रविवार, मई 25, 2008

शर्तें लगाई नहीं जाती दोस्तों के साथ

जिस समय आप दूसरे के बारे में कुछ लिख रहे होते हैं और उसकी पोल खोल रहे होते हैं तो सबसे ज्यादा अपने बारे में लिख रहे होते हैं। रचनाकार-अज्ञात टिप्पणी वाले


विमल वर्मा ठ्मरी वाले भी इलाहाबादी हैं। उनके मित्र उनको अजातशत्रु मानते हैं। दोस्तों से वे कहते हैं-
हां मेरा मन भी गरियाने को कर रहा है....पर गरियाउँ किसे ? इन दिनो तो ब्लॉग जगत में फ़िर थोड़ी हलचल सी मची है...ब्लॉग जगत की साहित्य मंडली में बह्स छिड़ी हुई है,पर हम गाने बजाने वालों को इससे क्या ? इस पचड़े में जिन्हें पड़ना है पड़े...........ऐसी स्थिति में हम शुरू से वो वाले रहे हैं,लड़ाई झगड़ा माफ़ करो, कुते की लेंड़ी साफ़ करो......
उन्होंने उस्ताद राशिद खान साहब की पकी हुई आवाज़ में राग अहिर भैरव में एक रचना पेश की है और पूछा है-बताएं कि चकल्लस, जो ब्लॉग जगत में मची हुई है इससे इतर ये रचना सुनकर आपके मन को सुकून पहूँचा की नहीं?

जिस लड़ाई-लड़ाई का जिक्र विमलजी ने किया उससे संबंधित पोस्टें पिछ्ले दो दिनों से ब्लागवाणी की सबसे ज्यादा हिट पोस्टों में रहीं। कल उन सभी की चर्चा करके मैंने पोस्ट लिखी थी लेकिन नेट कनेन्शन गड़बड़ा गया और हो नहीं पाया। विमल जी की पोस्ट वाला हिस्सा ’सेव’ किया था वही बच गया। लगा कि शायद नेट भी हमसे विमलजी की बात दोहरवाना चाहता है। लड़ाई-लड़ाई माफ़ करो।

वैसे भी कल प्रमोदजी, प्रत्यक्षाजी और शाम को बोधिसत्व की पोस्ट आने के बाद दूसरों के कहने के लिये कुछ बचता नहीं है। सभी के पास अपने को सही और दूसरे को गलत समझने के अकाट्य तर्क हैं। कोई कुछ भी कहेगा, वही बातें कहेगा जो कही जाती हैं और जो विमलजी ने कहीं।

दो शेर वसीम बरेलवी के सुनते जाइये:-

१. शर्तें लगाई नहीं जाती दोस्तों के साथ,
कीजै मुझे कुबूल मेरी हर कमी के साथ॥

२. मोहब्बत में बुरी नजर से कुछ भी सोचा नहीं जाता,
कहा जाता है उसे बेवफ़ा, बेवफ़ा समझा नहीं जाता॥

अब चंद वनलाइनर

1.क्या सच मे भूत होते है? : अभी लाइट जायेगा तब बतायेगा आकर भूत! डरना मती।

2. जब आदमी अपनी नजर में गिर जाये: तो बड़ी चोट लगती है जी।

3. वासनालोलुप हमारा मन: क्या आपका भी मन ऐसाइच है। कोई इलाज है क्या इसका?

4.लाल कृष्ण अडवानी जी की किताब, बुद्धिमान उल्लू और गोजर : और हम भी हैं जी लाइन में।

5. उल्टी हो गईं सब तदबीरें अब इसको सीधा करे कोई।

6.चिंता चिता समाना : क्या चिंता पेट्रोल का विकल्प बन सकती है?

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12 टिप्‍पणियां:

  1. सिर्फ़ यही कहना है कि,

    एक बेवफ़ा के जख्म पर मरहम लगाने हम गये,
    मरहम की कसम मरहम न मिला,
    मरहम की जगह मर हम गये ...


