बुधवार, अप्रैल 08, 2009

क्या हम सब बदमाश हैं पिंकी...? : मम्मी तो यही बोल रही थी.

एक लाइना स्पेशल चर्चा में आपका स्वागत वगैरह है. आज अनूप जी ने एक लाइना ज्यादा नहीं लिखी. ऐसे में सोचा कुछ एक लाइना हम ट्राई कर लेते हैं.

बांचिये.

०१. फिल्म नगरी से सेट की दुनियाँ तक : ब्लॉगर ही ब्लॉगर दिखाई दें रहे हैं.
०२. वो बात कर के देखें : कि कान काम रहे हैं या नहीं?
०३. देश का नाम करेंगे रोशन : नाम रोशन हो जायेगा, देश में बिजली की किल्लत बरकरार रहेगी.
०४. जर्नलिस्ट को एक्टिविस्ट नहीं होना चाहिए - जरनैल सिंह : सीधा चैनल खोल लेना चाहिए.
०५. यूपीए को फायदा, एनडीए को झटका, मायावती के पास रहेगी सत्ता की चाभी : एसटीऍफ़ लगाओ,
चाभी चुराओ.
०६. कविता- जिंदगी चाय है : इससे पहले कि ठंडी हो, पी जाओ.
०७. हुस्न हाज़िर है : ठीक है, रजिस्टर में प्रजेंट लगा दिए.
०८. मुटभेड़ में मारा गया बदमाश अब बसपा का उम्मीदवार है : इन्हें 'मत' दें.
०९. अगर मैं गृहमंत्री होता : तो सीबीआई मेरे कब्जे में होती.
१०. दर्द का हद से गुज़रना ही दवा होता है! : दर्द का पेटेंट करवाओ.
११. अल्पसंख्यक किसे कहते हैं? : चुन्नू तुम बताओ.
१२. एक आम आदमी : वोटों की पोटली दबाये जंगल से गुजर रहा था.
१३. जुबान की राजनीति : राजनीति की जुबान को आगे बढा रही है.
१४. पक्षी की नक़ल : करके परीक्षा पास करो.
१५. अब लोकतंत्र ने जलील किया लक्ष्मी को : किसने कहा था लोकतंत्र के घर जाने को?
१६. संघ का भावी पथ : गले में अंगरखा और सजी हुई गाड़ी वाला रथ.
१७. अर्जुन युग की समाप्ति , फसल काटी दिग्विजय ने : थ्रेसिंग करेंगे ज्योतिरादित्य
१८. उड़ीसा को जीत लिया शोले की बसन्ती ने : सम्राट अशोक को स्वर्ग में नीद नहीं आ रही.
१९. तरनतारन में फास्ट ट्रैक अदालत मंज़ूर : अब जगीरा नहीं बचेगा.
२०. आखिर कितना रुपया बचा लेते हम! : पांच रुपैया बारह आना...
२१. कौन ज्यादा अस्वस्थ है - जॉर्ज फर्नांडिस या संसदीय राजनीति? : मिजाज़ ठीक होगा, तब बताएँगे.
२२. क्या ये मेरा व्यसन हो गया है ? : कमीशन बैठाते हैं, वही रिपोर्ट देगा.
२३. कुछ व्यक्तित्व विकास उक्तियाँ : कुछ से क्या होगा, कम से कम पांच किलो तो दें.
२४. निखर गया चाँद.. : तो चांदनी लजा गई.
२५. पुरुष पर्यवेक्षण की अगली चाल : कामयाब रही.
२६. रहीम के दोहे - मिलने पर दूरी बनाये रखें, ऐसे लोगों से मिलने का क्या लाभ? : सर्दी के कीटाणु
अटैक नहीं करते.
२७. क्या हम सब बदमाश हैं पिंकी...? : मम्मी तो यही बोल रही थी.
२८. खराब हुई इज्ज़त वापस नहीं लौटती: ताऊ शेरू महाराज : ज्ञान जी, वापसी की ट्रेन चलवाईये न.:
रामप्यारी.
२९. 'बे'कार हैं आडवानी : 'बे'कार लोग ही सरकार बनाते हैं.
३०. राष्ट्रपति को लंबित मामलों की दर चिंतित करती है : यह उच्च पदासीन चिंता है.
३१. दो करोड़ की संपत्ति बनाकर दिखाओ : ई देखिये एमपी का टिकट.

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18 टिप्‍पणियां:

  1. आज तो एक लाइना में पुरे ३१ लाइना आ गए , बहुत अच्छे लिंक मिले

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  2. बहुत बेहतरीन इवनिंग-डोज. धन्यवाद.

    रामराम.

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  3. चिट्ठों का चयन अच्छा है. पर पंच लाइंस थोड़ी ठंढी हैं. लगता है मूड बनाकर नहीं लिखा गया.

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  4. क्या आप एक लाईन के लायक भी नहीं हैं?
    नहीं, आप एक लाईन के लायक नहीं हैं।

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  5. satish ji ne sahi kaha.....
    ...waise itni punch lines hain wo bhi roz roz to kabhi kabhi thandi ho hi jaati hain

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  6. ये तो कोई बात भी हुई...क्या अंकल चिप्स की तरह क्रिस्प चर्चा की है आपने...आनंद आ गया...
    नीरज

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  7. अज़ी आपकी एक लाइना मंज़ूर कर ली गयी,
    पर, यह तो बताइये कि आपको दस लाइनें लिखने से किसने रोका था ?
    तो.. मिलते हैं, शाम को यहीं चिट्ठाचर्चा पर

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  8. आपका आना दिल बहलाना
    अनूप जी की राह चलाना
    चर्चा को कर गया सुहाना
    आगे से मत करें बहाना
    बहुत विकट है जाना-आना
    देखो बना मस्त यह गाना

    जय हो, जय हो, जय हो!!!

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  9. एकलाइना पढ़कर मजा आ गया।
    आखिर एकलाइना ही तो चिट्ठा चर्चा की जान हैं। चर्चा का जायका बन जाता है और पाठकों को अधिकाधिक लिंक मिल जाते हैं।

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  10. शिव भाई .....अच्छा लगा ! मंगल कामनायें !

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  11. शानदार। ब्लाग वैराग्य के साथ-साथ आपका चर्चा वैराग्य भी साथ छोड़ गया। कित्ती अच्छी बात है।

    कहा भी गया है- जो ब्लागिंग से करें प्यार वो चर्चा से कैसे करें इन्कार?

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  12. बहुत बेहतरीन..मजा आ गया.

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  13. गुरुजी अनूप शुक्ल क़ी प्रेरणा से...
    ऐसा तो लिखा ही नही..????

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  14. ३१ लाइना हो गयी ये तो मिश्रा जी ......

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  15. " कविता- जिंदगी चाय है "
    और फिर...कुश तो कॉफी है ही :)

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  16. २९. 'बे'कार हैं आडवानी : 'बे'कार लोग ही सरकार बनाते हैं.
    ---------
    यह भविष्यवाणी है क्या?

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