कल होली तो होली। आज सब लोग खुमारी में होंगे। जिनके दफ़्तर होंगे वे बेमन से तैयार होकर देश की जीडीपी दर से घिसटते हुये से जायेंगे। दफ़्तर तो हमको भी जाना है। लेकिन जाने से पहले चर्चियाना है। सो चलते हैं फ़टाफ़ट कुछ पोस्टों पर टहल लेते हैं जैसे होली मिलने लोग मोहल्ले में जाते हैं।
लेकिन चर्चा शुरु करने के पहले एक खुश खबरी साझा कर लेते हैं।मनीष कुमार ने के ब्लॉग एक शाम मेरे नाम ने अपने सात साल पूरे किये। मनीष चिट्ठाजगत के सबसे नियमित ब्लॉगरों में से हैं। अपने प्रिय गीतों, गजलों, उपन्यासों और कविताओं जो उनको दूसरी ही दुनिया में खींच ले जाते हैं उनको महसूस करने और अभिव्यक्त करने की मंशा से बनाये इस ब्लॉग में कई बेहतरीन पोस्टें पढ़ने को मिली। अपनी इस सात साला जन्मदिनिया पोस्ट में मनीष ने अपनी दस बेहतरीन पोस्टें साझा की हैं।
मनीष चिट्ठाचर्चा के नियमित चर्चाकार भी रहे हैं। उनके सात साल पूरा करने के मौके पर उनको बधाई और आगे कई साल सफ़लतापूर्वक पूरे करने की मंगलकामनायें।
अब चलिये चर्चाकर्म पर! देखिये पहले होली का माहौल कैसा बना था मनोज ’आजिज’ बता रहे हैं रचनाकार के मंच से:
हां नहीं तो मैडम आज कई खुलासे कर रही हैं- इधर उधर की सुनाते हुये। मामला धर्म से संबंधित है सो ज्यादा न बतायेंगे बस पता दिये दे रहे हैं और एक ठो हिस्सा यहां सटा दे रहे हैं बस्स:
कपड़े फ़टने की बात चली तो देखिये हल्दिया की कपड़ा फ़ाड होली में विवेक सिंह के क्या हाल हुये:
सलिल वर्मा के हाल भी देख लीजिये। कैसे कोरे बचे हैं फोटो खिंचवाने के लिये जबकि स्टेटस में लिखे कुछ और हैं:
अब सच्ची वाला बाय बोल के जा रहे हैं।मस्त रहिये।
लेकिन चर्चा शुरु करने के पहले एक खुश खबरी साझा कर लेते हैं।मनीष कुमार ने के ब्लॉग एक शाम मेरे नाम ने अपने सात साल पूरे किये। मनीष चिट्ठाजगत के सबसे नियमित ब्लॉगरों में से हैं। अपने प्रिय गीतों, गजलों, उपन्यासों और कविताओं जो उनको दूसरी ही दुनिया में खींच ले जाते हैं उनको महसूस करने और अभिव्यक्त करने की मंशा से बनाये इस ब्लॉग में कई बेहतरीन पोस्टें पढ़ने को मिली। अपनी इस सात साला जन्मदिनिया पोस्ट में मनीष ने अपनी दस बेहतरीन पोस्टें साझा की हैं।
मनीष चिट्ठाचर्चा के नियमित चर्चाकार भी रहे हैं। उनके सात साल पूरा करने के मौके पर उनको बधाई और आगे कई साल सफ़लतापूर्वक पूरे करने की मंगलकामनायें।
अब चलिये चर्चाकर्म पर! देखिये पहले होली का माहौल कैसा बना था मनोज ’आजिज’ बता रहे हैं रचनाकार के मंच से:
दिलों का गुलशन महक उठे होली मेंउधर मास्टरनी जी खेल रंग की जंग का एलान करते हुये कह रही हैं
जज़्बों की चिड़िया चहक उठे होली में
उड़ न जाये अरमान सारे गुलाल जैसा
अरमानों की लौ दहक उठे होली में
मत देख लंका, मत देख इटलीजब ये सब न देखें त करें का? ये भी बता रही हैं कुमायूंनी चेली:
मत देख दंगा, मत ले पंगा
मत देख भूख, मत देख रसूख
मत देख गरीबी, मत देख फरेबी ।
आज बस झूम झूम कर गाले होलीउधर मास्टर हिमांशु पाण्डेय आह्वान कर रहे हैं होली का कुछ ऐसे:
आज बस झूम झूम कर सुन ले होली
आज बस झूम झूम कर देख ले होली
सखी- सहेली, पास- पड़ोसी या प्रियतम के संग
खेल रंग की जंग, बस तू खेल रंग की जंग ।
अब बताओ ये मास्टरजी कह रहे हैं-हर तरुणी का चुम्बन कर लो। होता है कहीं ऐसा? पिटवायेंगे का? आप पढ़ लीजिये बस्स! बाकी दूसरों के लिये छोड़ दीजिये।जग की रंजित परिधि बढ़ा दो, वसंत की रागिनी पढ़ा दोप्रति उल्लास हर्ष वनिता को रंग भरी चूनरी उढ़ा दोहर तरुणी का चुम्बन कर लो भुला के बातों में भोली-भोली -होली, होली, होली!
