सुनीलजी जब बाहर जाते हैं पूछने लगते हैं, "हम कहां आ गये हैं?" कहकशां में संगदिल (पत्थर दिल) सनम से एकतरफा बात शुरु हुयी। शशि सुना रहे हैं भोजपुरी कविता और भजन। इधर योगीजी दिखा रहे हैं माया के खेल, उधर तरुण बता रहे हैं एक और चौपाल के बारे में। जब से जीतेन्द्र ने नारद पर कलाकारी शुरु की है नारद का रोज रूप परिवर्तन हो रहा है। कभी तो पोस्ट पूरी की पूरी ही दिख जती है और आज की खबर के अनुसार नारदजी हर पोस्ट के दो विवरण दे रहे हैं - सरकारी अंदाज में; एक मूल प्रति, एक कार्बन कापी। कोई बात नहीं मियां, लगे रहो!
मंगलवार, अक्तूबर 04, 2005
क्या यही प्यार है?
चर्चाकारः
debashish
बचपन में "उठो लाल अब आंखे खोलो" कविता सुनकर जागने की आदत बना चुके स्वामीजी अब परेशान हैं अलार्म घड़ी की आवाजों से। अतुल कुछ तरीके बता रहे हैं दुल्हिन को बस में रखने के। हिंदिनी पर अपनी पोस्टों का शानदार सैंकड़ा पूरा करते हुये रवि रतलामी ने अपना प्यार का किस्सा जिस जगह लाकर लटकाया है उससे लोग पूछ रहे हैं, क्या यही प्यार है? नीरज और अनुनाद बता रहे हैं जाल के आगे क्या? देबाशीष पर लगता है आलोक का भूत सवार हो गया है, टेलीग्राफिक पोस्ट लिखने लगे हैं।
सुनीलजी जब बाहर जाते हैं पूछने लगते हैं, "हम कहां आ गये हैं?" कहकशां में संगदिल (पत्थर दिल) सनम से एकतरफा बात शुरु हुयी। शशि सुना रहे हैं भोजपुरी कविता और भजन। इधर योगीजी दिखा रहे हैं माया के खेल, उधर तरुण बता रहे हैं एक और चौपाल के बारे में। जब से जीतेन्द्र ने नारद पर कलाकारी शुरु की है नारद का रोज रूप परिवर्तन हो रहा है। कभी तो पोस्ट पूरी की पूरी ही दिख जती है और आज की खबर के अनुसार नारदजी हर पोस्ट के दो विवरण दे रहे हैं - सरकारी अंदाज में; एक मूल प्रति, एक कार्बन कापी। कोई बात नहीं मियां, लगे रहो!
सुनीलजी जब बाहर जाते हैं पूछने लगते हैं, "हम कहां आ गये हैं?" कहकशां में संगदिल (पत्थर दिल) सनम से एकतरफा बात शुरु हुयी। शशि सुना रहे हैं भोजपुरी कविता और भजन। इधर योगीजी दिखा रहे हैं माया के खेल, उधर तरुण बता रहे हैं एक और चौपाल के बारे में। जब से जीतेन्द्र ने नारद पर कलाकारी शुरु की है नारद का रोज रूप परिवर्तन हो रहा है। कभी तो पोस्ट पूरी की पूरी ही दिख जती है और आज की खबर के अनुसार नारदजी हर पोस्ट के दो विवरण दे रहे हैं - सरकारी अंदाज में; एक मूल प्रति, एक कार्बन कापी। कोई बात नहीं मियां, लगे रहो!
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।
नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.