गौर करें कि कुटुम्ब के निवास के तौर पर तो हवेली या प्रासाद ही चाहिए। मगर भाषाविज्ञान में कुटुम्ब का रिश्ता जुड़ता है कुटी या कुटि से । देखते हैं कैसे। कुटि दरअसल झोपड़ी या एक छप्परदार घर को कहते हैं। यह बना है कुट् धातु से जिसका मतलब हुआ वक्र या टेढ़ा । इसका एक अन्य अर्थ होता है वृक्ष। प्राचीन काल में झोपड़ी या आश्रम निर्माण के लिए वृक्षों की छाल और टहनियों को ही काम मे लिया जाता था जो वक्र होती थीं। एक कुटि ( कुटी ) के निर्माण में टहनियों को ढलुआ आकार में मोड़ कर , झुका कर छप्पर बनाया जाता है। इस तरह कुट् से बने कुटः शब्द में छप्पर, पहाड़ (कंदरा), जैसे अर्थ समाहित हो गए ।हम तो इतना ज्ञान पाकर खुश हो गये और लगा यह कहें-
दे दी हमें जानकारी बिना लफ़ड़े बिना बवाल।
शब्दों के जादूगर तूने कर दिया कमाल॥
वक्त की खामोशियों को तोड़कर आगे बढो
अपने गम ,अपनी खुशी को छोड़कर आगे बढो
जिन्दगी को इस तरह जीने की आदत डाल लो
हर नदी की धार को तुम मोड़कर आगे बढो
काकेश ने आज खोया-पानी की अगली किस्त पेश की। आज बिशारत का इंटरव्यू था। साथ में कौन था? जानना चाहते हैं तो बांचिये नीचे-
बिशारत जब प्रतीक्षालय यानी नीम की छांव तले पहुंचे तो कुत्ता उनके साथ था। उन्होंने इशारों में कई बार उससे विदा चाही, मगर वो किसी तरह साथ छोड़ने को तैयार न हुआ। नीम के नीचे वो एक पत्थर पर बैठ गये तो वो भी उनके क़दमों में आ बैठा और अत्यधिक उचित अंतराल से दुम हिला-हिला कर उन्हें कृतज्ञ आंखों से टुकर-टुकर देख रहा था। उसका ये अंदाज उन्हें बहुत अच्छा लगा और उसकी मौजूदगी से उन्हें कुछ चैन-सा महसूस होने लगा।
बिशारत के साथी के बारे में बताने के चक्कर में हम आपसे यह बताना भूल ही गये कि उम्मीदवार होने के नाते बिशारत के लिये कुछ हिदायतें भी थीं। उनमें से सबसे जरूरी जो लगी वह यह थी-उम्मीदवार कृपया अपनी बीड़ी बुझाकर अन्दर दाख़िल हों।
आज ही रश्मिजी का ब्लाग रूप-अरूप भी पहली बार देखा। रांची की रश्मिजी की पहली पोस्ट २१ जनवरी की है। इसमें वे लिखती हैं-
मेरी रूह,
मेरी धड़कन,
मेरी हर सांस में शामिल हो मगर
मेरे इन हाथों की लकीरों में
कहां हो तुम
अपने जीतेंद्र चौधरी बहुत दिन गंजो के शहर में कंघे और अंधों के शहर में आइने बेचते रहे। अब जुगाड़ी लिंक लेकर आये हैं। आज का उनका जुगाड़ नियोक्ता परीक्षण को लेकर है। अगर आप भारत जाने वाले हैं तो
- क्या आप भारत वापस आ रहे है? क्या आप अपनी नौकरी बदल रहे है? क्या आपको किसी दूसरी कम्पनी से ऑफर मिला है। यदि हाँ तो यह लेख/जुगाड़ आपके लिए है। अक्सर हम इन्टरव्यू के वक्त HR वालों की मीठी मीठी बातों और लुभावने ऑफर मे फ़ंस जाते है और कम्पनी के बारे मे कई चीजे नजर अंदाज कर देते है। जब हम कम्पनी मे काम करना शुरु करते है तो कई चीजे धीरे धीरे सामने आती है, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है। भारत मे नियोक्ताओं के रिव्यू के लिए कोई साइट/स्थान नही था, लेकिन जनाब अब है। पेश है क्रिटीकैट, इस साइट पर आप किसी भी कम्पनी (जिसमे आपको ऑफर मिला हो) के बारे मे जान सकते है, वो भी उनके अपने कर्मचारियों द्वारा।
अब चंद एक-लाइना
१.सुकून की मौत: पूरे बैंक बैलेंस के साथ।
२.बजट की घोषणाएँ और लॉलीपॉप में समानता : दोनों चूसने के लिये होते हैं बस्स!
३.'दैनिक भाष्कर' की चाय पार्टी नौटंकी में 32000 कप चाय पी गयी।
४. लीजिये एक और संत, इस बार औरत: इनको भी चोखेरबाली का सदस्यता दें।
५.दिल्ली से गाजियाबाद वाया छपरा : मुफ़्त यात्रा करने के लिये बारहवीं में फ़ेल हो जायें।
६.हिन्दी ब्लागजगत :में लेखकों की कमी नहीं है।
७.बी.एच.यू. के छात्रावासों :केवल गाली-गलौज ही नहीं होती।
८.बगाल में पोंगापंथ : मचा हुआ है।
९. जाने क्यों ये जाता नहीं है: टिका है अंगद के पाये की तरह।
१०.आज आई है मेरी बारी : कसर निकालूंगी अब मैं सारी।
११.एक म्यान में 145 तलवारें! : कैसे रहती होंगी सटी-सटी।
१२. २००८ अ लव स्टोरी :बनना था हुस्बाद तुम्हारा, भइया में तब्दील हुआ!
१३.संयम और कछुआ ही जीतते हैं आखिर में।
मेरी पसंद
आओ बहस करें
सिद्धांतों को तहस-नहस करें
आओ बहस करें।
बहस करें चढ़ती महंगाई पर
विषमता की
बढ़ती खाई पर।
बहस करें भुखमरी कुपोषण पर
बहस करें लूट-दमन-शोषण पर
बहस करें पर्यावरण प्रदूषण पर
कला-साहित्य विधाओं पर।
काफी हाऊस के किसी कोने में
मज़ा आता है
बहस होने में।
आज की शाम बहस में काटें
कोरे शब्दों में सबका दुख बांटें
एक दूसरे का भेजा चाटें
अथवा उसमें भूसा भरें
आओ बहस करे....
-श्याम बहादुर नम
शब्दों का सफ़र से साभार
आप का चिट्ठा चर्चा के साथ लौटना भी बड़ी खबर है।
जवाब देंहटाएंइसी बहाने कुछ अच्छे चिट्ठे पढ़ लिये. साधुवाद जी आपको.
जवाब देंहटाएंहमारा चिट्ठा काहे नहीं कवर किये..ठीक ठीक सा तो लिखे हैं. :)
जवाब देंहटाएंयही कहना है कि शुक्रिया आपका । बहुत देर से पड़ी नज़र। आप ने तो एक दम रफ्तार पकड ली है चिट्ठाचर्चा पर । लगता है अभ नियमित नज़र डालनी ही होगी।
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