हां नहीं तो मैडम आज कई खुलासे कर रही हैं- इधर उधर की सुनाते हुये। मामला धर्म से संबंधित है सो ज्यादा न बतायेंगे बस पता दिये दे रहे हैं और एक ठो हिस्सा यहां सटा दे रहे हैं बस्स:
वसीम बरेलवी साहब नयी पीढी के बारे में फ़र्माते है:हरिद्वार गए थे हम, वहाँ तो हम एकदमे हैरान हो गए। एक पंडा जी तो हमरे कुल-खानदान की जनम पत्री ही निकाल दिए, कि फलाने आपके बाप है और अलाने आपके दादा है। बाप रे ! हम तो फटाफट पूजा-पाठ के लिए तैयार हो गए। पूजा करके हम जैसे ही नारियल पानी में फेंके, फट से दो-तीन बच्चे कूद गए पानी में और वही नारियल किनारे ले आये। सेम टू सेम नारियल, सेम टू सेम दूकान और सेम टू सेम हम जैसे लोग, न जाने कब से ऊ नारियल रिसाईकिल हो रहा है, और न जाने कब से लोग जानबूझ कर बुड़बक बन रहे हैं :)
नये जमाने की खुदमुख्तारियों को कौन समझाये,वह बात पीडी की यह पोस्ट पढते हुये याद आती है जहां नयी पीढी कहती है हमका न चाहिये आपकी कौनौ सलाह। एक सीन दिखा देते हैं बाकी आप खुदै देख लीजियेगा सलाहों से आजिज है नया लरका लोग:
कहां से बच निकलना है, कहां जाना जरूरी है।
"कहाँ घर लिए हो?"कबाड़ी किंग अशोक पाण्डेय सुनवा रहे हैं बाबा नजीर अकबराबादी की रचना सुनिये यहां स्वर छाया गांगुली का:
"जे.पी.नगर में."
"कितने में?"
"1BHK है, नौ हजार में"
"और ऑफिस कहाँ है?"
"वहीं पास में, घर से आधे किलोमीटर पर"
"चार किलोमीटर दूर ले लेते तो दो हजार कम लगता"
फिर से मन में सोचते हुए, "और उसके साथ दो घंटे के ट्रैफिक का धुवाँ और धूल भी मुफ़्त में ही मिलता + दो घंटे बर्बाद अलग से, आपको आपकी अपनी धूल मुबारक़, हमें अपना बचा हुआ समय मुबारक़."
जब फागुन रंग झमकते हों
तब देख बहारें होली की
परियों के रंग दमकते होंउधर डाक्टर दराल भी होलियाना हो गये और डाक्टर कविराय बन गये:
ख़ुम शीशे जाम छलकते हों
महबूब नशे में छकते हों
जब फागुन रंग झमकते हों
चश्मे पे जब हो जाये , रंगों की बौछारहोली के मौके पर शिवकुमार मिश्र ने नेताओं का गुझिया कंपटीशन करा दिया। देखिये क्या हाल जमे हैं:
सतरंगी नज़र आये , ये सारा संसार।
ये सारा संसार , फिर लगे सुनेहरा
गोरा दिखे काला , काला हरा भरा।
कह डॉक्टर कविराय, ना बुरा मनाना ,
होली पर सबको हंसकर गले लगाना।
रविशंकर प्रसाद बोले; "मैं माननीय लालू जी से पूछना चाहता हूँ कि प्राचीन भारत के समय से ही गुझिया के मसाला में जो गरी काटकर डाली जाती थी वह रंगी नहीं जाती थी। यहीं देख लीजिये कि इन्होने जो मसाला यहाँ रखा है उसमें इस्तेमाल होने वाली गरी को इन्होने हरे रंग में रँग दिया है।"मुलायम जी के बयान भी सुनिये:
रविशंकर प्रसाद की बात पर लालू जी बोले; "आ जो हरे रंग से रंगी गरी देख रहे हैं, ऊ रंगी नहीं है। उसको कहते हैं सेकुलर गरी ... आपका निगाह ही हरा हो गया है। आ अंधे को सब जगह गरी की हरियाली ही दिखाई देती है।"
मुलायम जी को लगा कि यहाँ उन्हें सी बी आई का पक्ष लेने की ज़रुरत है। बोले; "एखिये, ऐसी बात नई ऐ। हअबाअ सी बी आई जो ऐ मासाआ नई लाती। असोई चअती अहे, उसके लिए दूकानदाअ कई बाअ खुदै मसाआ पौंचा जाता ऐ। हमयें खुद अपई आँखों से जो ऐ सो देखा ऐ।"देर से देखा लेकिन दीपक बाबा के आश्रम का निमंत्रण आप भी देख लीजिये:
कल पूनम पाण्डेय जी होली खेलने बाबा के आश्रम आ रही है, सुधिजन होली खेलने के लिए आश्रम में आमंत्रण है...
