अभी चर्चा का नया पृष्ठ नहीं खुल रहा है, सो हम भी चिट्ठाचर्चा के द्वार पर कतारबद्ध हो जाते हैं. दरवाज़ा खुलते ही कमेंट की सौगात भेंट करेंगे.तब तक,छह सफ़ल वर्षों के लिये शुभकामनाएं, बधाई.
पहले बधाई की टिप्पणी चेंपता हूँ तब लिंक चटकाऊंगा। सातवें द्वार पर प्रवेश कर रहे हैं तो हमारी हार्दिक शुभकामनाएँ साथ लेते जाइए। ईश्वर करे कि यह यात्रा अनम्त काल तक चलती रहे।
पता नहीं क्यों यह टिप्पणी लिखते समय अचानक मस्तिष्क में अभिमन्यु की याद फ्लैश हो गयी। सातवें द्वार के जिक्र से शायद। इसे अन्यथा न लिया जाय। पुनः बधाई व शुभकामनाएं।
बधाई स्वीकारे.......वैसे मै दोनों पन्ने खोल पा रहा हूँ.....क्या मोज़िला इस्तेमाल करने वाले ही इस वार्ड प्रेस में शिफ्ट हुए चर्चा को पढ़ पायेगे .? हाँ इसकी फीड हिंदी ब्लॉग जगत में भी न आ पा रही है...कृपया चेक करे .....
सात साल!!! एक लम्बा अंतराल होता है .....इस दौरान उसी उर्जा के साथ काम करना निसंदेह प्रशंसनीय है....इश्वर आपकी सेन्स ऑफ़ ह्यूमर को इसी उर्जा के साथ बनाये रखे
. बधाई हो, यह प्रोमो तो ठीक ठाक है.. बिल्कुल नगाड़ा गरम करते हुये किड़बिड़ किड़बिड़ बजा कर पब्लिक को बहलाने वाली तर्ज़ पर.. काहे से कि उधर लिंकिया चटकाय आये हैं, धीरे धीरे खुली... खुलबो करी कि नाहीं.. देखित है छुप गये तारे नज़ारे यह क्या बात होय गई.. लिंकवा चुनरी सरकावे मुला रात होय गयी ।
भोरे भोरे टिप्पणी चढ़ाने गए थे... टिप्पणी बक्सा गडबडा रहा था शायद मिस्त्री लोग नया बँगला के वायरिंग वगैरह में कहीं गडबड छोड़ दिए थे... पर अब तो मस्त चल रहा है... चिट्ठाचर्चा को नया बँगला मुबारक ....
http://kriwija.blogspot.com/2011/01/blog-post.html अम्मा चली गयी बहन रेखा जी की माता जी का देहांत हो गया है . इस दुःख भरी घड़ी में आप भी चलें और अपने साथियों को भी सुचना दे दें . धन्यवाद
चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।
नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.
हां जी, सहयोग तो भरपूर मिलेगा.... पर चर्चा है कहां :)
जवाब देंहटाएंसातवें साल के प्रवेशद्वार पर खडे रहने के लिए बधाई चिट्ठाचर्चा जी ॥
अभी चर्चा का नया पृष्ठ नहीं खुल रहा है, सो हम भी चिट्ठाचर्चा के द्वार पर कतारबद्ध हो जाते हैं. दरवाज़ा खुलते ही कमेंट की सौगात भेंट करेंगे.तब तक,छह सफ़ल वर्षों के लिये शुभकामनाएं, बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बात है. बधाई !
जवाब देंहटाएंबधाई !
