सुनें रेडियो पर कवितायें, कितना अच्छा लिखा आपने
हुए अगर मिसयूज करें क्या, ये सुबीर जी बतलायेंगे
लौकी के जो बने परांठे, कितने खाये कहिओ आपने
जो न कह सके वह करते हैं सपनों की कुछ सुन्दर बातें
रचनाकार लिये आये हैं नई कहानी की सौगातें
पंकज बतलाते प्रभाव कैसा कैसा होता फ़िल्मों का
बिना थैंक्यू-क्षमायाचना कटती हैं काकेशी रातें
पढ़ें सारथी और शुक्रिया अता शास्त्री जी को कर दें
फिर आलोक पुराणिकजी से नई जानकारी ले लेना
दर्जन भर चिट्ठे क्रिकेट की बातों में मशगूल मिलेंगे
बाकी जितने उनसे अपना अधिक नही है लेना देना
बहुत सही है. कम से कम चिट्ठाचर्चा की प्रथा बरकरार है. शायद जल्द ही जोर पकड़े. :)
जवाब देंहटाएंअच्छा है भई बहुत ही अच्छा है ये प्रयास तो वैसा ही है जैसे कोई महती काम हो जारी रखिये लोगों की परवाह कियें बगैर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा अवलोकन. कुछ और नियमित रूप से लिखा करें -- शास्त्री जे सी फिलिप
जवाब देंहटाएंहिन्दीजगत की उन्नति के लिये यह जरूरी है कि हम
हिन्दीभाषी लेखक एक दूसरे के प्रतियोगी बनने के
बदले एक दूसरे को प्रोत्साहित करने वाले पूरक बनें
आप इसी तरह स्मारक बनती जा रही चिट्ठा चर्चा के द्वार खोलते रहा करें.
जवाब देंहटाएंआपके प्रयास को साधुवाद.
अच्छा लगा आपका जारी रखना।
जवाब देंहटाएंसही है श्रीमान जी
जवाब देंहटाएंतीखी नजर रखी हुई है आपने सब पर