सोमवार, दिसंबर 12, 2005
हार नहीं माने हैं दिएगो गार्सिया के लोग
चर्चाकारः
अनूप शुक्ल
सर्दी आ गई यह तब पता चला जब अनाम के ब्लाग की तस्वीर की बर्फ दिखी। हार नहीं माने दियेगो गार्सिया के लोग। इस लेख में हिंदी ब्लागर ने दिएगो गार्सिया के मूल निवासियों की ब्रितानी सरकार से क़ानूनी लड़ाई के बारे में बताया कि कैसे मुट्ठी भर लोग सबसे बड़े साम्राज्यवादी देश से लड़ाई लड़ रहे हैं, यह एक मिसाल है। हिंदी की हालत के बारे में बताते हुये बताया गया कि हालात ऐसे ही रहे तो जल्द ही लोग अंग्रेज़ी की जगह हिन्दी बोलने की कोचिंग ले रहे होंगे!!रजनीश मंगला हीरो बने हिंदी की वर्ड फाइल छाप के पढ़ा रहे हैं सबको।प्रतीक से अपहरण के बारे में जानिये।अनुगूंज के विषय पर फुरसतिया ने अपना लेख लिखा जिस पर विनय जैन ने टिप्पणी लिखी जो कि उनकी प्रविष्टि बनी।लाल्टूजी चले गये छुट्टी अपनी पुरानी कवितायें छापने का तर्क बताकर।। जीतेन्दर ने शिकायत की कि उनके सुझाव पर अनूप शुक्ला उनको गरिया रहे थे अनूप बोले हम गरियाये कहां हम तो मौज ले रहे थे।
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