तहलका के जिस रिपोर्टर आशीष खेतान ने संघ परिवार के दंगा सेनानियों से बात की, उसने उन्हें बताया कि वह खुद हिंदूवादी है और हिदुत्व के उभार पर शोध कर रहा है। सारे सेनानियों को पता था कि वह एक ऐसे शख्स से बात कर रहे हैं जो इस जानकारी का कहीं न कहीं इस्तेमाल करेगा। तकनीक के जानकार लोग बताते हैं कि स्टिंग ऑपरेशन में जुटाई गई फूटेज की ऑडियो-वीडियो क्वालिटी देखकर यही लगता था कि खुलासा करनेवालों को खुद पता था कि उनकी बातों को रिकॉर्ड किया जा रहा है। उफ्फ, ये राजनीति कितनी बेरहम और जालसाज़ है!!
इस कलंक आपरेशन के बारे में राजेश कुमार का मत है कि
जो भी आज तक ने दिखाया वो अधूरा सच था और आधा सच कई बार झूठ से भी ज्यादा खतरनाक होता है।उनकी यह चिंता भी है कि ऑपरेशन कलंक कहीं टीवी पत्रकारिता के लिये ही कलंक न बन जाये।
आज प्रत्यक्षाजी का जन्मदिन था। उनके बारे में लेख यहां पढिये। बधाई दीजिये। :)
पुरानी रामलीला नया अंदाज देखिये पल्लव क. वुधकर के चाय चिंतन में।
एक लेख जो कि अभी छपने वाला है का शीर्षक है बेटियों की जिस्मफरोशी से जिंदा समाज|
१.दो प्रजातियों में बंट जाएगा इंसान : एक ब्लागर दूसरा नान-ब्लागर!
२.कितने निर्मम और निराले हैं राजनीति के खेल! : और बहौत पापुलर भी हैं।
३.रिमोट के कुछ और करीबी इस्तेमाल : अपने रिस्क पर अपनायें, दूर से बता रहे हैं।
४. लोग अपराधी क्यों बनते हैं:यही पता चल जाये तो क्या बात है!
५. आप इसे देख कर हस पड़ेंगें: फिर सोचेंगे बेफिजूल हंसे।
६.चाणक्य नीति:मुर्गे, कुत्ते और कौवे से गुण ग्रहण कर :इसके बाद अपने ब्लाग् में पोस्ट करें।
७.जब फूलों को देखने के लिए पैसे देने होंगें : जबकि भौंरे बिन पैसे मजा मारेंगे।
८.सबूत लपेटकर फांसी पर लटकाया : ताकि सनद रहे।
९.कौन बनाएगा मीडिया का कोड ऑफ कंडक्ट : बोलो,बोलो कुछ् तो बोलो!
१०.काम के हिंदी फीड : हमारे किस काम के?
११.दोस्ती और विश्वासघात में अन्तर होता है : इसीलिये अलग-अलग तरह से लिखा जाता है।
१२.फीड एग्रेगेटर - पेप्सी या कोक? : कुछ भी हो अति सर्वत्र वर्जयेत!
फुरसतिया आज कल फुरसत में कम लगते हैं। बेचारे अनिल रघुराज जी को पुखराज बना दिया! वैसे भी राम चन्द जी के वंश वृक्ष की बजाय माणिक रत्न आजकल ज्यादा महत्वपूर्ण हैं!
जवाब देंहटाएंहमें तो 'अनिल पुखराज' ज्यादा पसन्द आ रहा है! और उनका लेखन तो धारदार है ही!
पाण्डेयजी, आपकी बात सही है। अनिल को पुखराज होना चाहिये। अब फिलहाल आपको धन्यवाद देते हुये गलती सुधार कर दिया गया। :)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन, धांसू च फांसू
जवाब देंहटाएंमैं तो बोल रहा हूं। और, लोग भी तो बोलें।
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