रविवार, जनवरी 09, 2011

चिट्ठाचर्चा के सातवें साल की शुरुआत

चिट्ठाचर्चा की शुरुआत आज से सात साल पहले हुई थी। चिट्ठाचर्चा कैसे शुरु हुआ और क्या-क्या घटनायें हुईं इसके संचालन के दौरान इसका संक्षिप्त लेखा-जोखा यहां मौजूद है।
कुछ अंग्रेजी ब्लागरों के हिंदी विरोधी रवैये की प्रतिक्रिया स्वरूप शुरु की गयी चर्चा इतने दिन का सफ़र तय करेगी यह उस समय सोचा भी नहीं गया था।
यहां चिट्ठाचर्चा की कुछ पोस्टों के लिंक दिये है
1.    आइये स्वागत है आपका :यह पोस्ट चर्चा की पहली पोस्ट है। कुछ दिन बाद न जाने कैसे चिट्ठाचर्चा हैक हो गया था। उसकी पुरानी पोस्टें मय कमेंट्स गायब हो गयीं थी। फ़िर देबाशीष इसे खोज-खाज के लाये। आप देखिये किन-किन ब्लॉगस की चर्चा की कल्पनायें थीं।
2. अस्सी नब्बे पूरे सौ: 8 सितम्बर , 2005 को हिन्दी के  सौ ब्लॉग पूरे होने की उत्फ़ुल्ल सूचना। टिप्पणी कुल जमा तीन।
3. मराठी चिट्ठों का नायाब ख़जाना :देबू की इस जानकारी पर जीतेन्द्र की प्रतिक्रिया थी- अमां यार! झकास, क्या इमेज लगायी है यार!, शानदार है, लगता है बाबूराव ब्लागर कलम लेकर लिखने को हाजिर है. आपने ये ग्राफ़िक्स बनाया है, या (मेरी तरह) कंही से छुआया है?
4. यूजनेट के माध्यम से विचार-विमर्श :इस पोस्ट में आपस में विचार-विमर्श के लिये संभावनाओं पर विचार हुआ। देबाशीष के द्वारा।
5. पहला असमिया चिट्ठा? :की जानकारी दी  देबाशीष ने। 29 सितम्बर 2005 को।
6. जुम्मे पर पेश है खिचड़ी !: पेश की अतुल अरोरा ने अपनी  पहली चर्चा में। अतुल हर बार नये अंदाज में चर्चा करते रहे। मजेदार। रोचक।
7.सिर मुडाते ही ओले पड़े… समीरलाल को  जब उन्होंने पहली चर्चा की। टिप्पणी मिलीं  आठ! समीरलाल की  चर्चा में उनका हस्य बोध खुलकर खिलता था। इसीलिये हमने उनके बारे में उस समय लिखते हुये उनको हास्यव्यंग्य का किंग कहा था। मुंडलिया उनका मुख्य हथियार रहा चर्चा का। उनकी देखा-देखी एक मुंडलिया हमने भी लिखी थी देखिये :
भोर भयी इतवार की, हम रहे बिस्तर पर अंगड़ाय,
सूरज आया गेट पर, हम उसको भी दिये भगाय,
उसको दिये भगाय कि अभी तो धांस के सोना है,
रात जगे हैं देर तक, उसका हिसाब भी होना है,
अभी पधारकर आप जी, मत करिये मुझको बोर,
जब हम जागेंगे नींद से, तभी होयेगी अपनी तो भोर।
8. ना तो कारवाँ की तलाश है (गुजराती चिट्ठे) : गुजराती चिट्ठों की चर्चा शुरू की पंकज बेंगाणी ने। संजय  बेंगाणी के छोटे भाई पंकज बेंगाणी मास्साब के नाम से मशहूर थे। संयोग से यह सौंवी चर्चा थी। दिंन मंगलवार , तारीख  3 अक्टूबर, October 03, 2006। इस तरह पहली चर्चा से सौवीं चर्चा तक आते-आते एक साल नौ महीने लगे।
9.खुद ही तकदीर बनानी होगी…: रवि रतलामी की पहली चर्चा। शीर्षक रमा द्विवेदी की कविता से
10.कविता में चिट्ठा चर्चा : शुरू  करते हुये राकेश खण्डेलवाल जी ने लिखा:
चिट्ठा चर्चा कीजिये, मुझे मिला आदेश
फ़ुरसतियाजी ने किया जारी अध्यादेश
जारी अध्यादेश, कुण्डली लें समीर से
और सजायें काव्य-सुधा रस भरी खीर से
लगे हर्द फिटकरी न होवे कुछ भी खर्चा
लेकिन करें सिर्फ़ कविता में चिट्ठा चर्चा
11.बादलों में छिपा तारा : से चर्चा की शुरुआत की जीतेन्द्र चौधरी ने। इतवार  की चर्चा का भार उनके कन्धे पर था। 15 अक्टूबर, 2006 ।
12..म्हारी भासा, म्हारी प्रीत (राजस्थानी चिट्ठे) : से चर्चा की शुरुआत हुई  संजय बेंगाणी की। इसके बाद वे दोपहरिया चर्चा में भी आये।
13..मध्यान्ह चिट्ठाचर्चा : दिनांक 1-11-2006 : शुरू की संजय बेंगाणी ने।
14..मराठी चिठ्ठा जगत : की जानकारी देते हुये मराठी चिट्ठों की चर्चा शुरू की तरूण जोशी ने। यह उनकी एकमात्र चर्चा रही।
15.चिट्ठागिरीः समझो हो ही गया : से तरुण ने चर्चागिरी शुरू की। निठल्ला चिंतन के नाम से अपना ब्लॉग चलाने वाले तरुण ने तमाम नये प्रयोग करने का काम किया चिट्ठाचर्चा में।
16.नैतिकता कोने में पड़ी चौकी है… : से कविराज  गिरिराज जोशी ने चर्चा की शुरुआत की। गिरिराज अपने को  समीरलाल  शिष्य बताते थे।चेला चला गया , गुरूजी जमे हुयें।
17. शीर्षक.. बिना शीर्षक : दो सौंवी चर्चा पोस्ट की समीरलाल ने । वुधवार , 13  दिसम्बर,  2006 को। इस तरह सौंवी चर्चा से दो सौंवी चर्चा का सफ़र
पूरा हुआ मात्र तीन माह और नौ दिन में।
18. ब्रह्मा के घर में हंगामा! :चिट्ठा चर्चा: यह थी सागर चंद नाहर की पहली चर्चा। तारीख  16 मार्च, 2007| इसके बाद उन्होंने गीत-संगीत के ब्लॉग की चर्चा भी की। सागर ने ही पहली बार टंकी आरोहण किया जिसका बाद में तमाम नामी-गिरामी लोगों ने अनुसरण किया।
19.ये भी सच है कि मोहब्बत में नहीं मैं मजबूर: आशीष श्रीवास्तव ने इस चर्चा के द्वारा मद्रासी हिंदी में चर्चा शुरू की। देखिये नमूना:
अइयो अम चेन्नई से आशीष आज चिठठा चर्चा कर रहा है जे। अमारा हिन्दी वोतना अच्छा नई है जे। वो तो अम अमना मेल देख रहा था जे , फुरसतिया जे अमको बोला कि तुम काल का चिठ्ठा चर्चा करना। अम अब बचके किदर जाता। एक बार पहले बी उनने अमको पकड़ा था जे,अम उस दिन बाम्बे बाग गया था। इस बार अमारे पास कोई चान्स नई था जे और अम ये चिठ्ठा चार्चा कर रहा है जे।
