मंगलवार, जून 22, 2010

चिमनी के धुंये से ११ लाइन की ऊंचाई पर नल शरणागत वीर ब्लॉगर


ये ब्लॉगरी का ही कमाल च धमाल है कि एक पॉवर प्लांट की धुंआ उगलती चिमनी से मात्र ११ लाइन (पंक्ति) की ऊंचाई बैठा ब्लॉगर नीचे से चिमनी की गरमी से और ऊपर से सूरज की गर्मी का मुकाबला करते हुये नल के नीचे शरणागत पोस्ट का मसौदा सोच रहा है-अनवरत। विवरण यहां देखें!


एक लाईना


  1. जरा सा बखान, कुछ तस्वीरें और एक लघु कथा : में ही निपट गये आज!!!

  2. पितृदिवस के बहाने कुछ पोस्टों की चर्चा :चर्चा में भी बहानेबाजी!

  3. चटकों का एक सच ये भी है : कि कभी न लगाने वाले सफ़ाई दे रहे हैं

  4. थम सा गया है वक्त : फ़िर धकियाया जायेगा कमबख्त

  5. जब तक ब्लॉगवाणी कॉमा में है, स्वर्ग-नर्क का फ़र्क समझिए...खुशदीप : की जिद पर

  6. 'पेड़ न्यूज' के चंगुल में पत्रकारिता :छुड़ाने के लिये फ़िरौती मांगेगी क्या?

  7. इंसानों से बेहतर है चिम्पैंजियों की याद्दाश्त? : क्योंकि वे ब्लॉग नहीं लिखते!

  8. मेरे छाता की यात्रा कथा और सौ जोड़ी घूरती आंखें!! : सोच रही थीं कि ये छाता क्यों नहीं लगाता

  9. उफ...ये शिष्ट बच्चा...सिर झुका कर...अपशब्द कहता है ! :इसे कहते हैं संस्कार!!

  10. ऐसा रहा हमारा हवाई सफ़र :इसमें व्योम बालायें अप्सराओं सी दिखीं!

  11. अगर यही आपके साथ हो तो क्या करेंगे आप ....?? : जब हमारे साथ होना ही है तो हम करेंगे क्यों...??

  12. जरूरी थोड़े ही है कि हर कोई मुझे पढ़े : समझे और टिपियाये!

  13. कुलटा बन गई पतुरिया : बेबात में!

  14. प्रेम से तुमने देखा जो प्रिय !!! :मन मयूर उन्मत्त हो गया.

  15. दीपक शर्मा की एक ग़ज़ल और एक नज़्म :और आठ टिप्पणियां

  16. सीढी :को लात मार कर नीचे नही गिराना ।

  17. खनक तो पैसे में ही होती है :उत्‍तमं काव्‍यम् ।।उत्‍तमा भावाभिव्‍यक्ति: ।।

  18. कल ही दाह संस्कार किया गया उसका ~~ : और आज पोस्ट लिख दी गयी! कमाल है~~

  19. धड़कनों पर संकट :मंडराया, नुक्कड़ पर पोस्ट भी दिखी !!

  20. बिजली महादेव : हिल स्टेशन पर

  21. गरमी की भीषणता के बीच एक रात और दिन : और चिमनी के धुंये से ११ लाइन की ऊंचाई पर नल शरणागत वीर ब्लॉगर

  22. आगरा में जुट रहे हैं आज हिन्‍दी ब्‍लॉगर :शहर में ब्लॉगर मीट की आशंका

  23. ऐसे मोड पर संकलकों की कुछ बातें, ब्लोग्स पढने के कुछ उपाय : लेकिन चश्मा अपना लेकर आयें!

  24. भटक जाते हैं कदम-जब साथ न दे हमदम :कविता में संगत दे रहे हैं -गम,रम,हम,सनम और जनम!

  25. आज नदी बिलकुल उदास थी: उसे भी nice सुनने की आस थी

  26. इनको अब पता चला की भोपाल वाली गैस कितनी खतरनाक hai :मुकदमे के पोस्टमार्टम के पहले कैसे पता चल सकता था भाई!!

