रविवार, दिसंबर 23, 2007

झल्लर का सत्ता विमर्श -शुरुआत मां-बहन से






1. विधायक, सांसद टाई-सूट में नज़र आएंगे!: भले ही वे कुछ पहने या न पहनें? क्या कमाल है!

2.झल्लर का सत्ता विमर्श : आलोक पुराणिक के साथ पदों के बटवारे के पर बहस!शुरुआत मां-बहन से।

3.इस्लामिक एपॉस्टसी की अवधारणायें : पाण्डेयजी के सर के ऊपर से गुजरीं।

4.समय की डायरी में दर्ज हैं तटस्थों के अपराध : मतलब समय पढ़ा-लिखा है। डायरी भी लिखता है। उसको ब्लागिंग सिखाओ भाई।

5.मियाद के दिनों की चोरी : करें। इसके लिये कोई सजा नहीं मिलती।

6.लंबी उमर चाहिए तो थोड़ा सा मोटे हो जाइए : अदनान सामी बेफ़ालतू में दुबला हो गया।

7. हमारी संस्कृति और जाति व्यवस्था को मत छेड़ो प्लीज़...:वर्ना हम कहीं मुंह दिखाने लायक न रहेंगे।

8.एक निजी पोस्ट :पोस्ट निजी है इसीलिये सबको पढ़ाना पड़ रहा है। मजबूरी है।

9.जब से गये परदेस, कोई भेजे ना सनेस : सैंया जुटे हैं ब्लागिंग में।

10. बन में बोलन लागे हैं मोर: बढ़िया। सुनाओ वन्स मोर!

11.चलला मुरारी छौरी फ़ंसबय! पकड़ा जाई त पता चली।

12.एक स्त्री का दर्द : शास्त्रीजी ही समझ सकते हैं।

13. हिन्दुस्तान जंगलियों का देश है?? जंगल तो सब कटवा दिये आपने। अब कौन जबाब दे इसका?

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3 टिप्‍पणियां:

  1. चिठ्ठाचर्चा - बड़ी झलर-मलर (मस्त) लग रही है! अब ब्लॉग बढ़ रहे हैं। दिन में दो बार होवै के चाहे।

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  2. चिठेरी कहां भेज दी जी। भौत दिनों से ना दीक्खी।

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  3. "एक स्त्री का दर्द : शास्त्रीजी ही समझ सकते हैं। "

    बाप रे बाप !! यदि हमारी धर्मपत्नी ने आपकी यह टिप्पणी देख ली तो हमारी खैर नहीं है !! अब आपको भी "फिक्स" करना पडेगा !!

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