जवाब देंहटाएंबढ़िया रहा सफर ,शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंचिटठा चर्चा क़ा सफ़र सप्तपदी में है इसके बाद कोहबर की तैयारी कर लीजिये और सभाल के रहिएगा यहाँ जूते चुराने वालो की कमी नहीं है
जवाब देंहटाएंपहले बधाई की टिप्पणी चेंपता हूँ तब लिंक चटकाऊंगा। सातवें द्वार पर प्रवेश कर रहे हैं तो हमारी हार्दिक शुभकामनाएँ साथ लेते जाइए। ईश्वर करे कि यह यात्रा अनम्त काल तक चलती रहे।
जवाब देंहटाएंपता नहीं क्यों यह टिप्पणी लिखते समय अचानक मस्तिष्क में अभिमन्यु की याद फ्लैश हो गयी। सातवें द्वार के जिक्र से शायद। इसे अन्यथा न लिया जाय। पुनः बधाई व शुभकामनाएं।
अनम्त = अनंत
जवाब देंहटाएंबधाई.. पर पेज आधा खुल रहा है.. टिप्पणी पर क्लिक करने पर लेल ओवरलेप हो रही है.. क्रोम में,,
जवाब देंहटाएंbadhai swikar ho.....
जवाब देंहटाएंpranam
यहाँ चटका लगाएं और पूरे समाचार पढें, लेकिन हैं कहाँ चर्चा? सर्दी में रजाई भी हटाई और कुछ नहीं मिला? लेकिन सात वर्ष के होने पर बधाई।
जवाब देंहटाएंवंदना अवस्थी दुबे के साथ खड़ा हूँ ...
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारे.......वैसे मै दोनों पन्ने खोल पा रहा हूँ.....क्या मोज़िला इस्तेमाल करने वाले ही इस वार्ड प्रेस में शिफ्ट हुए चर्चा को पढ़ पायेगे .? हाँ इसकी फीड हिंदी ब्लॉग जगत में भी न आ पा रही है...कृपया चेक करे .....
जवाब देंहटाएंसात साल!!! एक लम्बा अंतराल होता है .....इस दौरान उसी उर्जा के साथ काम करना निसंदेह प्रशंसनीय है....इश्वर आपकी सेन्स ऑफ़ ह्यूमर को इसी उर्जा के साथ बनाये रखे
हाँ टिप्पणी करने में दूसरा पन्ना नाराज़ दिख रहा है ....कुश बाबू से कहे दरवाजो के रिपेयर की जरुरत है .....
जवाब देंहटाएंबधाई जी अपना घर खरीदने की, वहीं मिलते हैं। लड्डू वगैरा तैयार रखियेगा।
जवाब देंहटाएंआपकी शिद्दत, आपकी मेहनत मुझे शुरू से हतप्रभ करती रही है। सात साल...एक युग ही नहीं बदल गया है इस दरम्यान। अच्छा लग रहा है मुझे इस का हिस्सा होना....
जवाब देंहटाएंनये प्लेटफार्म में कुछ पंगा है उधर...कमेंट नहीं हो पा रहा!
.
जवाब देंहटाएंबधाई हो, यह प्रोमो तो ठीक ठाक है..
बिल्कुल नगाड़ा गरम करते हुये किड़बिड़ किड़बिड़ बजा कर पब्लिक को बहलाने वाली तर्ज़ पर..
काहे से कि उधर लिंकिया चटकाय आये हैं, धीरे धीरे खुली... खुलबो करी कि नाहीं.. देखित है
छुप गये तारे नज़ारे यह क्या बात होय गई.. लिंकवा चुनरी सरकावे मुला रात होय गयी ।
भोरे भोरे टिप्पणी चढ़ाने गए थे... टिप्पणी बक्सा गडबडा रहा था शायद मिस्त्री लोग नया बँगला के वायरिंग वगैरह में कहीं गडबड छोड़ दिए थे... पर अब तो मस्त चल रहा है... चिट्ठाचर्चा को नया बँगला मुबारक ....
जवाब देंहटाएंhttp://kriwija.blogspot.com/2011/01/blog-post.html
जवाब देंहटाएंअम्मा चली गयी
बहन रेखा जी की माता जी का देहांत हो गया है .
इस दुःख भरी घड़ी में आप भी चलें और अपने साथियों को भी सुचना दे दें .
धन्यवाद