  27. आर्सेनिक से भरे बोरो धान पर लगेगी पाबंदी:मिलावट का नया उपाय सोचना होगा लोगों को!


आज की तस्वीरें


संयुक्त परिवार का यह चित्र सुब्रमणियन जी की पोस्ट से


नीरज जाट जी की पोस्ट से एक फोटो


और अंत में



कल आदित्य के पापा ने जिद की कि एकलाइना पेश किये जायें तो उनके अनुरोध को सच मानकर आज एकलाइना ही लिखने की कोशिश की। डरते-डरते। डर इस बात का कि न जाने कौन किस बात का बुरा मान जाये और लिखना बंद करने की घोषणा कर दे।

दो दिन पहले डा.अमर कुमार ने अपना विचार व्यक्त करते हुये लिखा
मैं एक बार फिर दोहराऊँगा कि, इस मँच के लिये लिंक-चयन पर पाठकों की सहभागिता आमँत्रित की जानी चाहिये ।


मैं डा.अमर कुमार जी का ध्यान चिट्ठाचर्चा की पहली पोस्ट की तरफ़ दिलाना चाहूंगा। उस समय चर्चा का कोई रूप तय न था। लेकिन हमने लिखा था अगले अंक में अपने चिट्ठे के बारे में चर्चा के लिये टिप्पणी में अपनी पोस्ट का उल्लेख करें. बाद में कई पाठक अपने लिंक देते रहे हैं। कुछ लोग मेल करते रहे, कुछ लोग ऐसे बताते रहे। चिट्ठों का हरसंभव जिक्र होता रहा। और भी मामलों में पाठकों की राय का उपयोग करने के प्रयास हुये। आगे भी करते रहेंगे। वैसे जो चर्चाकार चर्चा करने के लिये पोस्टें चुनते हैं वे भी अपने नजरिये से या किसी फ़ीडबैक से ही पोस्टें तय करते हैं। संकलकों से देखकर पोस्टों पर पाठकों के रुझान से भी पोस्टें तय की जाती रहने के चलते पाठकों की रुचि की अप्रत्यक्ष भादेदारी तो हो ही जाती है पोस्टें चुनने में। बाकी आप आगे बतायें कैसे पाठकों की सहभागिता बढाई जाये?

निर्मला कपिला जी ने लिखा -चिठा चर्चा मे कुछ कहते हुये दर लगता है। आगे झेल चुकी हूँ। निर्मलाजी से यही अनुरोध है कि कम से कम यहां अपनी बात कहने में न डरें। अपनी राय, सहमति, असहमति खुले मन से व्यक्त करें। हम उनकी बात को सही अर्थ में लेकर अपनी बात रखने की कोशिश करेंगे।

फ़िलहाल इतना ही। बकिया फ़िर कभी। तब तक
आप मौज से रहिये
मस्त और बिन्दास
गर्मी भले है झकास
पर बादल भी हैं आसपास
गर्मी को गेटआउट बोलेंगे
बुझायेंगे धरती की प्यास।


पोस्टिंग विवरण


शुरू हुये छह बजकर पन्द्रह मिनट पर। पोस्ट का बटन दबा रहे हैं अभी आठ बजकर पच्चीस मिनट पर। इस बीच दो कप चाय पिये। एक बैठे हुये दूसरी लेटकर चर्चचियाते हुये। लैपटॉप की बैटरी बैठ गई तो अपने सर पर चपत लगाते हुये बिजली का कनेक्शन लगाया और बुझा लैपटाप फ़िर से खिल उठा। बिजली मिलने से कोई भी खुश होकर खिल उठता है भाई!
अब और कुछ कहना उचित नहीं होगा। आप बोर होकर बुरा मान सकते हैं, कहें चाहे भले न शराफ़त के दिखावे के चलते। इसलिये अब फ़ाइनल बस्स! ओके? टेक केयर!! बॉय!!

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19 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी और विस्तार से की गयी चर्चा

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  2. लैपटापवा में बैटरी का सेल काहे नहीं लगवा लेते :)

    बैटरी का सेल बोले तो .....


