रविवार, जनवरी 09, 2005

आइये स्वागत है आपका

भारतीय ब्लागमेला के सौजन्य से पता चला कि हिदी एक क्षेत्रीय भाषा है.यह भी सलाह मिली कि हिंदी वालों को अपनी चर्चा के लिये अलग मंच तलाशना चाहिये.इस जानकारी से हमारेमित्र कुछ खिन्न हुये.यह भी सोचा गया कि हम सभी भारतीय भाषाओं से जुड़ने का प्रयास करें.

इसी परिप्रेक्ष्य में शुरु किया जा रहा है यह चिट्ठा.दुनिया की हर भाषा के किसी भी चिट्ठाकार के लिये इस चिट्ठे के दरवाजे खुले हैं.यहां चिट्ठों की चर्चा हिंदी में देवनागरी लिपि में होगी. भारत की हर भाषा के उल्लेखनीय चिट्ठे की चर्चा का प्रयास किया जायेगा.अगर आप अपने चिट्ठे की चर्चा करवाना चाहते हैं तो कृपया टिप्पणी में अपनी उस पोस्ट का उल्लेख करें.यहां हर उस पोस्ट का जिक्र किया जा सकता है जिसकी पहले कभी चर्चा यहां नहीं हुयी है.चाहे आपने उसे आज लिखा हो या साल भर पहले हम उपयुक्त होने पर उसकी चर्चा अवश्य करेंगे.

वैसे यहां कोई बंधन नही है पर सामाजिक नजरिये से नकारात्मक ब्लाग की चर्चा से हम बचने का प्रयास करेंगे.

यह काम सामूहिक रूप से हिंदी चिट्ठाकारों की सहमति सहयोग से होगा.हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं के चिट्ठे हमारे निम्न साथी देखेंगे.

देवाशीष- बंगाली
पंकज-पंजाबी
जीतेन्द्र-सिन्धी
रमण-कश्मीरी

हिंदी तथा अग्रेजी के चिट्ठों की चर्चा के लिये चिट्ठाकार भाई तय करते रहेंगे मामला.बारी-बारी से.अन्य भाषाओं के लिये भी जल्द ही सूचना दी जायेगी.

रमण कौल नेनये वर्षकी शुरुआत अपने मित्र( कैलाश) की कविता से की:-

नव प्रसून है, नव प्रभात है, नई आशा और नया वर्ष
नव पल्लव, नव तरुणाई, नई सुरभि और नया हर्ष
नई ज्योति, नव ज्योत्सना, नव ज्योतिर्मय हो जीवन
नए वर्ष में नव उत्कर्ष, स्वीकृत हो शुभ अभिनन्दन


गालिब की गजल के माध्यम से प्रकृति की ताकत के बारे में बताया.

नये साल की शुरुआत में विजय ठाकुर ने पुरानी यादें ताजा की.कवि गोष्ठियों का रोचक वर्णन करके.पुटुष काअपूर्व स्वाद का जायजा लिया.

जीतेन्दर बमक गये ,तथाकथित सौतेले व्यवहार पर .लगता है भारत सरकार ने इनका ब्लाग देखकर ही प्रवासियों को दोहरी नागरिकता देना तय किया.वैसे हम पूंछते-पूछते रह गये जीतू से कि अपने सवालों में इनमें से कोई नहीं का विकल्प तो रखा ही नहीं .जवाब क्या दिया जाये?जीतेन्द्र के प्यार की कहानी पढ़ने के पहले जब पढ़ता था :-नापसन्दःनहाने के बाद,पत्नी द्वारा,बाथरूम मे वाइपर लगाने को बाध्य किया जाना तो अटपटा लगता था.अब जब पढ़ा:-जब कभी पहले प्यार की बात निकलती है तो उसकी शक्ल सामने आ ही जाती है,आँखो को झूठ बोलना नही आता और आंसू………वो तो शायद उसके जिक्र होने का ही इन्तजार करते है. तो बात साफ हो रही है. जितना पानी ले के जाते होगे बाथरूम बहता उससे ज्यादा होगा.पत्नी जब मोती सहेजने की जगह पोंछने को कहती होगी तो नापसंद लगना स्वाभाविक है.

दोनों किस्से प्यार के याद दिलाते हैं स्व.रमानाथजी की कविता की:-

सो न सका कल याद तुम्हारी आयी सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात.