आशीष की भाषा से कुछ लोगों को आपत्ति थी। अभय तिवारी की प्रतिक्रिया देखि्ये:
क्यों करते हैं आप लोग इस तरह की चर्चा.. मुझे समझ नहीं आया आज तक.. सामान्य भाषा में की गई चर्चा भी बेमतलब ही लगती थी.. इस फूहड़ मद्रासी में इस का स्तर शक्ति कपूर के हास्य जैसा हो गया है.. आप सब लोग धुरन्धर लोग हैं.. मैं नया हूँ..हो सकता है आपकी परिपाटियों और परम्पराओं से अपरिचित हूँ.. लेकिन जिस तरह से मेरे गम्भीर लेख का भद्दा मजाक यहां बनाया गया वो आप सब को पढ़ने में बड़ा मज़ा आया .. ये जानकर थोड़ी हैरत हुई ..
20.चर्चा के साथ-साथ अब समीक्षा भी : सृजन शिल्पी ने शुरुआत की  लेकिन फ़िर जारी न रख सके। पा्रिवारिक जिम्मेदारियों और काम के दबाब के चलते।
21. मध्यान्हचर्चा दिनांक : 07-03-2006 : तीन सौंवी पोस्ट थी संजय बेंगाणी नें। वुधवार , मार्च 07,  2007 को। दो सौंवी से तीन सौंवी  चर्चा  तक आने में तीन माह से भी कम समय लगा।
22.नए बावर्ची का चिट्ठाचर्चा कोरमा : से शुरुआत की मसिजीवी ने। 26 मार्च, 2007 को। मसिजीवी ने कई धमाकेदार चर्चायें की। पंकज बेंगाणी के बाद मास्साब की पदवी इनको मिली।
23. जी का जंजाल मोरा बाजरा….जब मैं बैठी बाजरा सुखाने…: और सुजाता जुड़ीं पहली महिला चर्चाकार के रूप में। 21 अप्रैल, 2007 को।
24.एक डुबकी दार्शनिक व्यंग्यवाद की निर्मल स्रोतस्विनी में : अगले ही दिन 22 अप्रैल, 2007 को नीलिमा भी जुड़ गयीं चर्चा मंच से। इसके साथ ही एक परिवार के तीन लोग एक साथ चर्चाकार हो गये। मसिजीवी,नीलिमा और सुजाता। कुछ लोगों ने इस पर एतराज भी किया। अब एतराज करने वाले और चर्चा परिवार सब  शांत हैं ब्लॉग जगत से काफ़ी दिनों से।
25.खादिम, सारा दिन : से संजय तिवारी ने चर्चा शुरू की 10 जुलाई ,2007 से।  ज्यादा दिन तक  जारी नहीं रख सके संजय चर्चा को। शायद अब दुबारा शुरू हों।
26. कविता की रसधार में : चार सौंवी पोस्ट नीलिमा के द्वारा। दिन था इतवार और तारीख  22, जुलाई 2007। इस बार सौ चर्चाओं के बीच का समय रहा साढे तीन माह।
27. कुछ चर्चीले चिट्ठों की चर्चीली चिट्ठियाँ: आदि चिट्ठाकार आलोक कुमार जुड़े चिट्ठाचर्चा  से 27 फ़रवरी  , 2008 को। कुछ्दिन तक नियमित रहने के बाद आलोक निरंतर अनियमित हो गये।
28. ए टी एम बोले तो एनी टाइम मगज मारी : पांच सौंवी पोस्ट अनूप शुक्ल के द्वारा। सोमवार 4 अगस्त, 2008 को। चर्चाकार व्यस्त होते चले गये और सौ चर्चायें  पूरी होने में समय लगा लगभग ग्यारह माह।
29. इस बार की चिट्ठा चर्चा ‘कुश’ की कलम से:पांच सौ पोस्ट होने के  पन्द्रह दिन बाद  कुश जुड़ गये चिट्ठाचर्चा से । तारीख रही 19 अगस्त, 2008| तबसे कुछ लगातार जुड़े हैं चिट्ठाचर्चा से। ब्लागस्पाट से वर्डप्रेस का सफ़र तय करने में भी कुश का ही प्रयास और आग्रह मुख्य रहा। कुश की चर्चा में हमेशा नयापन बना रहा। हर बार कुछ नये प्रयोग किये और जब तक चर्चा करते रहे लोग इंतजार करते रहे इनकी चर्चा का।अब  फ़िर से सक्रिय होने वायदा किया है कुश ने।
30. जहाँ विश्वास होता है वहाँ फिर भ्रम नहीं होते: इस पोस्ट से डा.कविता वाचक्नवी जुड़ी चिट्ठाचर्चा से। उनके जुड़ने से चर्चा को नया आयाम मिला। उनकी चर्चा पर पहली टिप्पणी ज्ञानजी की थी वे कहते हैं:
ग्रेट! ओपनिंग इतने धुआंधार अन्दाज में। बहुत मेहनत और बहुत समग्रता से देखा है आपने आज की पोस्टॊं को! कविता जी मेरी जानकारी में सबसे जिम्मेदार चर्चाकार थीं। कोई चर्चा उन्होंने टालू अंदाज में नहीं की। अक्सर छह से सात घंटे कम से कम लगाकर चर्चा करतीं  थीं कविता जी!
31.आज की चर्चा ताऊ के साथ: से विवेक सिंह ने चिट्ठाचर्चा शुरू की 25 अक्टूबर , 2008 को।विवेक में आशु कविता की जबरदस्त नैसर्गिक क्षमता है। पहली ही चर्चा में देखिये विवेक का अंदाज:
टीवी पर आकर समीर जी फूले नहीं समाते ।
पाठक भी पढ पोस्ट अधूरी टिप्पणियाँ बरसाते ॥
सिर्फ़ बमों से नहीं मरे कुछ मेट्रो ने भी मारे ।
व्यंग्य वाण क्यों सहें अकेले गृहमन्त्री बेचारे ॥
सुख दुख के दो रंग आज रंजना सिंह दिखलाएं ।
नयन नीर हर्षित मन दोनों ही अच्छी कविताएं ॥
पुसादकर जी समझ न पाए भेद न्यूज चैनल का ।
टीवी पर भी पढा जा रहा सिर्फ सामना कल का ॥
हिन्दू भाई जरा ध्यान दें लेख पढें यह पूरा ।
आज तरुण ने अनूप शुक्ला को शंका से घूरा ॥
32.. रविवार्ता का उत्तरपक्ष और `बीजल चिट्ठी’ : चर्चा शुरू करने कुछ दिन बाद ही छह सौंवी  चर्चा  कविता वाचक्नवी जी ने पोस्ट की। सोमवार ,  3 नवम्बर , 2008 को। इस बार सौ चर्चायें पूरी हो गयीं मात्र तीन माह में।
33.करता है फिर गुनाह क्यूं रब भी कभी-कभी: से शिवकुमार मिश्र जुड़े चर्चा से 13 नवम्बर, 2008 को। उनकी चर्चा को मैं जामे कुटुम समाय घराने की चर्चा  कहता रहा। वे तीन-चार चिट्ठों की विस्तार से चर्चा करते थे। शानदार। अब फ़िर से सक्रिय होने का वायदा ले लिया गया है उनसे।