१. गिलास खाली ले कर आना, भांग यहाँ घोटी जा रही है.
२. शरीर के नाज़ुक अंग से हलके कपड़े पहने ताकि उसके फटने से पहले कपड़े फट जाएँ.
कपड़े फ़टने की बात चली तो देखिये हल्दिया की कपड़ा फ़ाड होली में विवेक सिंह के क्या हाल हुये:
सलिल वर्मा के हाल भी देख लीजिये। कैसे कोरे बचे हैं फोटो खिंचवाने के लिये जबकि स्टेटस में लिखे कुछ और हैं:
मैं स्टेटस लिखने में व्यस्त था और श्रीमती जी पीछे से छिपकर चेहरे पर रंग पोत गयीं.. मैं मना करता रह गया, मगर वो नहीं मानीं.. अब उन्हें कौन समझाए कि जानेमन! जो रंग चौबीस साल पहले चढ़ा था वही नहीं उतरा, तो क्यूँ ख्वामख्वाह रंग और पानी बर्बाद कर रही हो.. वैसे भी यहाँ पानी की किल्लत है!!बहुत हुआ। अब चला जाये। दफ़्तर बेताबी से अपन का इंतजार कर रहा है। आप भी मजे कीजिये। जय हो। चलते-चलते कविता बांचते जाइये हमारी ही है:
सच में त्यौहार परेशानियां भूल जाने का नाम है!!
आज होली का त्योहार है,
हम सबकी खुशियों का विस्तार है
हर हाल में हंसने का आधार है
हंसी का भी बहुत बड़ा परिवार है
कई बहने है जिनके नाम है-
सजीली,कंटीली,चटकीली,मटकीली
नखरीली और ये देखो आ गई टिलीलिली,
हंसी का सिर्फ एक भाई है
जिसका नाम है ठहाका
टनाटन हेल्थ है छोरा है बांका
हंसी के मां-बाप ने
एक लड़के की चाह में
इतनी लड़कियां पैदा की
परिवार नियोजन कार्यक्रम की
ऐसी-तैसी कर दी.
हंसी की एक बच्ची है
जिसका नाम मुस्कान है
अब यह अलग बात कि उसमें
हंसी से कहीं ज्यादा जान है.
अब सच्ची वाला बाय बोल के जा रहे हैं।मस्त रहिये।
रंग बिरंगी चर्चा ...बाबा क फोटू लगाये मे सकुचा गइला! :)
जवाब देंहटाएं:) पंडित जी, सकुचाए गए:)
हटाएंफ़ोटो बाबा के ब्लॉग पर है। उनका सामान उठाकर लगा देंगे हियां तो हुआं कौन जायेगा देखने!
हटाएंरंगबिरंगे ब्लॉग और रंगबिरंगी चर्चा| बहुत अच्छी लगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवा! बांचते रहिये और रंगबिरंगे पन के लिये!
हटाएंबेरंग जिंदगी को रंगीन करती चर्चा .... वधिया लगी..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हटाएंचौचक चर्चा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हटाएंवाहवाह वाह जी वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया फागुनी चर्चा।
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनायें।
धन्यवाद! आपको भी होली की मंगलकामनायें!
हटाएंचिटठा चर्चा का स्तर बनाए रखिये अनूप जी। आपने फोटो नहीं लगाया, बहुत अच्छा किया । वैसे तो वो पोस्ट चर्चा के लायक नहीं थी, लेकिन होली के अवसर पर और फोटो की वजह से, शायद यहाँ जगह पा गयी। कहने को लोग ये भी कह सकते हैं कि अच्छे-बुरे सभी प्रकार की बातों की चर्चा होनी चाहिए। लेकिन कौन सी बात कितनी महत्वपूर्ण है इसका भी ध्यान रखना ही चाहिए। और फिर कितनी अश्लीलता आप दिखाना चाहते हैं, इसकी भी सीमा तय होनी ही चाहिए। बाकी ये सबकुछ इंटरनेट सागर में उपलब्ध है ही। जब-जब जिसको जहाँ-जहाँ डुबकी लगाना है लगाते रहे । ब्लॉग जगत का माहौल ख़राब न करे। आशा है आप मेरा आशय समझ रहे हैं।
जवाब देंहटाएंआज एक-एक करके सारे बैकलॉग निपटा रहे हैं.
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