गुरुवार, सितंबर 01, 2005

सड़क पर शुतुरमुर्ग नाचा

अतुल का ध्यान आजकल उछलकूद् नाच-गाने देखेने में लगा है। कहीं बालाओं के कन्धों पर सवार, बालक-स्पर्श हेतु, उचकती बालिका को दिखाकर पूछते हैं ये क्या (तमाशा) हो रहा है। कहीं सड़क के शुतुरमुर्ग या घर के जानवर। नितित बागला ने अपने शौक बताने शुरु किये। भोलाराम मीणा बहुत दिन बाद दिखे। आते ही किसी बीमारी के शिकार हो गये। बीमारी का एक इलाज मिला तो किसी ने इनका मेल बाक्स फाड़ दिया। इनके ब्लॉग-परिचय में लिखा है कि "हम फोटो में सबसे लम्बे लडके हैं" लेकिन फोटो अकेले की है वह भी बैठी।

उधर रवि रतलामीजी बता रहे हैं कि ब्लॉग इतिहास की बात हो गई - पाडकास्ट की बात करो। आनलाइन उपन्यास का बाहरवां भाग भी पढ़ा जाये। आशीष ने हिंदिनी पर अपनी पहली पोस्ट में कार्बन उत्सर्जन के बारे में बताया। रविरतलामी जी ने रचनाकार पर अजय जैन की व्यंग्य कविता लिखी जो कि पढ़ी नहीं जा रही है कुछ समस्या है शायद रचनाकार में। लक्ष्मीनारायण गुप्त भरी जवानी में 'प्रौढ़ प्रणय निवेदन' कर रहे हैं। जीतेन्दर को लगता है उनको लोग सुने पर वो हमेशा की तरह खजूर पर लटकना पसन्द करते हैं। फुरसतिया में कन्हैयालाल बाजपेयी की कविता पढ़ें।

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