34.सिगरेट पीती हुई लड़कियाँ: अभय तिवारी की पहली चिट्ठाचर्चा थी। उन्होंने एक पोस्ट की चर्चा का फ़ार्मेट तय किया था अपने लिये। उनकी पहली चर्चा के लिये यह कविता कारण बनी:
एक झूठ को सदी के सबसे आसान सच में बदलने की कोशिश करती हैं
सिगरेट पीती हुई लड़कियाँ …
उंगलियों में हल्के से फंसाकर
धुँएं की एक सहमी लकीर बनाना चाहती हैं
ताकि वे बेबस किस्म की अपनी खूबसूरती को भाप बना कर उड़ा सकें
35. चाहे कुछ मत काम करो लेकिन पीटो ढोल मियां : सात सौंवी चर्चा अनूप शुक्ल ने की- वुधवार 28 जनवरी,  2009 को। इस बार सौ चर्चायें  तीन   माह  से भी कम समय में हो गयीं। चर्चाकार सक्रिय रहे ज्यादा ही कुछ।
36. चिट्ठा चर्चा पर चलिए मेरे साथ इस साप्ताहिक संगीत यात्रा पर…:से मनीष कुमार ने चिट्ठाचर्चा   शुरू की। वे गीत-संगीत से जुड़े चिट्ठों की चर्चा करते रहे। चर्चा की शुरुआत मनीश ने की 14 मार्च , 2009 को।
37. सांगीतिक चुनावी चिट्ठा चर्चा : सब ताज उछाले जाएंगे सब तख्त गिराए जाएंगे : आठ सौंवी चर्चा मनीष कुमार ने की रविवार 25 अप्रैल 2009 को। सौ चर्चायें इस बार भी तीन माह से कम समय में हो गयीं।
38. ब्लॉगजगत की हवेली के अनगिनत दरवाज़े: के साथ मीनाक्षी जी जुड़ीं चिट्ठाजगत से 29 अप्रैल , 2009 को।
39. अगर शादी की रात को बेड टूट जाये तो ? नौ सौंवी चर्चा  रही विवेक सिंह के नाम । मंगलवार , 4 अगस्त , 2009 को। इस बार पांच महीने से कुछ कम दिन लगे सैकडा पूरा करने में।
40. गर्व का हजारवाँ चरण : प्रत्येक ज्ञात- अज्ञात को बधाई: एतिहसिक  हजारवीं चर्चा  हुई डा. कविता वाचकन्वी जी द्वारा। दिन मंगलवार नवंबर 1o, 2009 को। तीन माह और कुछ दिन लगे इस बार सौ चर्चा करने में।
41. चर्चा विज्ञान आधारित चिठ्ठों की: 13 नवम्बर ,2009 को लवली गोस्वामी जुड़ीं चिट्ठाचर्चा से। उनको  विज्ञान आधारित चिट्ठों की चर्चा करनी थी। दो चर्चा के बाद अब फ़िर उनको आगे काम शुरू करना है।
42.. बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी ……? की तर्ज पर पेश है आज की चिट्ठा-चर्चा !: प्रवीन त्रिवेदी उर्फ़ प्राइमरी के मास्टरजी जुड़े इस चर्चा के द्वारा 12 दिसम्बर  ,2009 को। यह बात अलग है कि वे आगे फ़िर से अनियमित हो लिये हैं। अब फ़िर से उनको अपनी खैर का इंतजाम करना है।
43. गुजरे साल के कुछ फुटकर नोट्स …..उस जानिब से-पहली किस्त: मास्टर जी चार दिन बाद  ही डा.अनुराग जुड़े चर्चा मंच से। वे  चर्चा आराम से करते हैं और उनकी हर चर्चा अपने आप में नायाब होती है। कई दिन तक संदर्भ पोस्ट के रूप में चर्चा में रहती है।
44.निज कवित केहि लाग न नीका: से मनोज कुमार ने चिट्ठाचर्चा की शुरुआत की। मनोज जी अन्य चर्चा मंचों से भी जुड़े हैं।  मेहनती चर्चाकार मनोजजी अपनी चर्चा में विविध प्रयोग करते रहते हैं।
45.….अथ फ़ुरसत कथा,इति फ़ुरसत कथा : ग्यारह सौंवी चर्चा अनूप शुक्ल द्वारा। वृहस्पति 11मार्च, 2010 को। चार माह लगे इस बार सौ चर्चा करने में।
46..…ये दुनिया की सबसे प्यारी आँखें हैं : बाकी चर्चाकार थोड़ा  कम हो गये।  सो बारह सौंवी चर्चा भी अनूप शुक्ल के की बोर्ड से निकल गई। दिन वही वृहपतिवार 11 मार्च, 2010 को
47. सिर्फ सेहत के सहारे जिन्दगी कटती नहीं: कहते हुये गौतम राजरिशी ने चर्चा शुरू की 5 जनवरी , 2011 । ये इस चर्चा मंच के सबसे नये नगीने हैं। उनकी पहली ही चर्चा से लोग उनके मुरीद हो गये।
अपूर्व का कहना है गौतम की चर्चा पर:
चिट्ठा-चर्चा ने रोग पाल ही लिया..और क्या खूबसूरत रोग पाला है..कि जैसे सर्दी की गुनगुनी धूप खिली हो..किसी दोशीजा के आरिज़ पर..अब यह सूरज मसरूफ़ियत के बादलों की पीछे न छुपा रहे हो बात बने :-)
..फिर अपना हाल तो बकौल शाद सा’ब
दिले-मुज़्तर से पूछ ऐ रौनके-बज़्म
मै खुद आया नही लाया गया हूँ
इनके अलावा दो पोस्टें मैंने चिट्ठाचर्चा की जानकारी देते हुये लिखी थी।
48. दो कप चाय हो जाये!!: उपरोक्त चर्चाओं के अलावा एक चर्चाकार और थीं रचना बजाज। वे समीरलाल के साथ चर्चा करतीं थीं। इस चर्चा में रचनाबजाज का परिचय देते हुये समीरलाल ने लिखा था:
रचना जी को देखिये, लिखती जाती आज
चर्चा कुछ हमहू करें, छोड़ा नहीं यह काज
छोड़ा नहीं यह काज कि अब आराम करेंगे
टिप्पणी बाजी जैसा अब, कुछ काम करेंगे
कहत समीर कविराय, हरदम ऐसे बचना
टिप्पणी करते जायें, बाकी लिखेगी रचना.
49.चिट्ठाचर्चा –यादों का एक सफ़र: इस पोस्ट में मैंने चि्ट्ठाचर्चा की शुरुआत से इसकी हजारवीं पोस्ट तक का संक्षिप्त विवरण लिखा था।
50. चिट्ठाचर्चा के बहाने कुछ और बातें: इसमें मैंने चिट्ठाचर्चा से जुड़े कुछ सवालों के जबाब देने की कोशिश की थी।
तो यह था हमारा पिछले छह सालों का सफ़र। इस पोस्ट से हम ब्लॉगस्पॉट से  वर्डप्रेस पर आ गये। आगे शायद और कुछ बेहतर कर सकें। नियमित रह सकें। सभी पुराने साथी चर्चाकारों से अनुरोध है वे अपना रजिस्ट्रेशन पुन: करके यहां भी सक्रिय हों। बहुत कुछ है चर्चा में करने को।
आप अभी की प्रतिक्रियाओं, सुझावों , सम्मतियों, असहमतियों का स्वागत है। फ़िलहाल अनुरोध है कि चिट्ठाचर्चा के उपयुक्त टेम्पेलेट सुझायें।