रविरतलामी ने ब्लागअवार्ड के लिये अपने नामांकन दिये .नये साल पर लिखा रवि ने

कुछ भी असम्भव नहीं अगर ठानो तो
बहुतों ने बाँध के रख दिए हैं लहरों को


रमन ने बंबई की याद की.स्वामीजी ने जो नया टूल बनाया उसकी जानकारी दी.हालांकि यह टूल भी हिंदी लिखने के लिये कट-पेस्ट से ही काम करता है.

कोई भाषासीखने की कशिश क्या होती है बता रहे हैं जापानी भाई मत्सु.

देवाशीष ने बुनो कहानी की कहानी शुरु की.पहला भाग लिख चुके हैं जीतेन्द्र .दूसरा भाग लेकर जल्द ही अतुल आ रहे हैं.

अक्षरग्राम पर अतुल के लेख पर तथा फिर आलोक की संतुलित प्रतिक्रया पर बड़ी सटीक टिप्पणियां हुयीं.फुरसतियामें अतुल की पोस्ट की पड़ताल की गयी थी.

अग्रेजी ब्लागदुनिया की सफर की तो ज्ञान चक्षु खुले.हमने वो ब्लाग खासतौर से देखे जो इंडीब्लागर अवार्ड के लिये नामांकित हुये हैं.ज्यादातर ब्लाग अपना 'कटपेस्ट'तकनीक अपनाते हैं.हमारा कम लिखने का अपराधबोध खतम हो गया.

सामग्री के मामले में भी मुझे ऐसा कुछ नहीं लगा कि हिंदी ब्लाग किसी से कमतर हैं.वहां लिखाई रिपोर्रताजी शैली में ज्यादा होती है.सबसे ज्यादा जो कमी खटकी वो हास्य व्यंग्य का अभाव.लगता है सारे ब्लागरों के मुंह लटके हैं.गतवर्ष का बेस्ट ह्यूमरस ब्लाग मुझे अपवाद लगता है. पता नहीं इसबार बार किसी जज की नजर वहां क्यों नहीं गयी.वैसे ये चुनाव भी भारतीय चुनाव की तरह हैं .जो जितने मतदाता रिझा ले वो सफल .जो जीता वो सिकंदर. जरूरी नहीं जो जीते वो काबिल ही हो.क्योंकि वोटिंग के पहले अगर किसी ने ब्लाग नहीं पढ़ा तो खाली वोटिंग के लिये जो पढ़ेंगे उनके वोट का संख्याबल बिना पढ़े वोटिंग करने वालों से कम ही होगा.

बहरहाल,एक और मजेदार नजारा दिखा .ज्यादातर महारथी अपने ब्लाग के लिये वोट देने का अनुरोध कर रहे हैं
. अंग्रेजी में पता नहीं क्या कहते हैं इसे पर हिंदी में कहते हैं -वोट के लिये दांत चियार रहा है.इस मामले में भी हिंदी वाले बहुत पिछड़े है.तीन में से किसी को भी मिलेगा पहला स्थान सब सोचेंगे कि हमें ही मिला है.

सोचना,इंतजार करना तथा उपवास करना सीख लेना ही संपूर्ण शिक्षा है.बहुत खूबसूरत तरीके से बताते हुये अतानु डे(10.01.05) कहते हैं-जीने के लिये जितना कम हम दूसरों पर निर्भर रहेंगे उतना अधिक आजाद महसूस करेंगे.

ऐश्वर्या राय ,जिनकी मुस्कान पर दुनिया फिदा है,का स्कूली लड़कियों की तरह गपियाना नीरज को अनाकर्षक लगता है. प्रवासियों को दोहरी नागरिकता देने के मुद्दे पर चाणक्य ने विचार किया.

एक ब्लाग कितनी महती भूमिका निभा सकता है किसी आपदा से निपटने में यहसुनामी सहायता ब्लाग देखकर लगता है.इसी कड़ी में विस्तृत जानकारी मिलती रुबन(Reuban) के ब्लाग से.किसी एक पोस्ट में इतनी विस्तार से जानकारी मैंने कहीं नहीं देखी. दोनो ब्लाग बधाई और स्तुति के लायक है.

9/11 हादसे के बाद अमेरिका में सुरक्षा के नाम पर क्या हुआ अल्पसंख्यकों से साथ यह जानकारी मिलती है सेपिया से.

