ये बगल वाला फोटो ब्लागखबरिया में छपा है। जयपुर के अखबार में। सुधाकर सोनीजी ने बनाया है। चौचक है न!
तुलसीदास जी कह गये हैं-
पर उपदेश कुशल बहुतेरे। जे आचरहिं ते नर न घनेरे॥
गोस्वामीजी जो बात बहुत पहले कह गये वह आज भी चरितार्थ होती है। दो दिन पहले एक बार फ़िर हुई। पाण्डेयजी पोस्ट तो लिखते हैं पारिवारिक कलह से बचने के उपाय बताने के लिये लेकिन पोस्ट खतम करते-करते आलोक पुराणिक को अनूप शुक्ल के खिलाफ़ भड़काने लगते हैं। जिस बात पर उनको मिट्टी डालनी चाहिये उसको वे चमका के सामने पेश करते हैं। वो तो कहिये आलोक पुराणिक को फ़रवरी के महीने में बजट कथा बांचने के लिये जजमान घेरे रहते हैं और अनूप शुक्ल समझदार हैं वर्ना तो न जाने क्या गजब होता। ज्ञानीजन महाभारत करवा देते।
इसीलिये अजय झा कहते हैं आप लोग कुछ ज्यादा ही आलोचनात्मक हो गए हैं। एक दूसरे की जबरदस्त खीन्चाई कर रहे हैं।
इस सबसे अलग मुम्बई में बोधिसत्व ने विनय पूर्वक विनय पत्रिका का साल पूरा किया और साथियों की शुभकामनायें हथिया लीं। लेकिन वे यह अभी तक न पता कर पाये कि उन्होंने साल भर क्या उखाड़ा!
१. कोलम्बस और कृष्ण:कविता में 'क' वर्ण की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार की छ्टा दर्शनीय है।
२.आस्कॅर, हिन्दी और बॉलीवुड : में अपना योगदान देते रहें।
३.चूहे में छुपी है मसलपावर ... : और आप खोजते हैं सलमान खान की बाहों में! कैसे मिलेगी!
४. राज न हो फिर भी कोष : बजट आया नहीं पर उड़े हैं होश!
५.ये डाक्टर .. .. ..ये कैसे डाक्टर ? :जो टीसते हृदय से आभार दे रहे हैं!
६.अकेलापन : हंसता है!
७.वह बारिश की छीटें :मिल जायें तो पकड़ के पीटें!(न जाने क्या-क्या याद दिलाती हैं।)
८. आज का मैनेजमेंट फ़ंडा: सेवा क्षेत्र देता रहेगा सोने का अंडा!
९. जीवन है चलता रहता है !!!:बार-बार कह रहे हैं तो मानना ही पड़ेगा!
१०.पुष्पित :हो गया! अब संवरना होगा!
११.सुनिये रघुवीर सहाय की कविता , किताब पढकर रोना :रोने के लिये किताब पढ़ने की क्या जरूरत है जी! ब्लाग पढ़ लीजिये।
१२.मेरे बारे में कोई राय ना कायम करना :जो करेगा, पछतायेगा! यहां कुछ नहीं पायेगा।
१३.लोकलुभावन बजट, यानि गई भैस पानी में....! :अब तो आराम से नहा-धो के निकलेगी।
१४. खुशरो बाग:मुफ़्त में देखिये।
१५.मैली हो गयी नर्मदा :अब बताओ कौन सा डिटरजेंट इसे साफ़ करेगा!
१६. मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँग:चलो अच्छा दूसरी वाली ही दे दो!
मेरी पसन्द
लम्हों को
नियम से बँध
कुछ इस तरह
खुलना होगा
पँखुडियों की
अदा सा
रंग में डूब कर
खिलना होगा
अधखुली
बात को
धीरे से
महकना होगा
जीवन के
केन्द्र के
आसपास
जुटना होगा
आलोक को
आलिंगन में
बाँधने के लिये
उठना होगा
नमी की
दो बूँद
सँभालने के लिये
रुकना होगा
बिखरने से पहले
हौले से
लम्हों को ....लम्हों का हाथ
पकड़ना होगा
जिन्दगी
तुझको तो
सुमन सा ही
संवरना होगा......