चिट्ठाचर्चा के चर्चाकार

image imageimage imageimageimageतुषार जोशीअभय तिवारीimageसंजय बेंगाणीimageराकेश खंडेलवालअतुल अरोरातरुणमनीष कुमाररचना बजाज सपरिवारimageआशीष श्रीवास्तवसागर चंद्र नाहरकविता वाचक्नवीimageimageimageमसिजीवीimageimage image imageविवेक सिंहलवली गोस्वामीअनूप शुक्ल
ऊपर से नीचे बायें से दायें पहली पंक्ति: जीतेन्द्र चौधरी, समीरलाल,आलोक कुमार ,सृजन शिल्पी,रविरतलामी, विपुल जैन, तुषार जोशी, अभय तिवारी, पंकज बेंगाणी, संजय बेंगाणी, देबाशीष, राकेश खण्डेलवाल, अतुल अरोरा, तरुण, मनीष कुमार, रचना बजाज , आशीष श्रीवास्तव, सागर चन्द नाहर, कविता वाचक्नवी, सुजाता, मीनाक्षी, नीलिमा,मसिजीवीसंजय तिवारी, रमन कौल, शिवकुमार मिश्र, कुश, विवेक सिंह, ,प्रवीण त्रिवेदी,गौतम राजरिशी , डा.अनुराग मनोज कुमार , लवली गोस्वामी और अनूप शुक्ल  ।