भारतीय ब्लाग मेला में नामांकित किये जाने पर भावुकता तत्पशचात अपनी तारीफ में आत्मनिर्भरता की स्थिति को
प्राप्त हुयेअमरदीप जी.अगर किसी को पढ़ के वोट देना हो बिना प्रभावित हुये रहेगा नहीं शायद.पर पढ़ने के बाद पता नहीं वोट देने लायक रहेगा या नहीं कहना मुश्किल है.

92 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जायजा लेते हुये किरन ने बताया मलेरिया, कालरा,टी.बी को काबू में रखने के क्या प्रयास हो रहे हैं.

मेरे पिया गये रंगून
किया है वहां से टेलीफून
तुम्हारी याद सताती है.

पर अब टेलीफोन केवलबात करने के लिये ही नहीं और भी कामों के लिये प्रयोग होगा.फोन बहुधंधी,बहुउपयोगी होने की दिशा में अग्रसर है कहते हैंरमेश जैन जी.सावधान-आपके घर के लिविंग रूम पर डिजिटल,उपभोक्तावादी आक्रमण की पूर्वसूचना दे रहे हैं सदगोपन(05.01.05).

तकनीकी उपयोगिता के बारे में मैं नहीं कह सकता पर सारे ब्लाग डायरेक्टरी में चिट्ठाविश्व सबसे नयनाभिराम लगा है मुझे.मधुर मनोहर अतीव सुंदर .क्या देवाशीष को इसके लिये बधाई दें .नहीं हम गर्व का अनुभव कर लेते हैं.यही हाल पंकज कीचौपालका है.खूबसूरत,नयनाभिराम.

अंग्रेजी के कुछ ब्लागर ऐसे है जो अपनी सबको साथ लेकर चलने की भावना के कारण मुझे आकर्षित करते है. याजाद उनमें से एक हैं.सुनामी के कारण हुये नुकसान,आमदनी में में कमी और बढ़ती मंहगाई के बीच संबंधों का जायजा लिया याजाद नें.

तोड़फोड़ के लिये आतंकवादियों का मुंह देखना जरूरी नहीं है हमेशा.करदाता जो करचोरी करते हैं वे भी यह काम बखूबी कर सकते हैं यह सूचना दे रहे हैं नितिन.

पुन: तपेगी वात
झरेंगे पीले-पीले पात
सहेंगे मौसम के आघात

बता दो पात-पात
पर लिखे गये
संबंधों का क्या होगा

धूप छांव में लिखे गये
अनुबंधों का क्या होगा.

महेश सक्सेना की यह कविता अनायास याद आ गयी दीपक के कैमरे से खिंची फोटो देखकर.

भारत के राष्ट्रपति की सोच की जानकारी देते हुयेगौरव भटनागर बताते हैं कि तरह उनकी सोच दूसरों से अलग है.बिलगेट्स के हवाले से यह खबर भी कि ब्लागिंग का रोल कितना अहम है आज.

राम्या ने बस यात्रा से जीवन यात्रा के अनुभव,प्रकारिता की भागदौड़ का विवरण देते हुये त्रासदियों के बीच काम करने के अनुभव बांटे.

मधुमेनन बता रहे हैं किपरफेक्ट स्टीम्ड राइस कैसे बनाये जायें.जिन चिट्ठाकारों की पत्नियां नाराज होती हैं उनकी ब्लागिंग से वो इसका उपयोग पत्नी को पटाने में कर सकते हैं.

इधर देखता हूं, उधर देखता हूं, हर तरफ बस तुझे देखता हूं.यह मैं कह रहा हूं उन किताबों से जोतिलोत्तमा के ब्लाग पर छायी हैं.

खुद को अच्छा बताने के दो तरीके होते हैं.खुद अपनी तारीफ करो या फिर जिनसे आपका तुलना हो रहीहैउनकी बुराई करो. रविकिरन ने दूसरा तरीका अपनाया.बताया-किंग्सले ने पिछले ६ महीने से कुछ लिखा नहीं.गोपीसुंदर को कोई जानता नहीं इसलिये आप अपना कीमती वोट मुझे दें.दोनों में लिखा क्या गया है इसका कोई जिक्र नहीं.क्या इनाम सिर्फ जानपहचान वालों को दिया जायेगा?

मैडमैन का ब्लाग देखने में तो अच्छा है पर लिखनेकी तारीफ नहीं कर पा रहा हूं क्योंकि हिन्दी तो वह पढ़ नहीं पाते.