डा. बेजी
beji kae chtr kae neechaye chupae duarae chitr kaaa raaj bataye aur kyon unhey beji kae neechay chupaaya haen . aap eas keerti vaidya kae saath bhi kar chukae haen
जवाब देंहटाएंपहली बात तो यह कि हमारा और चिट्ठा चर्चा का 36 का आंकड़ा है. जब हम रोज लिखते हैं तो आप चर्चा नहीं करते जिस दिन हम पोस्ट नहीं लिखते या लिख पाते उस दिन चर्चा हो जाती है. आप पिछ्ले तीन महीने के आंकड़े उठा के देख लें साहब :-)हमारे बारे में ऎडवांस में जानकारी रखने के लिये धन्य्वाद.
जवाब देंहटाएंचित्र के नीचे चित्र ....कोई तकनीकी लोचा लगता है जी.
बेजीजी का चित्र हमने उनके ब्लाग से ही लिया है। कविता के साथ कवियत्री का चित्र। बाकी तकनीकी विशेषज्ञ बतायें। काकेशजी आप चिंता न करें। आपको कायदे से ’कबर’ किया जायेगा कभी।
जवाब देंहटाएंकविता के साथ कवियत्री का चित्र। बाकी तकनीकी विशेषज्ञ बतायें।
जवाब देंहटाएंkitnii baar bataye kii aap jab bhi chitr daetey haen kisi कवियत्री kewal chitr aata hae aur uskae nichae flicker kaa dusra chitr aata haen
केवल सच महोदय, वे जो चित्र आते हैं फ़्लिकर के वे हमारे एकाउंट के हैं। और जो चित्र आपको दिखते हैं वे अनूप भार्गव-रजनी भार्गव, कन्हैयालाल नंदन आदि के हैं। इसके अलावा भी हैं। मन करे देखिये।
जवाब देंहटाएंबड़ी बढ़िया पोस्ट किए बड़े ब्लोगेर साब आप. गागर मे सागर.
जवाब देंहटाएंअच्छा कार्टून. जायेकेदार चिट्ठा चर्चा और डाक्टर बेजी का तो क्या कहना.
और अब बड़े ब्लोगर साहब से क्या कहे? अपन का चर्चा तो जब लिखतें है तब भी नहीं होता और जब नहीं लिखते तब भी नहीं होता. काकेश भाई से भी गंभीर हालात हैं.
जय हो । बहुत दिनों बाद दर्शन हुए हैं। तर गए....
जवाब देंहटाएंकविता के साथ कवियत्री का चित्र। jab beji kaa chitr haen toh click karne sae usae beji kae blog per jaana chaheyae !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंaap kaa shayaad is chitr ko lagane ka purpose kuch aur haen
ab locha takniki nahin haen
कहा था न तेरे को ब्लॉग लिखने न बैठ!
जवाब देंहटाएं----------------------------
ओह, तो आप हरी-सफ़ेद धारी के टीशर्ट वाले की राय पर ज्यादा यकीन कर रहे हैं! तभी नहीं लिखते आजकल। :-)
beji kae chtir ka neechayae anya phot ka link hataaney kae liyae shukriya !!!!!!!! naam kae neechaye blog link daetey to achchaa hota shayad
जवाब देंहटाएंबॉस बाकी सब तो ठीक है। हमारा लिंक भले न दिया पर उसका नाम तो दे देते जिसने यह कार्टून बनाया।
जवाब देंहटाएंब्लागमास्टरजी, सुधाकर सोनी जी का नाम कल ही दिया था। उन्होंने ही कार्टून बनाया है न! कल हड़बड़ी के कारण लिंक न दे पाये थे। आज वो भी दे दिया। :)
जवाब देंहटाएंअनूपजी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपन की आवाज सुनी आपने
वह बारिश की छीटें :मिल जायें तो पकड़ के पीटें!(न जाने क्या-क्या याद दिलाती हैं।)
जवाब देंहटाएंkya kahna chaah rahe hain khul ke spshhT karein... kuchh mujhe merii khabar lage...