10 Responses so far.

  1. Anokhi style se charcha hai aaj …
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  2. चिट्ठाचर्चा की अपने घर में शुरुवात – यह इसका नया आयाम है, बधाई।
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    • शुक्रिया! अन्मुक्त जी, आपसे अनुरोध है कि आप यहां, अपने ब्लॉगपर या मेल से हमें सलाह दें कि आगे चिट्ठाचर्चा का स्वरूप कैसा रहे? :)
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      • चिट्ठाचर्चा के अपने डोमेन नेम के साथ आने पर बधाई. शुभकामनाएँ.
        उन्मुक्त जी को चिट्ठाचर्चा के लिए निमंत्रित किया जाए व उन्हें भी दल में शामिल किया जाए. उनकी निगाह भी हिंदी चिट्ठों पर बारीकी से रहती है. उनका भी अंदाजेबयां निराला व उद्धरणयोग्य होगा ऐसा मेरा विश्वास है.
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  3. बढ़िया रहा सफर ,शुभकामनायें.
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  4. चिट्ठा चर्चा के सातवें वर्ष में पदार्पण के लिए सभी चर्चाकारों और हिन्दी ब्लागीरों को बधाई।
    आज इस के इतिहास में जाने का अवसर प्राप्त हुआ। सभी लिंकों को तसल्ली से पढ़ता हूँ।
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  5. टेम्प्लेट में कुछ गड़बड़ है। पोस्ट ठीक से खुल नहीं रही है। कमेंट-एरिया पोस्ट-कंटेंट-एरिया पर चढ़ी हुई है।
    बहरहाल नये रंगरूप पर हम रीझ रहे हैं। ढेरों बधाइयाँ और एक फ्लाइंग किस मेरे बेटे सत्यार्थ की ओर से भी।
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    • शुक्रिया सिद्धार्थ। टेम्पलेट ठीक हो लिया। जाड़े के कारण ऐसा हो गया होगा कि कमेंट एरिया पोस्ट एरिया से सट गया होगा। अब सही हो गया है।
      बेटे सत्यार्थ को दो ठो पुच्ची और खूब सारा आशीष!
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  6. बधाई स्वीकारे…….वैसे मै दोनों पन्ने खोल पा रहा हूँ…..क्या मोज़िला इस्तेमाल करने वाले ही इस वार्ड प्रेस में शिफ्ट हुए चर्चा को पढ़ पायेगे .? हाँ इसकी फीड हिंदी ब्लॉग जगत में भी न आ पा रही है…कृपया चेक करे …..
    सात साल!!! एक लम्बा अंतराल होता है …..इस दौरान उसी उर्जा के साथ काम करना निसंदेह प्रशंसनीय है….इश्वर आपकी सेन्स ऑफ़ ह्यूमर को इसी उर्जा के साथ बनाये रखे
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    • डा.अनुराग, शुक्रिया। हमारे सब दोस्त ही इसे चलाते रहे। कभी हम रुके तो किसी और ने धकिया दिया आगे। इधर के सबसे नियमित और बिन्दास चर्चाकार तो डा. अनुराग आर्य ही रहे।
      सेंस आफ़ ह्यूमर कहां जाये ससुरा भाग के। इंनबिल्ट है वो तो हमारे साथ! :)
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  7. आपकी शिद्दत, आपकी मेहनत मुझे शुरू से हतप्रभ करती रही है। सात साल…एक युग ही नहीं बदल गया है इस दरम्यान। अच्छा लग रहा है मुझे इस का हिस्सा होना….
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  8. पहले तो ये नया बँगला मुबारक हो चिट्ठाचर्चा को.. आखिर किराये का घर छूटा… :) नया घर है इसलिए थोड़ी वायरिंग वगैरह की समस्याएँ है लगता है.. टिप्पणी बक्सा ठीक से नहीं आ रहा है.. जो भी मिस्त्री हैं कृपया देख लेवें…
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  9. chitthacharcha ko dheron badhiyan!!
    is platform ne bahut kuch diya hai.. na jaane kitne to logon se milwaya hai jo ab bahut achhe dost hain aur bahut kuch likhne/padhne/sochne ko bhi diya..
    satven saal mein ye naya kalaver pasand aaya.. chitthacharcha youn hi din dooni raat chaugni tarakki kare, yahi kaamna hai..
    Amen!!
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    • पंकज, शुक्रिया! मुझे अभी भी याद है तुम्हारी कविता की पंक्तियां जिससे तुम्हारा परिचय यहां कराया था मैंने।
      पंकज उपाध्याय तो बाकयदा एक ठो कविता भी लिख चुके हैं पहिले ही। इस कविता से पता चलता है कि आज की पीढ़ी कित्ती धैर्यवान है:
      उसकी बिंदी के तो हिलने का
      मैं इंतज़ार करता था, की कब वो
      हल्का सा हिले और मैं बोलूँ
      की “रुको! बिंदी ठीक करने दो”।
      तुम्हारी सारी पोस्टें उसके बाद एक साथ पढ़ीं थी। अद्भुत अनुभव रहा वह भी।
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      • anup ji, use kaise bhool sakta hoon.
        aur kabhi aapko khule manch par apni sau posts jhelne ke liye dhanyawaad bhi nahi kah paya.. kai posts par tippaniyon ka khaata aap khol gaye. shukriya is saare samman ke liye..
        chitthacharcha ko youn bada hota dekh ek achha anubhav hota hai. shayad yahi ek wajah thi jisne hamein blogjagat ki pichli kaafi peedhiyan virasat mein di kyunki iske alawa hamare paas itna pracheen manch koi aur nahin tha aur ye sochkar ghanghor aascharya hota hai ki kitne to log ise kitne to samay se bakhoobi chalate rahe. roz naye naye judte bloggers ko is baat ka khayal rakhna chahiye ki yahan hamse pahle bhi kai log the, wo jinhone hamari neenv rakhi thi, wo jo saare sammanon se pare hain.. sach mein bada achha laga.. fir se dheron badhiyan..
        B’day party honi chahiye. nahi? :-)
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  10. इतिहास हास के साथ