नये साल में संकल्पों का ब्योरा दिया शान्ति ने.भारतीयब्लाग मेला की जननी बता रही हैं कि वे किन चीजों को अपने पुत्र की तरह करना चाहती हैं.

भारत ने सुनामी आपदा के समय कुछ विकसित देशों की मदद ठुकरा दी.कारण बता रहे हैं --विकास कामत.

दृष्टिकोण के रूप में नये ब्लाग से परिचय कराया था पंकजने.अनुभवीइंद्रशर्मा जी के लेख नयी ताजगी तथा जानकारी से भरपूर रहते हैं.वे आधे खाली गिलास की बजाय आधा भरा गिलास देखनेके नजरिये के है.अपने ब्लाग में बताया कि कैसे साधारण लोगों ने असाधारण खोजें जुगाड़ी.दिल को ठीक रखने की दवा
शंख
बजाना है या फिर पांच किमी प्रतिदिन पैदल टहलना.मैंनजमेंट की पढ़ाई को सार्थक बनाने के सुझाव भी दिये.

अमित वर्मा नियमित, अच्छा व सामयीक लिखने वाले हैं.पिछली दस-पंद्रह पोस्ट उन्होंने सुनामी आपदा से संबंधित लिखी हैं. रिपोर्ताजी अंदाज.खुद उन इलाकों का दौरा किया जहां तबाही हुयी. खेल का ब्लाग भी लिखते हैं.वोट बंट न जायें इसके बारे में चिंतित हैं अत:बताया कि कहां वोट दें.

आइंसटीन को सापेक्षता के सिद्धान्त के प्रेरणा साइकिल चलाते हुये मिली ऐसा सूचित किया चेतन ने .

कहा जाता है मनुष्य अमर है.कुछ वैज्ञानिक कहते हैं पदार्थ का विखंडन होना खत्म हो जाना नहीं है.अत:मनुष्य कभी नहीं मरता.पर मृणाल कहते हैं कि जिस परिवेश में हम रह रहे हैं अगर वहां हम उपस्थित नहीं तो यह अमरत्व कहां है?दूसरी जगह इस बात का जायजा लिया कि क्या कोई सतत प्रक्रिया भौतिक रूप से संभव है?

किसी भाषा पर अधिकार ही किसी की योग्यता का पैमाना नहीं होता.बताते हुयेपैट्रिक जानकारी देते हैं हिंग्लिश के बढ़ते प्रभाव की .वैसे अगर भाषाओं पर अधिकार को ही योग्यता माना जाये तो दुभाषिये सबसे काबिल माने जाने चाहिये.अमेरिकन अपने डर की अभिव्यक्ति अंको में करने के आदी हैं-डिजिटाइजेशन आफ फियर. Y2K, 9/11 के बाद अब 24की ताकत/हौवेके बारे में जानिये पैट्रिक से.

सिन्धियत के रूप में एकमात्र सिन्धी ब्लाग अभी है.संक्षिप्त जानकारी दी जीतेन्द्र ने इसके माध्यम से सिन्धी भाइयो को दुनिया के सबसे बड़े किले के बारे मे बताया गया जो कि सिन्ध पाकिस्तान मे है और उसका नाम रानीकोट फोर्ट है.सिन्धी संगीत के जाने माने गायक और संगीतकार श्री राम पंजवानी जीको याद किया गया और उनके आनलाइन म्यूजिक कलैक्शन का लिंक प्रदान किया गया.

ओरुक योरुक के रूप में एकमात्र कश्मीरी ब्लाग की एक मात्र पोस्ट लिखी रमण कौल ने.

मी माझा तथापाउलवाटमराठी के दो ब्लाग हैं.मी माझा में अंतिम लिखाई अप्रैल की तथा पाउलवाट में अक्टूबर की है.

तमिल तथा मलयालम के ब्लाग की लिपि मैं पढ़ नहीं पाया शायद अगले अंक में कुछ लिख सकें हमारे दोस्त.

यह लेखाजोखा आज 15 जनवरी तक का .अगली चर्चा महीने के अंत में.अनुरोध है कि आप जिस पोस्ट की चर्चा चाहते हैं उसका लिंक कमेंट में दे दें.हम यथासंभव दोस्ताना अंदाज में चर्चा करने का प्रयास करेंगे.

अगले अंक में अपने चिट्ठे के बारे में चर्चा के लिये टिप्पणी में अपनी पोस्ट का उल्लेख करें.

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