काटती हैं ज़िंदगी अनुबंध जैसी लड़कियाँ।
कैसी होती होगी उन औरतों की जिंदगी
तीन कविता
बस इतनी हैं आज की चर्चा
ना पढ़ी हो तो पढ़ ले
चर्चा नहीं लिंक पर मूल कविता
कैसी होती होगी उन औरतों की जिंदगी
तीन कविता
बस इतनी हैं आज की चर्चा
ना पढ़ी हो तो पढ़ ले
चर्चा नहीं लिंक पर मूल कविता
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रचना जी,
धन्यवाद !
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Haan...sach kaha.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता....उससे भी सुन्दर है, उसे यहाँ बांटना...आभार रचना जी.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता....उससे भी सुन्दर है, उसे यहाँ बांटना...आभार रचना जी.
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