क्यों लगता है कि तुम मेरे हो
जब कि तुम मेरे नहीं हो
तुम आओ, तो खुद घर मेरा आ जाएगा.
इससे एक चीज़ की उत्सुकता और बढ़ी - पूर्णविराम या बिन्दु? आप क्या पसन्द करते हैं? अपनी राय बताइए। और हाँ, भास्कर जी ने कैप्चा लागू किया हुआ है! उनके चिट्ठे का शीर्षक है विभाव, इसका अर्थ भी यदि किसी को पता हो तो बताने का कष्ट करें।
प्रोग्रामिंग करते करते अण्डिफ़ाइंड सिंबल्स से तो वास्ता पड़ा था लेकिन अपरिभाषित प्रेम से नहीं! अब परिचय हो गया, शशांक की बदौलत। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ से तो परिचय था ही, दुबारा हो गया।
वर्तिका जी पठानकोट में अपने घर पर मौजूद लोकाट के पेड़ की कथा सुना रही हैं, मेरे इलाके में शायद इसे लुकाट कहते हैं - वही जो आड़ू जैसा होता है पर अधिक मुलायम?
सञ्जय जी से पूछा है कि छत्तीसगढ़ के छत्तीसों गढ़ों के नाम बताएँ, पता नहीं अब तक बताया है या नहीं। वैसे छत्तीसगढ़ी आगे बढ़े तो बुन्देली कैसे पीछे रह सकते हैं!
बोलती तस्वीरों को छाप रहे हैं सुरेश गुप्ता जी। गंगा की तस्वीरें हैं। उम्मीद है कि और भी आएँगी।
लेकिन मुँहफट जी अपने पिताजी को पत्र लिख रहे हैं, यह नहीं पता कि रार का क्या मतलब होता है। वशिनी शर्मा जी ने एक कविता लिखी है, वैसे काले रंग पर सफ़ेद अक्षर मुझे नहीं भाते हैं, पर आपकी पसंद अलग हो सकती है।
दीपक जी का कहना है कि २०-२० से क्रिकेट को नुक्सान होगा। हो या न हो, युवराज सिंह को तो फ़ायदा ही फ़ायदा हुआ है, प्रीति जी लगातार हग रही हैं उन्हें।
अन्त करता हूँ सूरज नामक एक मेधावी पर बीमार छात्र पर केन्द्रित इस चिट्ठे से।
और दाद देता हूँ शोभा जी को जिन्होंने इन कई नए लेखकों को टिप्पणी रूपी प्रोत्साहन दिया है।
देबाशीष से अनुरोध है कि बगल से जॉर्ज बुश की तस्वीर हटा दें। :)
जवाब देंहटाएंअच्छी चिठ्ठा चर्चा है.
जवाब देंहटाएंकई चिठों के बारे मे जानकारियां मिली. काफी रोचक हैं.
जॉर्ज बुश देबाशीष के चिठ्ठे पर मुझे कंही दिखाई नही दिए.
और हाँ बिन्दु ही ज्यादा उपयुक्त लगता है मुझे.
न न, जॉर्ज बुश चिट्ठाचर्चा पर है, दाईं तरफ़ देखिए।
जवाब देंहटाएंरोचक! कई नये ब्लॉगों से परिचय है।
जवाब देंहटाएंअच्छा बुरा तो नहीं मालूम लेकिन बिन्दु की आदत सी है. :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा. जारी रखिये.
बढ़िया आलोक! बुश साहब को भी बाहर कर दिया है। हजरत न जाने और कहाँ कहाँ बिसरे पड़े हैं पता लगाता हूँ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दे रहें हैं आप. जारी रखियेगा.
जवाब देंहटाएंदेवनागरी में तो पूर्णविराम ही जमता है। वैसे पसंद अपनी-अपनी।
जवाब देंहटाएंdo jagah aur likhti hun
जवाब देंहटाएंwww.poemsnpuja.blogspot.com aur www.laharein.blogspot.com
aisi jagah apna blog dekh kar accha laga. interlinking shayad aise hi shuru hoti hai.
पूजा जी जानकारी के लिए धन्यवाद।
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