    लहसुन प्‍याज के साथ
    पोस्‍ट टिप्‍पणी का साथ
    ब्‍लॉग चर्चा का साथ
    साथ यह ऊंगलियों का है
    हमें तो मजबूत अंगूठा मिला है
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  11. Sanjay jha from Ludhiana, Punjab, India says:
    badhiyan kam ke liye badhaiyan……..
    pranam
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  12. सात साल पूरे करने की बधाईयाँ व शुभकामनाएं स्वीकारें…
    सभी चिठ्ठाकार पूरी मेहनत व समर्पण से चर्चा करते हैं…
    (हालांकि कुछ ऐसे चर्चाकार भी हैं जो “अतिरिक्त समर्पण” दिखाते हुए महिलाओं के चिठ्ठों को अधिक प्रमुखता देते हैं… he he he he he) :) :)
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  13. बधाईईईईई होssssss…..
    कल से दरवाज़े पे खड़े हैं, ऐसा मुरीद भी है कोई? कब से गुलदस्ता हाथ में लिये खड़े हैं.
    बहुत शानदार सालगिरही चर्चा है. बड़ी मशक्कत हुई होगी इसे तैयार करते हुए. तमाम व्यस्तताओं के बीच इतनी लगन से चर्चा करना….hats off है जी. चर्चा का यह मंच साल दर साल हमें अच्छे लिंक्स उपलब्ध कराता रहे,[और हमारी पोस्टों की चर्चा करता रहे :) :)]
    अरे!!!! सतीश भाईसाहब कहां गये? खड़े तो मेरे साथ ही थे :( ..आइये भाई साहब, दरवाज़ा खुल गया है :)
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  14. इस नव प्रयास पर बधाई व शुभकामनाएँ
    गूगल क्रोम पर यह टेम्पलेट बिल्कुल ठीक दिख रहा। कोई शिकायत नहीं :-)
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  15. अच्छी रही ये “retro ” पोस्ट! आगे के और सात वर्षों के लिये शुभकामनाएं.. :)
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  16. रचनाजी, शुक्रिया। आगे भी आइये चर्चा करने के लिये। समीरलाल जी के साथ। :)
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  17. चिट्ठा चर्चा के सात साल पूरे होने पर ढेर सारी बधाई। इन सात सालों के सफ़र मे चिट्ठा चर्चा ने जाने हजारों लेखों की चर्चा की, सैकड़ों चिट्ठाकारों को लिखने के लिए प्रेरित किया। शुकुल आप हिन्दी चिट्ठाकारी के कीर्ति स्तम्भ है। जहाँ बाकी चिट्ठाकार(मै भी), नून तेल लकड़ी मे उलझ गए, आप लगातार डटे रहे। आपकी कभी कभी तो आपकी ऊर्जा को देखकर ईर्ष्या होती है। आपकी इस लगन को शत शत प्रणाम। उम्मीद है आपसे प्रेरणा पाकर, बाकी पुराने चिट्ठाकार भी सहकारिता वाले प्रोजेक्ट मे हाथ बँटाएंगे।
    सात साल पूरे करने की बधाईयाँ एवम ढेर सारी शुभकामनाएं।
    आपका अनुज
    जीतू चौधरी
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    • अरे भैये जीतू, हम क्या कुछ कर पाते अगर सब लोग धकियाने वाले न होते। नून-तेल- गैस में तो हम भी उलझे हैं। बीच-बीच में चर्चियाते भी रहे। आओ फ़िर से चिट्ठाचर्चा का हिसाब-किताब देखो। :)
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  18. इत्ति उर्जा लाते कहाँ से हो? ठग्गु के लड्डू तो वह स्रोत नहीं हो सकता.
    इनते वर्षों में कई एग्रीगेटर विरोध के चलते बैठ गए मगर चिट्ठाचर्चा जारी रही.
    अनुप शुक्ल पीछे न हो तो चिट्ठा-चर्चा सात साल तक निरंतर नहीं रह पाती. हमारी घणी घणी बधाई स्वीकारें. चिट्ठा चर्चा से जुड़ा हुआ होना भी एक सम्मान की बात हो गया है.
    तमाम शुभकामनाएं.
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  19. अब बढ़िया दिख रहा है…
    बहुत बधाई!!!
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  20. चर्चा तो अच्छी रही. लिंक बाद में देखे जायेंगे, अभी तो बस ये देख लिया कि कौन-कौन कब जुड़ा. टेम्पलेट बढ़िया है और टिप्पणी बक्सा भी. लेकिन फोटो अनूप जी की तीन-तीन जगह दिख रही है, जिसमें सिर्फ़ एक असली है :-)
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  21. चिटठा चर्चा को ढेरों बधाई.सफर अच्छा रहा.
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  22. शानदार पारी के लिए बधाई ! आगे भी जारी रहे यह सफ़र ! ऐसे ही ! अविरत-अनवरत !
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  23. सातवर्षीय चर्चा-मंच को मेरी हार्दिक बधाई. इतने बड़े २ लोगों के बीच कभी एक दो बार मेरी भी रचनाएं इसमें शामिल हुईं इसके लिए आभारी हूँ.शुभेच्छा.
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  24. मेरे शिष्य ओम जी द्वारा ब्लॉग पर निर्मित रेडिओ documentry में आपकी प्रस्तुति बहुत अच्छी रही.बधाइयां.
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  25. बढ़िया, सातवें आसमान पर चढ़े चिठ्ठा चर्चा!
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  26. टेस्टिंग रिपोर्ट :
    सफारी: चकाचक
    फायरफोक्स : अब ठीक है, जावास्क्रिप्ट समस्या भी चली गयी
    क्रोम : अब ठीक है
    लगता है अबा चिट्ठाकारी से संन्यास वापिस लेना पढेगा ! हम जल्दी ही वापिस आयेंगे !
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  27. भई मज़ा आया.. साँस रोके 38 मिलट बईठे रहे.. धीरे धीरे मचल ओ दिले बेकरार वाले अँदाज़ में !
    खुला.. गेट-अप शेट-अप की बातें बाद में.. पायदान दर पायदान इतनी विहँगम चर्चा की भला कौन अनदेखी कर सकता है ?
    आज जाना कि आप पक्के फुरसतिया हो, कितना समय दिया होगा, कितनी नोट्स बनायी होगी, सिलसिलेवार सजाया होगा,
    फिर यहाँ परोसा होगा । अपना भाव बढ़ाने को अब यह न कहना कि यह तो बिना किसी विशेष प्रयास के यूँ ही बन गयी ।