    रोचक चर्चा है।

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  3. धन्यवाद....

    सुबह सुबह मुस्करा दिए...

    एक लाइना का अपना मजा है..

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  4. अच्‍छी एकलाइना चर्चा .. आभार !!

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  5. विस्तृत और अच्छे लिंक्स लिए हुए अच्छी चर्चा

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  6. तो, लीजिए, हमहूं टिकाता हूँ दो लिंक. बाकायदा भूमिका समेत.
    अब तो इसकी चर्चा करेंगे ना?
    :)टू द पावर 10.

    इंडली – देसी डिग का अवतार – क्या ये ब्लॉगवाणी चिट्ठाजगत् का विकल्प हो सकता है?



    मैं बहुत अरसे से कहता आ रहा हूँ कि जब लाखों की संख्या में हिन्दी चिट्ठे होंगे, तो ब्लॉगवाणी व चिट्ठाजगत् का वर्तमान अवतार हमारे किसी काम का नहीं रहेगा. ऐसे में डिग, स्टम्बलअपॉन जैसी साइटें ही कुछ काम-धाम की हो सकेंगी



    इंडली को ब्लॉगर ब्लॉग में कैसे जोड़ें?

    अपने ब्लॉग में इंडली वोटिंग विजेट लगाकर आप अपने पाठकों को आपके पोस्ट को इंडली में साझा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.

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  7. फ़ौरी निदान .....बैट्री को फ़ौरन ..नजदीक के किसी ट्रेक्टर से जोडा जाए....हम गांव में रामायण का कई एपिसोड ..अईसे ही देखे थे ।

    एक लाईना तो .........बस समझिए कि ...honour killing है.........हा हा हा आजकल ई word चलन में है

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  8. लाजवाब रही चर्चा....
    बहुत दिनों बाद आपने एकलाइना डाली, आनंद आ गया पढ़कर....

    इतनी विस्तृत और संतुलित चर्चा करना कोई हंसी खेल नहीं...आपलोगों के इस अपरिमित धैर्य और मेहनत के लिए हम पाठक आभारी हैं...

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  9. बढ़िया एक लाइना। रवि जी ने जो लिंक दिये हैं उस पर अगली चर्चा वहीं करें और अपनी बात विस्तार से कहें तो अच्छा होगा।

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  10. hmmmmm....चर्चा तो बढिया है. एक लाइना के चलते बहुत से लिंक मिल जाते हैं, इसलिये इसे तो चर्चा का अविभाज्य अंग ही मान लें:)

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  11. एक लाइना जबर्दस्त्त है.

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  12. आज नदी बिलकुल उदास थी: उसे भी nice सुनने की आस थी

    अगर टपोरेली बोले तो झक्कास !
    आप तो इतने लिंक बटोर लाये, कि इस अकिंचन चिट्ठा-वाचक की हलक सूख गयी ।
    फिलहाल .. आज्ञा दें, हमारी तीसरी और अँतिम सभा समाप्त होती है ।

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  13. बहुत अच्छी चर्चा।
    कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर आपकी राय देने के लिए धन्यवाद!

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  14. एक महत्वपूर्ण सूचना..
    हम सब के लिये पहेली अम्मा जी इधर कुछ दिनों से विक्षिप्तावस्था में लापता हैं,
    इन्हें खोज कर लाने वाले को उचित ईनाम एवँ सम्मानपत्र दिया जायेगा ।

    अनूप जी, ऎसी आपातकालीन महत्वपूर्ण सूचना प्रसारित करने के लिये मुझे इससे बेहतर कोई अन्य मँच न लगा,
    यदि इसका दुरुपयोग हुआ है, तो इसके लिये क्षमायाचना, साथ ही पँचों द्वारा सर्वसम्मति से निर्धारित दँड स्वीकार करने को तैयार हूँ !

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  15. अगले अंक में अपने चिट्ठे के बारे में चर्चा के लिये टिप्पणी में अपनी पोस्ट का उल्लेख करें.
    http://sciencemodelsinhindi.blogspot.com/2010/06/evil-souls_29.html

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