ये धोबी का कुत्ता (भई, ब्लॉग पता में तो यही लिखा है - http://washermansdog.blogspot.com ) तो बहुत बढ़िया भौंकता है. इनकी एक लंबी सी, मगर बेहद मार्मिक पोस्ट माँ को गए 3 वर्ष हो गए पर पढ़िये.
इधर बिहारी बाबू ब्लॉगर बनने चले हैं-
इनके सारे पोस्ट यूँ तो लाजवाब हैं, मगर एक खास पोस्ट कर्ज कलकत्ता पर आप निगाह अवश्य मारें.
अगर आपके पास थोड़ा टाइम है तो आज आप शन्नो की एक छोटी सी कहानी बलदेव हलवाई भी पढ़ सकते हैं.
एक अंग्रेज़ी ब्लॉग साइट है – पोस्टसीक्रेट.कॉम. इसमें जनता अपने सीक्रेट पोस्टकार्ड में लिखकर ब्लॉग प्रबंधक को भेजते हैं, और उस स्कैन कर पोस्ट हर इतवार को सनडे सीक्रेट नाम से डाला जाता है. कुछ बेहद मजेदार होते हैं तो कुछ ऊटपटांग, अजीब. साइट चूंकि अमरीकी है, अतः आपको अमरीकी संस्कृति के दर्शन मिलेंगे. कुछ तस्वीरें अश्लील भी हो सकती हैं, अतः इसे देख समझ कर स्वयं के रिस्क पर खोलें. हाल ही में पोस्ट सीक्रेट (http://postsecret.blogspot.com ) पर मदर्स डे तथा फादर्स डे पर विशेष रूप से भेजे गए पोस्टकार्डों को संकलित किया गया. यह प्रकल्प इतना अधिक लोकप्रिय है कि इसमें शामिल पोस्टकार्डों को किताबों के रूप में संकलित कर प्रकाशित किया गया है और किताबों के 4 वॉल्यूम छप चुके हैं. चूंकि पोस्ट सीक्रेट में प्रकाशित पोस्टकार्डों को किताब रूप में संकलित कर प्रकाशित किया जाता है अत: पुराने पोस्टों को हटा दिया जाता है अत: आपको वहां सिर्फ 1 नया ताजा पोस्ट ही दिखाई देगा.
मदर्स डे पर प्रकाशित कुछ पोस्ट सीक्रेट
फादर्स डे पर प्रकाशित कुछ पोस्ट सीक्रेट
क्या हिन्दी में ऐसा प्रयास नहीं किया जा सकता है?
सुंदर कार्ड पढ़वाने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहोत अच्छा
जवाब देंहटाएंभारत प्रश्न मंच आपका स्वागत करता है. http://mishrasarovar.blogspot.com/
वाह ! मजेदार आइडिया है ये पोस्ट सीक्रेट वाला. पर क्या हम भारतीय इतने साहसी हैं कि अपने मन की बात किसी और को बता सकें, भले ही गोपनीयता की गारंटी हो??????
जवाब देंहटाएंअलग हटके चर्चा मन को भा गई।
जवाब देंहटाएंकुछ नया मिला, इस चर्चा से.
जवाब देंहटाएंछोटी किंतु मोटी चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार
खूबसूरत। पोस्ट सीक्रेट वाला काम आप शुरू करें!
जवाब देंहटाएंवैसे अनामी ब्लॉगर कर ही रहे हैं कुछ-कुछ यह काम।
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जवाब देंहटाएंआप ऎसा कुछ न कुछ नया खोद ( ढ़ूँढ़ लाते ) लाते हैं, कि तबियत अश अश कर उठती है ।
वैसे पोस्ट-सीक्रेट की ज़ानकारी मुझे तो थी, पर वहाँ मौज़ूद मेरे दो कार्ड्स को ज़ाहिर न करके ( जो मिला ही न होगा ) आपने मेरे ऊपर बड़ा उपकार किया । मेरा ( थैन्कलेस ) धन्यवाद स्वीकार करें, रवि भाई !
नोट :
1. कोष्ठक में दिये शब्दों को स्वगत कथन के रूप में पढ़ा जाये ।
2. असँतुष्ट गुट के ब्लॉगर-जनों के लिये पोस्ट-सीक्रेट से अच्छा कोई विकल्प ही नहीं.. किरपया एक बार ज़रुर करके टिराई मारें ! बड़ा सही रहेगा जब एक ब्लॉगर दूसरे ब्लॉगर को कहेगा.. " आज्जा बेट्टा पोस्ट-सीक्रेट पर.. वहाँ तेरा कच्चा चिट्ठा न खोला तो धुरँधर-लिक्खाड़ मेरा नाम नहीं !"
अहः हः हः हः
"आप ऎसा कुछ न कुछ नया खोद ( ढ़ूँढ़ लाते ) लाते हैं, कि तबियत अश अश कर उठती है ।"
जवाब देंहटाएंअमर कुमार जी जैसा ही कुछ कहना चाहता था लेकिन वो बाज़ी मार चुके है :) चिट्ठाचर्चा शायद इसीलिये पसन्द आता है क्यूकि हर चिट्ठाकार इसे नये नये आयाम देता है... आपका अपना टेस्ट और फ़्लेवर है और हमे ये पसन्द है..
बहुत सुन्दर चर्चा!!
बहुत ही अच्छी चर्चा की है आपने पढ़कर बहुत अच्छा लगा
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