    आज की यह चर्चा पृष्ठाँकित कर ली है, चभला चभला कर एक के बाद एक पोस्ट की जुगाली करेंगे । तब तक आप टिप्पणी बक्सवे में अँत्याक्षरी खेलो । एक बार पुनः चर्चाकार टीम को बधाई , समीर भाई को मनाईये, मेरे दिवँगत होने से पहले ज्ञान जी से एक चर्चा करवाय देते, तो आत्मा पुलकित हो जाती । मुला विवेक सिंह पर टूल्टिप डालो तो अनूप शुक्ल चमकते हैं, यहू ठीक लेकिन लवली गोस्वामी पर भी आप ही नाम आता है.. जे गड़बड़ जी, इसको टीक करो जी !

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  28. ढपोरची says:
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    ई ज़ुलुम बात हम कब कहा ?
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  29. इस्मत ज़ैदी from Mumbai, Mahārāshtra, India says:
    बहुत बहुत बधाई और
    आने वाले वर्षों के लिये शुभकामनाएं
    इतने सारे लिंक्स देखकर मज़ा आ गया कई दिन की पढ़ाई का इंतेज़ाम हो गया
    बहुत उम्दा चर्चा और रिपोर्ट है
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  30. इस चर्चा पर सबसे पहले आया तो चर्चा नदारद दिखी:) फिर अनूप जी ने मेल पर सुझाया कि सब ठीक है, आ जाओ… तो लो जी पहुंच भी गए और लम्बे सफ़र का सफ़रनामा भी पढ गए। बहुत मेहनत के साथ कभी मलामत भी झेलते हुए यह सफ़र बढिया रहा… सभी चर्चाकार बधाई के पात्र हैं।
    जिस दिन चिट्ठाचर्चा का पर्चा नहीं दिखता, उस रोज़ लगता कि ब्लाग देखने की प्यास मिटी नहीं। इसलिए प्रार्थना है कि इस ‘अफ़ीम’ से पाठकों को वंचित न रखें:)। बहुत बहुत शुभकामनाएं॥
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  31. नया वर्ष, नयी जिम्‍मेदारियां। आप उनपर खरे उतरें, यही कामना।
    ———
    पति को वश में करने का उपाय।
    मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।
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  32. congrats and all the best
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  33. मेरे जैसे, देर से आने वालों के लिए यह जानकारी उम्दा है. डोमेन बदलने पर बधाई.
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  34. archana from Indore, Madhya Pradesh, India says:
    मेरी भी शुभकामनाएं…
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  35. चिटठाचर्चा का इतिहास है इस पोस्ट में तो. बहुत टाइम लगेगा पूरा पढने में :) चिट्ठाचर्चा को हैप्पी बड्डे और ढेर सारी शुभकामनायें.
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  36. यादें ताजा हो गईं ! हिय में भरा उछाह ।
    अनुपम चर्चा बाँचकर, मुँह से निकला वाह ।।
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  37. आज तो बस ऊपर का कुछ पोर्शन देखे हैं…
    एक साथ इतना न माल ठेल दिए हैं कि लगता है सनीचरे एतबार को पूरा होगा.. :)
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  38. anitakumar from Mumbai, Mahārāshtra, India says:
    बहुत ही सार्थक, आनंददायी चर्चा रही। चिठ्ठाचर्चा का इतिहास पढ़ कर बहुत अच्छा लगा, हर पोस्ट को खोल कर पढ़ने और उसमें दिये लिंक्स को पढ़ने में महीनों लग सकते हैं, पूरी लायब्रेरी दे दी चिठ्ठाकारिता की। मुझे यकीन है कि शोधकर्ताओं के लिए ये पोस्ट बहुत कारगर सिद्ध होगी। आप का आभार्। भगवान करे कि चिठ्ठाचर्चा आने वाले सत्तर वर्षों तक यूँ ही चलती रहे और नित नये ब्लोगर चिठ्ठाचर्चा करते रहें।
    आप का अथक परिश्रम और कमिटमेंट बेमिसाल है और हम ब्लोगरों के मन में श्रद्धा जगाता है। चिठ्ठाचर्चा को और आप को बधाई
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  39. बहुत अच्‍छा लगा चिट्ठा चर्चा का यह नया रूप देखकर। चिट्ठा चर्चा हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग का इतिहास वर्तमान सब समेटे हुए है। सातवे वर्ष में प्रवेश की बधाई। चिट्ठा चर्चा के सभी चिट्ठाकरों को बधाई और शुभकामनाऍं।
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  40. वाह सर जी !
    अचानक से इतना नयापन कैसे ? सबकुछ चकाचक है !! शुभकामनाएं !
    अब तक अपनी खैर कैसे मना पा रहा हूँ ….मैं तो सोच कर ही प्रसन्न हूँ | जैसा सबने कहा इस मौके पर यह कहना ही पडेगा कि आप ना होते ….तो यकीनन यह सात साल इत्ती पोस्टत्पादक ना हो पाती ?
    एक सुझाव : टेक्स्ट कलर थोडा से और डार्क किया जाए ….खास कर हम जैसे चश्मा-धारिओं के लिए !
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  41. सबसे बढ़िया तो अब यह कि ई रिप्लाई ओप्शन से अब चर्चा और बहस आराम से होई सकेगी ! जय जय !
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  42. ई नीचे हमेशा कि तरह ई-मेल सब्स्क्रिप्सन तक मार्क काहे नहीं दिख रहा ?
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    • ई कमेन्ट सब्सक्राइब करने का बटन अब भी नहीं दिख रहा है ? ….काहे भाई ? इन बॉक्स में मेल नहीं पहुँच रही ? भाई कुश जी ……तनिक इधर भी ध्यान दिया जाए!
      अनूप जी के जवाब तो अब तक यहीं पड़े रहेंगे ……टिप्पणीकर्ताओं को तो मालूम ही नहीं चलेगा !
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  43. चिट्ठा चर्चा के नये स्वरूप तक पहुँचने में कल दिक्कत का सामना करना पड़ा लेकिन आज झट से ही खुल गया….
    सात साल किसी भी विचारधारा का आगे सतत बहना लोगों को अपने से जोड़ते हुये ही अपने आप में एक बड़ी बात है आजकल शादियाँ, सरकार, सम्बंध कुछ भी नही टिकता और न ही टिकाऊ होने की ग्यारंटी कोई देता है।
    यात्रा जारी रहे……….
    शुभकामनायें
    सादर,
    मुकेश कुमार तिवारी
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  44. आ रह्ह्ह्हा हूँ …..
    बड़ी मुश्किल में दरवाजे खुले …पाबला जी की मदद लिया करो ! कब का खुल गया होता ….
    दुबारा पुनर्जीवन लगता है ! उम्मीद करता हूँ बिना किसी पर ऊँगली उठाये चिटठा चर्चा प्यार और परस्पर सम्मान देता बांटता आगे बढेगा !
    ” गैरों ” को भी सम्मान कब देते हो इसका इंतज़ार रहेगा , वे भी बहुत अच्छे हैं एक बार गले तो लगाओ !!

