अगले शनि को वाशिंगटन में करवाना है कवि सम्मेलन
उसके दो दिन बाद निकलना अपनी भारत की यात्रा पर
कोई और करे चर्चायें, सब से करता नम्र निवेदन
हां समीर दिल्ली में होंगे, जिस दिन, उस दिन मैं भी हूंगा
मुम्बई से मैं ग्यारह की संध्या को आ दिल्ली पहुंचूंगा
सोच रहा हूँ अगर सभी से मिलना हो तो अति उत्तम है
उन लम्हों को याद बना कर अपनी सुधि में संजो रखूंगा
अब चर्चा है,:- गीतकलश पर वे सब ही धूमिल हो लेंगें
उड़नतश्तरी क्या कहती है जूते की गाथायें जाने
पंकज जी के चिट्ठे पर जा सीखें गूढ़ अदब की बातें
गज़लों की क्या शर्तें होतीं उनको थोड़ा सा पहचानें
अगड़म बगड़म ने बतलाया रावण ने सुसाईड कर ली
संजय क्या कहते हैं जाकत आप स्वयं ही यहाँ देखिये
जो न कह सके, वही बात फिर से कहते सुनील दीपकजी
किसे करें संजीव सारथी याद, उन्ही से पूछ देखिये
एक बार फिर प्रश्न उठाया है गंभीर शास्त्रीजी ने
पहले मिलता था कबीर, अब रावण मिलता बाज़ारों में
शर्मनाक किस कदर पुलिस है,भेद खोलते रवि रतलामी
बतलाते रघुराज कहानी जिसका चर्चा अखबारों में
प्रत्यक्षा ने शब्द चित्र से यादों की मंजूषा खोली
फ़ुरसतिया जी जाने कैसे दिखे नहीं मुझको नारद पर
यूनुसजी लाये बटोरकर जो प्रसंग वे बहुत अनूठे
बहुत दिनों के बाद एक सुन्दर रचना पढ़ने में आई
इस कविता में हिन्दुस्तानी कहते दर्द आज दुनिया का
अब ये देखें गीतकार की कलम साथ क्या लेकर आई
और चित्र यूनुसजी के चिट्ठे से
बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंआपको भारत यात्रा की अग्रिम शुभकामनायें. एक बार अभी जब मुलाकात होगी तब फिर से दे लेंगे. :)
फिर भारत में भी मुलाकात तो होना ही है.
आपकी यात्रा शुभ और मंगलमय हो। सभी काम अच्छे से निपटे। आपका इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंराकेश जी , प्रणाम ! धाक शब्द को समझने के लिए उस पर क्लिक किया तो चिट्ठाचर्चा खुला और जान कर सुखद आश्चर्य हुआ कि आपको मेरी एक रचना पसन्द आई. धन्यवाद ! भारत यात्रा मंगलमय हो और दीपावली की शुभकामनाएँ स्वीकार करें. देखिए कब आपसे और समीर जी से मिलना सम्भव हो पाता है.
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