जो परिभाषा उन्होंने बतायी उसे प्रकाशित करने वाले भी इसे पूर्ण (perfect) नहीं मानते। कामचलाऊ टाइप ही है। मेरे हिसाब से अनावश्यक सनसनी पैदा करने वाली परिभाषा है यह। जय हो!
हे भगवान!
जवाब देंहटाएंआपको लौकी इतनी पसन्द है?
lauki aur scorpio wah wah !!
जवाब देंहटाएंsome people never grow up . they can use a word to sensanlize a post but if we question the meaning of the word in what context then they feel the person who is questioning is try to spread sensation
जवाब देंहटाएंand if i read in depth and others dont and if i try to question where others dont then its their problem not mine
and mr anup thanks for carrying forwrd the comment in right way i appreciate
No comments !
जवाब देंहटाएं"कल voyarism पर भी बहुत चर्चा हुई। यह विचार करने की बात है कि चिट्ठाकार के बारे में लिखने के लिये यह सब लिखना क्या जरूरी था (आज भी वह दस्तावेज मेरे पास अभिलेखित है निजी हैं इसलिए शेयर नही कर रहा हूँ -पर सच मानिये बहुत मजा आया -मगर फिर थोड़ी कोफ्त हुयी ख़ुद पर -इतना जल्दी रिएक्ट करने की क्या जरूरत थी ?) कि चिट्ठाकार गलत समझे जाने की संभावित असहजता से बचने के लिये वह सब खुद जाहिर कर दे जिसे आप निजी, उत्तेजक बता रहे हैं तथा शेयर न करने का एहसान कर रहे हैं।"
जवाब देंहटाएंचलिए टिप्पणी कर ही देता हूँ -क्या अब कुछ ब्लॉगर यह तय करेंगें की कोई ब्लॉगर अपने ब्लॉग पर क्या लिखे -मैं ऐसी मानसिकता के प्रति घोर आपत्ति दर्ज करता हूँ और यह टिप्पणी यहाँ छोड़ता हूँ ताकि यह मेरी अभियक्ति की सनद रहे ! बशर्ते यह मिटा न दी जाय !