    और कुछ सूझ नहीं रहा है, लडाई कायम रहे (अंधेरा कायम रहे की तर्ज पर) :-)
    और क्या कहें, ये चल क्या रहा है? अभयजी, बोधिसत्व, अजदक और प्रत्यक्षा जी में बौद्धिक झीगा-मुश्ती लगी पडी है । आप सभी बढिया लिखते हैं, लिखते रहें, लडते रहें :-)

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  2. हमें क्या कहना है, जो कह रहे है सुन रहे है -

    तुम मेरे घर आये थे
    बच्चों के लिये मिठाई लाये थे
    हमारे लिये डले क्यों लाये फ़िर

    बूड बझ्झक
    बुद्धिहीन तथागत
    बैठों व्रक्च के नीचे फ़िर से
    करो ग्यान परापत,
    न कोई किसी का मित्र, बंधु न बांधव
    मिथ्या ये संसार
    हांसिल करो लाघव-
    कैसे पढे तुम्हारे हिट

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  3. बेनामीमई 25, 2008 8:55 am

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  4. हाँ जी घी रूपी धर्म निभा कर कर अब पानी का कर्म करना चाहेते हैं.
    गुरु आप तो ग्रेट हो.

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  5. आपलोग संवेदनशील क्यों नहीं हैं जी? कीचड़ क्यों उछालते रहते हैं? एक-आध बार गोबर ट्राई क्यों नहीं करते? क्यों नहीं आरुषी का मर्डर रोका आपलोगों ने? जब आप आरुषी को जानते थे तो आपलोगों को उसे मरने से रोका चाहिए था की नहीं? क्यों नहीं रोका आपलोगों ने? और आपलोग सच्चे मन से श्रद्धांजलि अर्पित क्यों नहीं करते जी?

    मेरे ये सवाल ये रचना जी की तरफ़ से हैं. लेकिन एक बात मेरी भी समझ में नहीं आई. एक तरफ़ तो ये मैडम आपलोगों को पोस्ट लिखने के लिए कहती हैं और दूसरी तरफ़ अंग्रेजी में लिखकर कहती हैं कि एक बच्ची की बेइज्जती नहीं करनी चाहिए. खासकर तब जब वह अपना बचाव करने के लिए जिंदा नहीं है. ये रचना जी क्या चाहती हैं जी? आपलोग इनके सवाल को समझाने की कोशिश क्यों नहीं करते जी?

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  7. @ Rachna ji

    Pahli baat kahni hai ki kisi bhi mahila blogger ke khilaaf ya aapke khilaaf mere comment mein ek bhee apshabd nahin hai. Agar ek bhi apshabd hai to aap use highlight keejiye, main saarvajanik taur par maafi maang loonga.

    Doosari baat mujhe kewal ye kahni hai ki ye kya aap jahan-tahan mahila bloggers kee baat lekar khadi ho jaati hain. Aap hindi ke bloggers se kya chahti hain? Aarushi kee maut hui to uske oopar agar koi post nahin likhega to kya wo samvedansheel nahin hai? Samvedansheel hone ka certificate logon ko aap bantengi? Ye kya hai ki jahan-tahan aap apna comment lekar ghoom rahee hain?

    Ek taraf to aap purushon aur mahilaaon ke beech barabaree kee baat karti hain aur doosari taraf ye bhee chahti hain ki saare blogger post likhein kyonki marne waali ek ladki thi. Ye kis tarah kee soch hai aapki?

    Mere jaise logon ne hindi blogging ko kharaab kar rakha hai. Mere jaise log kewal apshabd kahte paaye jaate hain? Ye baat aap kaise kah sakti hain? Mere comment mein ek bhi apshabd ho to aap use dhoondh kar deejiyega. Jaisa maine kaha, main maafi maang loonga.

    Jahan tak mera profile na dikhne kee baat hai to aap mujhe chor saabit karna chaahti hain. Aap ne khud kitne naam se comment likhe hain aur post likhi hain, aap bhool gai hain kya?

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  8. हवा में कुछ है जो सब युद्ध को आतुर हैं।
    कहाँ हो कृष्ण, बहुतों को सारथी की आवश्यकता है !
    घुघूती बासूती

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  9. बेनामीमई 25, 2008 8:56 pm

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  10. "वासनालोलुप हमारा मन: क्या आपका भी मन ऐसाइच है। कोई इलाज है क्या इसका?"

    अरे भईया, क्यों सरे आम नंगा कर रहे हो हमे!!!

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  11. वाह वाह वाह, और क्या कहें। अत्यंधिक व्यस्ततावश हम इसे समय रहते देख नहीं पाए। इतना समय कैसे निकाल लेते है साहेब ?

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