'प्रतीक' के द्वारा पता चला कि
कुछ बतकही के लेखक धनंजय शर्मा नहीं रहे। धनंजय शर्मा को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि । ईश्वर उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की क्षमता प्रदान करे।
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Posted by अनूप शुक्ला to gupt at 12/05/2005 08:05:00 AM
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धनंजय शर्मा से मेरी भी मुलाकात कभी नहीं हुई, परंतु लिनक्स के हिन्दी अनुवादों से जुड़े रहने के कारण उनसे बहुतबार ई-मेल के जरिए संपर्क हुआ था. वे एस सेल्फ ड्रिवन व्यक्ति थे. मेनड्रेक के अलावा उन्होंने विनएम्प, पो-एडिट तथा ऐसे ही दर्जनों अन्य अनुप्रयोगों के हिन्दी अनुवाद किए थे.
जवाब देंहटाएंउनके अंतिम पोस्ट से यह प्रतीत होता है कि शायद जीवन की निरर्थकता को उन्होंने समझ लिया था, जो कि शायद सही नहीं था.
काश!, हम कुछ बात उनसे कर पाते तो शायद उनकी सोच में कुछ परिवर्तन हो सकता था...
बहरहाल, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.
यह तो मेरे लिए व्यक्तिगत नुकसान की तरह है.