सोमवार, अक्तूबर 17, 2005

असम्भव हो हर कार्य जरुरी नही

देश-दुनिया की ब्लागिंग जेल तक पहुंचा सकती है। एक खिड़की आठ सलाखें पर पंद्रह कवितायें सुनिये रति सक्सेना जी से। नवरात्र गुजर गया लेकिन उसका महत्व भी तो जान लीजिये शशि सिंह से। स्नान-समस्या से ग्रस्त, आशियाना ढूंढते जीतेन्दर परेशान हैं आतंकवादी घटनाओं से, लेकिन इनकी कामेडी में कोई कमी नहीं आई इसीलये रंगदारी व्यवस्था का समाधान बता रहे हैं। उधर इंडियन आयडल पर नेपाल वाले लगा रहे हैं चोरी का आरोप। यह सुनते ही पक्षी उड़ लिये। उड़ते हुये पक्षी सपने देखने लगे। सब तरफ से हिंदी ही हिंदी दिख रही थी। इस पर रविरतलामी पूछने लगे क्या चिड़ियों में सौन्दर्य बोध होता है? फुरसतिया कहने लगे- मुझसे बोलो तो प्यार से बोलो । इसी पर रवि रतलामी अपना नजरिया बताने लगे कि कम्प्यूटर सामग्री कैसे आपकी जरूरत बनती जा रही है। फिर वे हिंदी संयुक्ताक्षरों की समस्या बताने लगे। मानसी को विभिन्न राशियों की विशेषतायें बताते हुये कुंडली मिलान बिंदु तक आते देखकर अतुल कसमसाने लगे, "जब हम जवां होंगे" कहकर। इस पर धनुष के एक रंग को ताव आ गया। स्वामी बोले ये सब झूठ है। इस पर लक्ष्मी गुप्त जी ने समझाया, नेताओं का चरित्र ऐसा ही होता है।

कुमार मानवेंद्र ने दुबारा लिखना शुरु किया। वरुण सिंह भी व्यायामशाला से लौटकर हिंदी में लिखने के बारे में सफाई देने लगे। देश दुनिया के माध्यम से पढ़िये ईरानी नेता का जो कि ब्लाग भी लिखते हैं का साक्षात्कार। आशीष गर्ग बता रहे हैं पारदर्शी धातु के बारे में। रचनाकार पर रचनाओं की लगातार प्रस्तुति जारी है-अब और नये मनोरम अंदाज में। कविता सागर से कविता मोती बदस्तूर निकल रहे हैं। फुरसतिया बता रहे हैं मौरावां के रावण के बारे में जो कि कभी नहीं मरता। सारिका बता रही हैं:
खुशबू की तरह तुमको रूह में उतारा है,
जाओ कहीं भी लेकिन रहता है साया साथ।
सूरज देव सिंह कह रहे हैं:
सार्थक हो हर प्रयास जरुरी नही
पूरी हो हर आस जरुरी नही
मगर सच है ये भी वही
असम्भव हो हर कार्य जरुरी नही

Posted by अनूप शुक्ला at १०/१७/२००५ १०:३९:०० पूर्वाह्न

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1 टिप्पणी:

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