बुधवार, जून 18, 2008

बंटी और निम्मो की शादी में जूते चप्पल और डंडो की बरसात


मुस्कराते रहो
ये गुलाब आपके लिये बमार्फ़त शहरोज आये हैं। वे कहते हैं
टिफिन तैयार कर स्त्री पति को सोपेंगी
समय पर खा लेने की ताकीद के साथ .
हर पुरुष की पत्नी और प्रेमिका
विश्व की सबसे सुन्दर कृति होगी
देह बिना प्रेम अपूर्ण माना जायेगा
स्त्री बस देह हो जाया करेंगी ।


कविता की ये बानगी भी देखिये-
क्रांतिकारी संगठन से जुदा कवि
सरकारी महकमे में आ टिकेगा
तीन घंटे के अनुबंध पर सहायक से आठ घंटे की चाकरी
करना उसका धेये नहीं विवशता होगी


बोधिसत्व का मन आजकल बनारस में रम रहा है। वे कहते हैं हैं-
कहने को तो कहा जा सकता है कि काशी में क्या रखा है.....मैं कहूँगा कि यदि काशी में कुछ नहीं रखा है तो दुनिया में ही क्या रखा है....पतन किसका नहीं हुआ है....काशी का भी हुआ होगा....समय और बदलाव का दबाव काशी पर भी पड़ा है....लेकिन काशी का नशा मेरे मन से तनिक भी कम नहीं हुआ है.....।


डा.टंडन को न जाने क्या हुआ। आज अचानक बरमूडा त्रिभुज में मटरगस्ती करते पाये गये।

अतानु डे अंग्रेजी के जाने-माने ब्लागर हैं। अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा था-
ब्लॉग्स वैकल्पिक विचारों को आम चर्चा के मंच पर ला खड़ा करते हैं। असल में, ब्लॉग स्वयं आम जनता को आम चर्चा तक ले आती है। मुख्य धारा का मीडिया संकुचित और व्यभिचारी रूप गढ़ सकता है। ब्लॉग विचारों कि विविधता, जिसकी खासी ज़रूरत है, उत्पन्न करते हैं।
। अतानु डे के लेख अब हिंदी में भी उपलब्ध हैं। ज्ञानजी ने उनको सनद देते हुये कहा-
अतनु डे बहुत अच्छा लिखते हैं। और उनके लेखों की हिन्दी में उपलब्धता तो हिन्दी ब्लॉगिन्ग के लिये मील का पत्थर है।


एस.पी.सिंह पत्रकारिता के मील के पत्थर माने जाते हैं। चालीस के आसपास की उम्र में चले गये। अपना कोई गुरुडम नहीं चलाया। उनके बारे में इस बीच कई लेख लिखे गये। दिलीप मंडल ने कल एस पी की गैरहाजिरी का मतलब का मतलब बताया था। बमार्फ़त विजय शंकर चतुर्वेदी यह लेख भी उसी कड़ी का लेख है।

मैं ख़बरनवीस एसपी में अब कुछ और खोज रहा था। वह क्या चीज़ है, जो गाज़ीपुर के उस छोटे-से अंधियारे गांव से यहां कनाट प्लेस में बसे मायावी मीडिया लोक के शीर्ष तक उन्हें ले आयी है।


आप अगर फ़ायरफ़ाक्स ब्राउजर का प्रयोग करते हैं और आपको कभी-कभी हिंदी की पोस्ट पढ़ने में अक्षर टूटे दिखाई देते हैं तो आलोक उसका हल बता रहे हैं।
फ़ायर्फ़ाक्स के आधिकारिक स्थल से एक चटके में डाउनलोड करें

आप इत्ता बांचते-बांचते थक गये होंगे। सो निशा मधूलिका के द्वारा बनाई साबूदाने की खीर खाइये और आगे कुछ एक-लाइना बांचिये। लेकिन इसके पहले आप विनीत कुमार की इसअपील पर गौर फ़र्मायें।

1.बेईमानी आधी-आधी :पूरी करने में मेहनत बहुत है।

2.स्वीकारो मेरा अभिवादन : पलट नमस्ते भेजो फ़ौरन!

3. आपने मारा आरुषि को..आपने.!: अरे भैया, कैसे-कैसे सपने देखते हो। नार्को में फ़ंसा दोगे का?

4.चलो बुलावा आया है, जंगल ने बुलाया है! : लेकिन चलना पैदल ही पड़ेगा।

5. प्रेम पर पेट्रोल: भारी है। प्रेम की कैसी लाचारी है।

6.छिनाल का जन्म :शब्दों के सफ़र के दौरान!

7. सार्क में भी छाया रहेगा पेट और पेट्रोल:पेट्रोल बटोर के ले आया जाये और बेचकर पेट भर लिया जाये। कैसा रहेगा?

8.मैं काशीवाला नहीं हूँ : तो काहे हुड़क रहे हो बनारस के लिये?

9.तेरे शहर में तुझे ढूढते जमाने गुजर गए :रिपोर्ट लिखानी है तेरे शहर के सब थाने किधर गये।

10.बंटी और निम्मो की शादी.. :में जूते चप्पल और डंडो की बरसात ।

11.आज हम अंग्रेजी के गुलाम हैं : एक आत्मसाक्षात्कार। वर्तनी सुधारने की सलाह।

12. हिंदी ब्लाग के सचिन तेंदुलकर: समीरलाल का आरोप मानने से इंकार। लोगों के प्यार की साजिश बताया।

13.अपने वतन का नाम बताओ : चौथी बार पूछ रहे हैं।


मेरी पसंद
१.”पपीते के ठेले पर
कितना सुंदर दिख रहा है पपीता
बिलकुल अपने मालिक जैसा
जब हमने कल उसको पीटा”

२.”गर्मियो का मौसम
तरबूज की मिठास
जैसे कोई आया चौकी में
लिये सहायता की आस”

३.चौराहे पर खडे खडे
सुबह से शाम हो जाय
आंखे चमके चौगुनी
जो बिन हेल्मेट दिख जाय

४. जब जी चाहे बुलाईये
हम है आपके पास
दिन भर तकते राह आपकी
हमको भी है आस

पंगेबाज से

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8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उम्दा चर्चा..आपसे यही उम्मीद है...रोज किया करो. :)

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  2. बेहतरीन चर्चा है पूरा च‍िट्ठा जगत समेट लिया है, हमारे ब्‍लाग आपसे छूट जाते है :)

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  3. बहुत खूब ! सचमुच इसी जगह पूरे ब्लागजगत की जानकारी मिल जाती है। शुक्रिया हुजूर !

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  4. आपका अंदाज बहुत रोचक है. रोज हो तो मजा ही आ जाए.

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  5. बड़ी वैराइटी हो गयी है हिन्दी चिठेरी में। यह चर्चा देख अचानक अहसास हुआ।

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  6. पूछना तो एकही बार चाहते रहे, पर मालूम रहा कि आप तो तब्बो नहीं बतायेंगे. चलिये अब पूछना भी छोड दिये.

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  7. चिट्ठा चर्चा चालू रहे....

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