वकील करो-
अपने हक के लिए लड़ो.
नहीं तो जाओ
मरो.
विजय ठाकुर तथा रति सक्सेना काफी दिन बाद फिर से आये चिट्ठाजगत में। रतिजी ने लिखा:-
चोथी बेटी के दिल नहीं होताहै
उसका कोई अपना नहीं होता है
चौथी बेटी उदयपुर की झील है
उसकी आँखें लहराती रहती हैं
चौथी बेटी राजनर्तकी का घुँघरू है
बिन-बात खिलखिला उठती है
आज यही चौथी बेटी
झील के किनारे खड़ी है
अपने पुनर्जन्मों को चुभलाती हुई
रविरतलामीजी ने धनंजय शर्माजी के प्रति सभी चिट्ठाकारों की श्रद्धांजलि दी।महावीर शर्मा की कविता है:-
लिख चुके प्यार के गीत बहुत कवि अब धरती के गान लिखो।
लिख चुके मनुज की हार बहुत अब तुम उस का अभियान लिखो ।।
आज की टिप्पणी:-अतुल के इसरार पर चुनिंदा टिप्पणियां देने की शुरुआत की जा रही है। आज की टिप्पणी है पंकज के लेख लेख पर रविरतलामी की :-
#$^&@ मैं अपने ब्राउज़र को बाइ डिफ़ॉल्ट चित्र प्रदर्शित न करने के लिए सेट कर रखता हूँ, ताकि बहुत सी झंझटों, और खासकर धीमी गति से मुक्ति मिल सके.आपने कहा चित्र देखिए. जनाब उम्मीद यह थी कि आप कोई बर्फीले मौसम का बढ़िया चित्र दिखाएँगे.पर यहाँ तो आप थर्मामीटर का पारा दिखा रहे हैं - वह भी कोई दिखाने की चीज़ है? हमने पहले ही मान लिया था 9 डिग्री होगा, 7 डिग्री भी हो सकता है.दरअसल, देखना चाहते थे आपका थूक या जमी हुई गा@#!$^लियाँ.. वो दिखाओ तो कुछ बात बने…
आप भी टिप्पणियां लिखने में देर मत करा करें।
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