    भूले -भटके उन अपनों के ,
    कैसे दरवाजे , खुलवाएं ?
    जिन लोगों ने जाने कब से ,
    मन में रंजिश पाल रखी है
    इस होली पर क्यों न सुलगते दिल के ये अंगार बुझा दें !
    कदम बढा कर दिल से बोलें, आओ तुमको गले लगा लें !
    बरसों मन में गुस्सा बोई
    इर्ष्या ने ,फैलाये बाजू ,
    रोते गाते , हम दोनों ने
    घर बबूल के वृक्ष उगाये
    इस होली पर क्यों न साथियो आओ रंग गुलाल लगा लें !
    भूलें उन कडवी बातों को , आओ हम घर -बार सजा लें !

    आओ तुमको गले लगा लें – सतीश सक्सेना
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    • सतीशजी, शुक्रिया आपका।
      दरवाजे खुलने के लिये पहले घर-मकान बनने जरूरी होते हैं। उसके लिये किसी का सहयोग नहीं चाहिये होता है। न किसी प्रायोजक का इंतजार!
      जब हमने चर्चा की शुरुआत की थी सात साल पहले तब ब्लॉग बनाने के सिवा कोई तकनीकी जानकारी नहीं थी। सात साल में भी कुछ खास नहीं सीखे नया। लेकिन ब्लॉग चल रहा है और इंशाअल्लाह चलता भी रहेगा। इस सबके लिये हुनर से ज्यादा जुनून काम करता है। हमेशा। और वह काम भर का है अपन में।
      मस्त रहिये। देखते रहिये। बिन्दास! :)
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  45. अपार आनंद हुआ.. नए डोमेन पर चिट्ठाचर्चा देखकर। खेद है आजकल सक्रिय नहीं हूँ… फालतू के कामों के बहाने व्‍यस्‍तता का नाटक कर रहा हूँ। लौटूंगा… :)
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    • मसिजीवी,अपार सुख मिला तुम्हारे अपार आनन्द से। खेद की यहां कोई बात नहीं। बहाने हालांकि बेहद लचर हैं लेकिन स्वीकार किये गये पिछले चाल-चलन को देखते हुये। जल्द ही अ-व्यस्त होकर लौटिये। :)
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  46. वाह-वाह जी बधाइयाँ चिट्ठाचर्चा के अपने घर पधारने की। चिट्ठाचर्चा से पुरानी यादें जुड़ी हैं। पता नहीं कितने ऍग्रीगेटर आदि प्रकल्प आये और चले गये लेकिन चिट्ठाचर्चा का मंच बना रहा। इसके पीछे फुरसतिया जी और सभी चर्चाकारों की मेहनत और समर्पण है। पुराने चर्चाकार ढीले पड़े तो नयों ने काम सम्भाल लिया।
    बहुत खुशी होती है चिट्ठाचर्चा की इस प्रगति पर। हमारी तरफ से ढेरों शुभकामनायें।
    यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिये था, देबु दादा ने काफी पहले यह सुझाव दिया भी था और हम सब ने उसका समर्थन किया था। यदि पहले ही यह कर लिया जाता तो .com या .in जैसा आसान पता होता।
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  47. बहुत बहुत बधाइयाँ ….
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  48. अब तक की चर्चाओं और तमाम चर्चाकारों के प्रति आभार और आगे के लिए शुभकामनाएं।
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  49. एक बार तो देखने आये थे, पर कमेन्ट में कुछ गडबडी चल रहा था…दोबारा लौटने में बहुत टाइम लग गया…देर आये दुरुस्त आये.
    इतने सालों तक उसी जीवट उर्जा से चर्चा करना हिम्मत का काम है. सारे चर्चाकार बधाई के पात्र हैं. हर साल कुछ नए लोगों के जुड़ने से चिट्ठाचर्चा को नया रंग मिलता है. डॉक्टर अनुराग और अब गौतम जी…और अनूप जी की चर्चा तो सदाबहार होती है.
    कुछ वक्त पहले तक चिट्ठाचर्चा पर नियमित आना था…खबर लेने के लिए…कहाँ क्या चल रहा है एकदम एक जगह चकाचक खबर मिल जाती थी. इधर फिर से सब कुछ झकास चल रहा है…फिर से नियमित हो रही हूँ. इस मंच से बहुत से लोगों को जाना है…एक बार फिर ढेर सारी बधाई नए वेबपेज के लिए.
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  50. arvind mishra from Varanasi, Uttar Pradesh, India says:
    बधाई -जब सालाना जलसा ही इस तरह होगा तो दशाब्दि समारोह में क्या करेगें ?
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  51. अनूपजी सात साल लम्‍बी चर्चा के लिए आपको और चर्चाकारों को बधाइयां…
    यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहे और बेहतरीन पोस्‍टें हमें ऐसे ही पढ़ने को मिलती रहें…
    ईश्‍वर आपकी ऊर्जा और संक्रमण प्रवृत्ति को बनाए रखे और हर साल कई नए चर्चाकार इस मंच से जुड़ते रहें :)
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  52. काजल कुमार from New Delhi, Delhi, India says:
    शुभकामनाएं.

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3 टिप्‍पणियां:

  1. तो अब 'सेवन इयर इच' की तैयारी...

    जय हिंद...

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  2. सातवीं सालगिरह मुबारक हो.
    चिट्ठा चर्चा जैसे महत्वपूर्ण मंच को निरन्तर प्राणवायु देते रहने के लिये शुक्ला जी की प्रशंसा की जानी चाहिये, वरना अधिकांश चर्चाकार तो नदारद ही मिले, जबकि ये साझा मंच है. बाकी चर्चाकार भी अगर सक्रिय रहें, तो ये मंच अब मृतप्राय ब्लॉग-जगत को जिलाने का काम कर सकता है. एक बार फिर बधाइयां, शुभकामनाएं.

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  3. हम तो पढते पढते घबडा गये थे वो तो टिप्पणियों की तारीख से मालूम पडा कि रिठेल है.:)

    वैसे सात साला मुकाम तय करना आसान तो नही ही है. सफ़ल लोगों की राह में रोडे तो आते ही हैं. आज कोई एग्रीगेटर ना होने से बहुत मुश्किल हो गई है. कुछ होनहार नवयुवकों को प्रेरित करके उनके सहयोग से इसे अबाध चलाया जाये तो बहुत अच्छा रहेगा. हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारे.

    रामराम

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